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अदालत की अनुमति के बिना शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई नई एफआईआर नहीं होगी दर्ज: कलकत्ता हाईकोर्ट

पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई नई एफआईआर लिखने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि बिना कोर्ट की अनुमति के उन पर कोई नई एफआईआर नहीं लिखी जाएगी.

Shubhendu Adhikari
शुभेंदु अधिकारी
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Published : Dec 9, 2022, 10:36 PM IST

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल-जज बेंच ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ अदालत की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी नई एफआईआर दर्ज करने से रोक दिया है. शुभेंदु अधिकारी परिषद ने अदालत को बताया कि विपक्ष के नेता के खिलाफ दर्ज पिछली एफआईआर मुख्य रूप से एक रैली या उनके ट्विटर संदेशों में उनकी टिप्पणियों के कारण थी. इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की बेंच ने शुक्रवार को राज्य पुलिस को यह निर्देश दिया है.

संयोग से गुरुवार को केवल न्यायमूर्ति मंथा की बेंच ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा विपक्ष के नेता के खिलाफ दर्ज की गई सभी 26 एफआईआर पर रोक लगा दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी कहा कि शुभेंदु अधिकारी लोगों द्वारा चुने गए विपक्ष के नेता हैं और ऐसी परिस्थितियों में पुलिस या तो स्वयं या किसी के निर्देश पर उनके कार्यों को रोकने के लिए कदम नहीं उठा सकती है.

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट में उपस्थित हुए महाधिवक्ता एसएन मुखोपाध्याय ने एफआईआर के संदर्भ में इस तरह की राहत के औचित्य पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि वे पहले ही कोर्ट के द्वारा एकजुट कार्रवाई के खिलाफ एक कवच का आनंद ले रहे थे.

पढ़ें: SC ने केंद्र को हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों में संशोधन पर विचार करने का निर्देश दिया

जिसके बाद न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि अदालत विपक्ष के नेता की एप्प्रिहेंशन को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, जिसे लोगों द्वारा चुना गया था. आगे कहा कि यह भी देखा गया कि पुलिस विपक्ष के नेता को एक के बाद एक आरोप लाकर या तो खुद या किसी और के निर्देश पर लोगों के प्रति अपना कर्तव्य निभाने से नहीं रोक सकते हैं.

(आईएएनएस)

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल-जज बेंच ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ अदालत की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी नई एफआईआर दर्ज करने से रोक दिया है. शुभेंदु अधिकारी परिषद ने अदालत को बताया कि विपक्ष के नेता के खिलाफ दर्ज पिछली एफआईआर मुख्य रूप से एक रैली या उनके ट्विटर संदेशों में उनकी टिप्पणियों के कारण थी. इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की बेंच ने शुक्रवार को राज्य पुलिस को यह निर्देश दिया है.

संयोग से गुरुवार को केवल न्यायमूर्ति मंथा की बेंच ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा विपक्ष के नेता के खिलाफ दर्ज की गई सभी 26 एफआईआर पर रोक लगा दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी कहा कि शुभेंदु अधिकारी लोगों द्वारा चुने गए विपक्ष के नेता हैं और ऐसी परिस्थितियों में पुलिस या तो स्वयं या किसी के निर्देश पर उनके कार्यों को रोकने के लिए कदम नहीं उठा सकती है.

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट में उपस्थित हुए महाधिवक्ता एसएन मुखोपाध्याय ने एफआईआर के संदर्भ में इस तरह की राहत के औचित्य पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि वे पहले ही कोर्ट के द्वारा एकजुट कार्रवाई के खिलाफ एक कवच का आनंद ले रहे थे.

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जिसके बाद न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि अदालत विपक्ष के नेता की एप्प्रिहेंशन को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, जिसे लोगों द्वारा चुना गया था. आगे कहा कि यह भी देखा गया कि पुलिस विपक्ष के नेता को एक के बाद एक आरोप लाकर या तो खुद या किसी और के निर्देश पर लोगों के प्रति अपना कर्तव्य निभाने से नहीं रोक सकते हैं.

(आईएएनएस)

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