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मध्य प्रदेश के इन स्कूलों में बिजली-पानी नदारद, कैसे पढ़ेंगे छात्र

मध्य प्रदेश के 43 फीसदी स्कूलों में बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इससे भी बदतर हालात छिंदवाड़ा जिले के हैं जहां करीब 1100 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बिजली का कनेक्शन तक नहीं है. इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास तो दूर की बात गर्मी से निजात के लिए पंखे भी नहीं हैं. ऐसे में स्मार्ट क्लास के जरिए पढ़ाई की करना यहां के स्टूडेंट्स और शिक्षकों को किसी मजाक से कम नहीं लग रहा.

no electricity connection in chhindwara schools
छिंदवाड़ा स्कूल स्मार्ट क्लास
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Published : Mar 13, 2022, 7:47 AM IST

भोपाल: एक तरफ तो मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सीएम राइस स्कूल खोल रही है और शिक्षा के डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रही है. कोरोना काल में भी बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन चलाई गई, लेकिन पिछले दिनों आई यूडीआईएसई की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कहती है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 43 फीसदी सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनमें बिजली ही नहीं है. इस रिपोर्ट ने सरकार के दावों और प्लान की पोल खोल दी है.

सिर्फ प्लान, इंतजाम कहां है
यूनिफाइड इंस्टीट्यूशनल डॉटा फॉर सेकेंडरी एजूकेशन (UDISE) की रिपोर्ट बताती है कि मध्य प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी, सहायता प्राप्त स्कूलों को मिला लिया जाए तो सिर्फ 65 प्रतिशत स्कूलों में ही बिजली है. इसमें ग्रामीण इलाकों में तो हालात और भी बदतर हैं. ऐसे में ऑनलाइन, टीवी और कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ाई कैसे होगी. और तो और, इंटरनेट के लिए भी बिजली की जरूरत होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा. सरकार के प्लान एक्जिक्यूट कैसे होंगे, क्योंकि स्कूलों में न तो बिजली की सुविधा है और न ही इंटरनेट की. प्रदेश के स्कूलों में यह हालत तब है जब सरकार ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट का प्रावधान किया है.

क्या कहती है UDISE की रिपोर्ट
यूनिफाइड इंस्टीट्यूशनल डॉटा फॉर सेकेंडरी एजूकेशन (यूडीआईएसई) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012-13 में मध्य प्रदेश में स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा का प्रतिशत 36.3 था और 2019-20 में यह सुविधा 90% स्कूलों में मौजूद है. स्कूलों में दाखिले का भी प्रतिशत बढ़कर 4 लाख 6 हजार 868 हुआ है, लेकिन इस दौरान कोरोना काल में मध्यप्रदेश में 20,000 स्कूल बंद भी हुए हैं. इसी का नतीजा है कि सरकार घर पर ही ऑनलाइन एजुकेशन को तवज्जो दे रही है. दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में शिक्षकों की संख्या और मानदेय में इजाफा हुआ है. इस साल विभिन्न तरीके से 29196 एनरोल किए गए जो नेशनल एवरेज के बराबर है 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में शिक्षकों की संख्या में 2.72% की वृद्धि हुई है. मध्यप्रदेश के लिहाज से बात करें तो 18% स्कूलों में मेडिकल फैसेलिटीज भी उपलब्ध नहीं है. वहीं 1900 स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के 6 हजार से ज्यादा स्कूल एक या दो कमरों में चल रहे हैं.

छिंदवाडा के 1114 स्कूलों में नहीं है बिजली कनेक्शन
छिंदवाड़ा जिले की 11 जनपद पंचायतों में 3411 प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल हैं. इनमें से 1114 स्कूलों में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है. जबकि 400 से अधिक स्कूलों में अब भी पानी की सुविधा की कमी है. ऐसे में स्मार्ट क्लास से बच्चों को पढ़ाने की तैयारी की जा रही है तो बिना बिजली के स्मार्ट क्लास कैसे चलेगी. शिक्षा विभाग का यह फरमान यहां पढ़ाने वाले अध्यापकों के गले नहीं उतर रहा है. (no electricity connection in chhindwara schools)

बिजली कनेक्शन के लिए भेजा प्रस्ताव
जिला परियोजना समन्वयक जेके इरपाची ने ईटीवी भारत को बताया कि सभी स्कूलों में बिजली कनेक्शन लगना तय है. करीब 1000 स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए विद्युत विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जिसमें से 100 से कम स्कूलों के कनेक्शन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. अधिकारी का कहना है कि जल जीवन मिशन योजना में 3411 में से 3007 स्कूलों में पेयजल की सुविधा के लिए भी शामिल किया गया है. (chhindwara electricity department)

आंकड़ों में समझिए कितने स्कूलों में नहीं है कनेक्शन

जनपद पंचायतकुल स्कूलबिना बिजली स्कूल
छिंदवाड़ा 275 45
परासिया 32997
जुन्नारदेव 572275
तामिया 388196
हर्रई 456 205
अमरवाड़ा 22471
चौरई 242 93
बिछुआ 24131
सौंसर 184 12
मोहखेड़ 258 45
पांढुर्ना 25244

यह भी पढ़ें-मध्य प्रदेश ही नहीं मैं यूपी के बच्चों का भी मामा: सीएम शिवराज चौहान

छत्तीसगढ़, बिहार से भी पीछे है मप्र
नीति आयोग ने इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2020 के तहत जो डाटा तैयार किया है इसमें दिल्ली को आय के उच्चस्तर के साथ सरकारी स्कूलों में मूलभूत संसाधनों के आधार पर सबसे ज्यादा स्कोर मिला है. इस इंडेक्स में मध्य प्रदेश बिहार और छत्तीसगढ़ से भी पीछे है. जबकि प्रदेश सरकार इन तमाम कमियों के बावजूद प्रदेश में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम होने का दावा करते नहीं थकती है.

भोपाल: एक तरफ तो मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सीएम राइस स्कूल खोल रही है और शिक्षा के डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रही है. कोरोना काल में भी बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन चलाई गई, लेकिन पिछले दिनों आई यूडीआईएसई की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कहती है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 43 फीसदी सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनमें बिजली ही नहीं है. इस रिपोर्ट ने सरकार के दावों और प्लान की पोल खोल दी है.

सिर्फ प्लान, इंतजाम कहां है
यूनिफाइड इंस्टीट्यूशनल डॉटा फॉर सेकेंडरी एजूकेशन (UDISE) की रिपोर्ट बताती है कि मध्य प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी, सहायता प्राप्त स्कूलों को मिला लिया जाए तो सिर्फ 65 प्रतिशत स्कूलों में ही बिजली है. इसमें ग्रामीण इलाकों में तो हालात और भी बदतर हैं. ऐसे में ऑनलाइन, टीवी और कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ाई कैसे होगी. और तो और, इंटरनेट के लिए भी बिजली की जरूरत होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा. सरकार के प्लान एक्जिक्यूट कैसे होंगे, क्योंकि स्कूलों में न तो बिजली की सुविधा है और न ही इंटरनेट की. प्रदेश के स्कूलों में यह हालत तब है जब सरकार ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट का प्रावधान किया है.

क्या कहती है UDISE की रिपोर्ट
यूनिफाइड इंस्टीट्यूशनल डॉटा फॉर सेकेंडरी एजूकेशन (यूडीआईएसई) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012-13 में मध्य प्रदेश में स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा का प्रतिशत 36.3 था और 2019-20 में यह सुविधा 90% स्कूलों में मौजूद है. स्कूलों में दाखिले का भी प्रतिशत बढ़कर 4 लाख 6 हजार 868 हुआ है, लेकिन इस दौरान कोरोना काल में मध्यप्रदेश में 20,000 स्कूल बंद भी हुए हैं. इसी का नतीजा है कि सरकार घर पर ही ऑनलाइन एजुकेशन को तवज्जो दे रही है. दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में शिक्षकों की संख्या और मानदेय में इजाफा हुआ है. इस साल विभिन्न तरीके से 29196 एनरोल किए गए जो नेशनल एवरेज के बराबर है 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में शिक्षकों की संख्या में 2.72% की वृद्धि हुई है. मध्यप्रदेश के लिहाज से बात करें तो 18% स्कूलों में मेडिकल फैसेलिटीज भी उपलब्ध नहीं है. वहीं 1900 स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के 6 हजार से ज्यादा स्कूल एक या दो कमरों में चल रहे हैं.

छिंदवाडा के 1114 स्कूलों में नहीं है बिजली कनेक्शन
छिंदवाड़ा जिले की 11 जनपद पंचायतों में 3411 प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल हैं. इनमें से 1114 स्कूलों में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है. जबकि 400 से अधिक स्कूलों में अब भी पानी की सुविधा की कमी है. ऐसे में स्मार्ट क्लास से बच्चों को पढ़ाने की तैयारी की जा रही है तो बिना बिजली के स्मार्ट क्लास कैसे चलेगी. शिक्षा विभाग का यह फरमान यहां पढ़ाने वाले अध्यापकों के गले नहीं उतर रहा है. (no electricity connection in chhindwara schools)

बिजली कनेक्शन के लिए भेजा प्रस्ताव
जिला परियोजना समन्वयक जेके इरपाची ने ईटीवी भारत को बताया कि सभी स्कूलों में बिजली कनेक्शन लगना तय है. करीब 1000 स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए विद्युत विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जिसमें से 100 से कम स्कूलों के कनेक्शन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. अधिकारी का कहना है कि जल जीवन मिशन योजना में 3411 में से 3007 स्कूलों में पेयजल की सुविधा के लिए भी शामिल किया गया है. (chhindwara electricity department)

आंकड़ों में समझिए कितने स्कूलों में नहीं है कनेक्शन

जनपद पंचायतकुल स्कूलबिना बिजली स्कूल
छिंदवाड़ा 275 45
परासिया 32997
जुन्नारदेव 572275
तामिया 388196
हर्रई 456 205
अमरवाड़ा 22471
चौरई 242 93
बिछुआ 24131
सौंसर 184 12
मोहखेड़ 258 45
पांढुर्ना 25244

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छत्तीसगढ़, बिहार से भी पीछे है मप्र
नीति आयोग ने इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2020 के तहत जो डाटा तैयार किया है इसमें दिल्ली को आय के उच्चस्तर के साथ सरकारी स्कूलों में मूलभूत संसाधनों के आधार पर सबसे ज्यादा स्कोर मिला है. इस इंडेक्स में मध्य प्रदेश बिहार और छत्तीसगढ़ से भी पीछे है. जबकि प्रदेश सरकार इन तमाम कमियों के बावजूद प्रदेश में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम होने का दावा करते नहीं थकती है.

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