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को-विन पोर्टल हैक करने के दावे निराधार हैं : सरकार

भारत के वैक्सीन पंजीकरण पोर्टल कोविन के हैक होने और 15 करोड़ लोगों का डेटाबेस बिक्री के लिए तैयार होने की रिपोर्ट सामने आने के बाद अब शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविन हैक नहीं हुआ और 15 करोड़ भारतीयों का डेटा सुरक्षित है.

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Published : Jun 12, 2021, 5:23 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने कोविन पोर्टल को हैक करने और आंकड़े लीक होने के दावों को शनिवार को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम को-विन प्रणाली को कथित तौर पर हैक करने के मामले की जांच कर रही है.

टीका प्रशासन पर अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष डॉ. आर एस शर्मा ने स्पष्ट किया, को-विन प्रणाली को कथित तौर पर हैक करने और आंकड़े लीक होने से संबंधित डार्क वेब पर तथाकथित हैकरों के दावे निराधार हैं. हम यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे कि को-विन पर लोगों के आंकड़े सुरक्षित रहें.

को-विन पोर्टल कोविड-19 टीकाकरण अभियान का अहम हिस्सा है.

वहीं, भारतीय साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने कहा है कि इसके पीछे की वेबसाइट खुद फर्जी है और यह एक बिटकॉइन घोटाला है.

डार्क लीक मार्केट नामक एक हैकर समूह ने एक ट्वीट के माध्यम से दावा किया कि उनके पास लगभग 15 करोड़ भारतीयों का डेटाबेस है, जिन्होंने को-विन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत किया है और वह इसका 800 डॉलर में पुनर्विक्रय कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने मूल रूप से डेटा लीक नहीं किया है.

स्वतंत्र साइबर सुरक्षा शोधकर्ता राजशेखर राजहरिया ने बताया कि हैकिंग समूह की वेबसाइट फर्जी है और वे एक बिटकॉइन घोटाला चला रहे हैं.

उन्होंने कहा, कोविन को हैक नहीं किया गया है क्योंकि तथाकथित हैकिंग समूह फर्जी लीक की लिस्टिंग कर रहा है. यह एक बिटकॉइन घोटाला है और लोगों को इन हैकर्स का शिकार नहीं होना चाहिए. को-विन डेटा सुरक्षित है.

पढ़ें :- कोविन एप डिजिटल रूप से अशिक्षित और दिव्यांगों के लिए आसान नहीं : सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले, फ्रांसीसी सुरक्षा शोधकर्ता बैप्टिस्ट रॉबर्ट उर्फ इलियट एल्डरसन ने भी डार्क लीक मार्केट द्वारा पोस्ट को रीट्वीट किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया.

भारत में अब तक 23.7 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड-19 रोधी टीका लगाया जा चुका है.

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए टीकाकरण तक पहुंच की सुविधा के लिए, केंद्र सरकार ने इस सप्ताह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 टीकाकरण पंजीकरण के लिए निर्धारित फोटो पहचान दस्तावेजों की सूची में विशिष्ट दिव्यांगता पहचान (यूडीआईडी) कार्ड शामिल करने का निर्देश दिया.

इस वर्ष 2 मार्च को जारी कोविन 2.0 के मार्गदर्शन नोट के अनुसार, सात निर्धारित फोटो पहचान पत्र निर्दिष्ट किए गए थे और टीकाकरण से पहले लाभार्थी के सत्यापन के लिए निर्धारित किए गए थे.

टीकाकरण के लिए ऑनलाइन नियुक्तियों में होने वाली त्रुटियों और बाद में होने वाली असुविधाओं को कम करने के लिए, सरकार ने पिछले महीने कोविन एप्लिकेशन में चार अंकों का सुरक्षा कोड की एक नई सुविधा पेश की थी.

नई दिल्ली : सरकार ने कोविन पोर्टल को हैक करने और आंकड़े लीक होने के दावों को शनिवार को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम को-विन प्रणाली को कथित तौर पर हैक करने के मामले की जांच कर रही है.

टीका प्रशासन पर अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष डॉ. आर एस शर्मा ने स्पष्ट किया, को-विन प्रणाली को कथित तौर पर हैक करने और आंकड़े लीक होने से संबंधित डार्क वेब पर तथाकथित हैकरों के दावे निराधार हैं. हम यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे कि को-विन पर लोगों के आंकड़े सुरक्षित रहें.

को-विन पोर्टल कोविड-19 टीकाकरण अभियान का अहम हिस्सा है.

वहीं, भारतीय साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने कहा है कि इसके पीछे की वेबसाइट खुद फर्जी है और यह एक बिटकॉइन घोटाला है.

डार्क लीक मार्केट नामक एक हैकर समूह ने एक ट्वीट के माध्यम से दावा किया कि उनके पास लगभग 15 करोड़ भारतीयों का डेटाबेस है, जिन्होंने को-विन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत किया है और वह इसका 800 डॉलर में पुनर्विक्रय कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने मूल रूप से डेटा लीक नहीं किया है.

स्वतंत्र साइबर सुरक्षा शोधकर्ता राजशेखर राजहरिया ने बताया कि हैकिंग समूह की वेबसाइट फर्जी है और वे एक बिटकॉइन घोटाला चला रहे हैं.

उन्होंने कहा, कोविन को हैक नहीं किया गया है क्योंकि तथाकथित हैकिंग समूह फर्जी लीक की लिस्टिंग कर रहा है. यह एक बिटकॉइन घोटाला है और लोगों को इन हैकर्स का शिकार नहीं होना चाहिए. को-विन डेटा सुरक्षित है.

पढ़ें :- कोविन एप डिजिटल रूप से अशिक्षित और दिव्यांगों के लिए आसान नहीं : सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले, फ्रांसीसी सुरक्षा शोधकर्ता बैप्टिस्ट रॉबर्ट उर्फ इलियट एल्डरसन ने भी डार्क लीक मार्केट द्वारा पोस्ट को रीट्वीट किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया.

भारत में अब तक 23.7 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड-19 रोधी टीका लगाया जा चुका है.

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए टीकाकरण तक पहुंच की सुविधा के लिए, केंद्र सरकार ने इस सप्ताह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 टीकाकरण पंजीकरण के लिए निर्धारित फोटो पहचान दस्तावेजों की सूची में विशिष्ट दिव्यांगता पहचान (यूडीआईडी) कार्ड शामिल करने का निर्देश दिया.

इस वर्ष 2 मार्च को जारी कोविन 2.0 के मार्गदर्शन नोट के अनुसार, सात निर्धारित फोटो पहचान पत्र निर्दिष्ट किए गए थे और टीकाकरण से पहले लाभार्थी के सत्यापन के लिए निर्धारित किए गए थे.

टीकाकरण के लिए ऑनलाइन नियुक्तियों में होने वाली त्रुटियों और बाद में होने वाली असुविधाओं को कम करने के लिए, सरकार ने पिछले महीने कोविन एप्लिकेशन में चार अंकों का सुरक्षा कोड की एक नई सुविधा पेश की थी.

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