नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति की बैठक में 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई जिसकी अनुमानित लागत 660 करोड़ रुपये है. जल शक्ति मंत्रालय के बयान में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई. मंत्रालय ने बताया कि एनएमसीजी की कार्यकारी समिति की बैठक बृहस्पतिवार को मिशन के महानिदेशक जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में हुई थी.
बैठक में जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, उनमें सहारनपुर शहर में हिंडन नदी से संबंधित अवरोधन, परिवर्तन एवं शोधन कार्य, गढ़ मुक्तेश्वर में 'चामुंडा माई तालाब का कायाकल्प', मंदसौर, मध्य प्रदेश में शिवना नदी का पर्यावरण उन्नयन के अलावा जल एवं ऊर्जा को लेकर प्राकृतिक खेती के तरीकों का मूल्यांकन आदि शामिल है. बयान के अनुसार, शवदाह गृहों से संबंधित दो परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई जिसमें पश्चिम बंगाल के कल्याणी में बिजली से चालित शवदाह गृह का निर्माण और पौड़ी गढ़वाल में शवदाह घाट का विकास शामिल है.
इसमें कहा गया है कि एनएमसीजी की कार्यकारी समिति ने बद्रीनाथ में नदी तटों के विकास की दो परियोजनाओं को भी मंजूरी दे दी. इसके अलावा उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में जलमल प्रबंधन से संबंधित दो बड़ी परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई. एनएमसीजी की बैठक में मंजूर जलमल प्रबंधन की परियोजना के तहत उत्तराखंड में हरिद्वार के मौजूदा एसटीपी, ऋषिकेश, श्रीनगर और देव प्रयाग में जलमल के सह-शोधन का कार्य शामिल है.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल के बर्धवान नगर पालिका के लिए एकीकृत जलमल शोधन संयंत्र' से जुड़ी परियोजना शामिल है. मंत्रालय के बयान के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर में हिंडन नदी से जुड़ी जलमल प्रबंधन की एक बड़ी परियोजना को मंजूरी दी गई . इसकी अनुमानित लागत 577.23 करोड़ रूपये है जिसमें 135 एमएलडी (प्रति दिन दस लाख लीटर) के जलमल शोधन संयंत्र के निर्माण का कार्य भी शामिल है.
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एक अधिकारी ने कहा, नमामि गंगे कार्यक्रम का मुख्य फोकस गंगा की सहायक नदियों की सफाई पर रहा है. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य असिंचित क्षेत्रों से अनुपचारित सेप्टेज के निर्वहन को रोककर गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में और सुधार करना है. इसमें मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में 28.68 करोड़ रुपये की लागत से 'शिवना नदी के पर्यावरण उन्नयन' की परियोजना शामिल है. बयान के अनुसार, चामुंडा माई तालाब के कायाकल्प की परियोजना की अनुमानित लागत 81.76 लाख रुपये है. इसमें सफाई, गाद निकालना, पानी निकालना, आधारभूत निर्मित आर्द्रभूमि प्रणाली, जल शोधन, वायु में मिलाने की प्रणाली, वृक्षारोपण, बाड़ लगाना, कांटेदार तार आदि लगाने का कार्य शामिल हैं.
मंत्रालय के अनुसार, स्वच्छ गंगा कोष के तहत बद्रीनाथ, उत्तराखंड में नदी के तटों के विकास की दो परियोजनाओं को 32.15 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत किया गया है. इनमें से एक परियोजना में नदी तटबंध का निर्माण, सार्वजनिक सुविधाओं का विकास आदि कार्य शामिल है.
बयान के अनुसार, जल और ऊर्जा बचत पर प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का मूल्यांकन' पर एक महत्वपूर्ण परियोजना को भी मंजूरी दी गई है. जल और भूमि प्रबंधन प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली परियोजना का मुख्य उद्देश्य, मिट्टी की उर्वरता, फसल उत्पादकता का आकलन करना है.