पटना: नीतीश सरकार ने अप्रैल 2023 को पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 26 लोगों को रिहा किया था. आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं. जी कृष्णैया की पत्नी ने रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. वहीं इस पूरे मामले पर नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समय से पहले रिहाई को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया गया है.
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नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई को सही ठहराया: हलफनामा में कहा गया है कि आम जनता या लोक सेवक की हत्या की सजा एक समान है. उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को सिर्फ इसलिए छूट से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मारा गया पीड़ित लोक सेवक था. बिहार सरकार ने कारा अधिनियम में बदलाव करके आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया था.
इस मामले में हुई है रिहाई: बिहार के गोपालगंज में जिलाधिकारी रहे जी कृष्णैया की 1994 में हत्या कर दी गई थी. जी कृष्णैया जब मुजफ्फरपुर से गुजर रहे थे, तभी भीड़ ने हमला बोल दिया था. उनकी पिटाई की गई और गोली मारी गई थी. आरोप था कि उस भीड़ को बाहुबली आनंद मोहन ने उकसाया था. पुलिस ने आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद समेत 6 लोगों को नामजद किया था. आनंद मोहन को इस मामले में पहले फांसी की सजा मिली थी जिसे बाद में बदलकर उम्रकैद कर दिया गया.
सजा माफी नीति के तहत रिहाई: मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो बिहार सरकार ने हलफनामा दायर किया है. राज्य सरकार के अनुसार यह पाया गया कि एक लोक सेवक की हत्या के अपराध में कैदी आजीवन कारावास काट रहा था. उसकी समय पूर्व रिहाई पर विचार किया गया. प्रासंगिक रिपोर्ट अनुकूल होने के बाद आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया. पुलिस और राज्य सरकार ने सजा माफी नीति के अनुसार आनंद मोहन को रिहा किया है.
सरकार ने बताए रिहाई के ये कारण: नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की समय से पहले रिहाई के कारण भी बताए. हलफनामे में बताया गया कि दोषी के आचरण, उसके व्यवहार, अपराध की प्रकृति, पृष्ठभूमि और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विचार किया गया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर पूरा रिकॉर्ड नीतीश कुमार की सरकार से मांगा था. आनंद मोहन की रिहाई से संबंधित सिफारिश की पूरी फाइल तलब की थी.
जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई है गुहार: गौरतलब है कि जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और आनंद मोहन की रिहाई और कानून बदले जाने को चुनौती दी है. आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा और 2008 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को बिहार सरकार कारा अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा कर दिया.