हैदराबाद: हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व है. मान्यता है कि भगवान विष्णु को एकादशी तिथि काफी लोकप्रिय है. ज्येष्ठ महीने के शुल्क पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है. निर्जला एकादशी व्रत नियम पूर्वक करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल की प्राति होती है. साल में 24 एकादशी में से निर्जला एकादशी का महत्व सबसे ज्यादा है. इस बार निर्जला एकादशी 31 मई को मनाया जा रही है.
धर्म के जानकारों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत नियमपूर्वक करना चाहिए और कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए...
- पूजन से पहले गंगा नदी या सुविधानुसार निर्मल जल से स्नान करें.
- साफ कपड़े पहनकर पास के किसी भगवान विष्णु मंदिर या घर में दीप जलाएं.
- इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से नियमपूर्वक अभिषेक करें.
- निर्जला एकादशी के व्रत का संकल्प करें और विष्णु भगवान का पूजन करें.
- निर्जला एकादशी व्रत के दौरान अन्न-जल ग्रहण न करें.
- मिठाई, नैवेद्य या चीजें प्रसाद के रूप में भगवान को भोग लगाएं और अगले दिन इसका प्रसाद ग्रहण करें.
जानकार पंडितों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत के लिए शुभ मुहूर्त 30 मई (मंगलवार) दोपहर 01.07 बजे से प्रारंभ होता है. वहीं एकादशी का समापन 31 मई (बुधवार) को दोपहर 01.45 बजे है. व्रत पारण का 1 जून (गुरुवार) को सुबह 05:24 बजे से 08:10 बजे तक फलदायी है.
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक विद्वानों का मानना है कि जो व्यक्ति साल में पड़ने वाले 24 एकादशी का व्रत नहीं कर है, अगर वह नियमपूर्वक सिर्फ निर्जला एकादशी व्रत करता है तो उसको सभी 24 एकादशी व्रत के बराबर ही फल की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की स्तुति करने और मंत्रों का जाप से विशेष लाभ मिलता है. एकादशी पर मंत्रों के जाप से घर में भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. माना जाता है कि पर्व के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों के जाप से घर में कभी भी आर्थिक समस्या नहीं होती है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार इन मंत्रों के जाप से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.
ॐ नमोः नारायणाय॥
भगवते वासुदेवाय मंत्र।
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥