नई दिल्ली: देश में नई शिक्षा प्रणाली (National Education Policy 2020) लागू हुए लगभग एक साल हो गया हैं. नई शिक्षा प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए छोटे बच्चों में पढ़ने, लिखने और अंको को समझने की क्षमता शुरुआत में ही विकसित होना बहुत आवश्यक माना गया है. इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सोमवार को शिक्षा मंत्रालय ने 'निपुण भारत' पहल (NIPUN Bharat Mission) की शुरुआत की है.
- क्यों है यह कार्यक्रम खास
इस कार्यक्रम के तहत बच्चों में पढ़ने, समझने और संख्यायों की गणना की क्षमता कक्षा तीन तक पूरी तरह से विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को विशेष रूप से इस योजना के अंतर्गत लाया गया है जिनके लिए विशेष शिक्षण सामग्री भी तैयार की जाएगी. निपुण भारत के तहत लक्ष्य तय किया गया है कि वर्ष 2027 तक देश का हर बच्चा इन तीन मूलभूत गुणों में निपुणता हासिल कर सके. समग्र शिक्षा के अंतर्गत इस योजना के लिए शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 में 2130 करोड़ का बजटीय आवंटन तय किया है.
- शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने किया कार्यक्रम लॉन्च
निपुण भारत का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि बुनियादी शिक्षा में पढ़ना, लिखना और संख्या का ज्ञान हर बच्चे को हो, यह नई शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है. उन्होंने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री भी इस बात को अपने संबोधन में कह चुके हैं. निशंक ने देश की शिक्षा नीति में निपुण भारत की शुरुआत को ऐतिहासिक बताया.
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- 2026-27 तक पूरा होगा लक्ष्य
निपुण भारत मिशन को राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और स्कूल स्तर पर 5 चरणों में लागू किया जाएगा. हर स्तर से इसके क्रियान्वयन की निगरानी भी की जाएगी. योजना के तहत वर्ष 2026-27 तक यह लक्ष्य तय किया जाना है जिसमें 3 से 9 वर्ष की आयु में ही देश के हर बच्चे को पढ़ने, लिखने और अंक गणना का मूल भूत ज्ञान होगा. हालांकि नई शिक्षा प्रणाली में यह लक्ष्य 2025 तक पूरा करने की बात कही गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण देश की शिक्षा और उससे जुड़ी योजनाओं पर व्यापक प्रभाव के मद्देनजर निपुण भारत के लक्ष्य को दो वर्ष आगे तक बढ़ाया गया है.