लखनऊ: कभी किसी को गिफ्ट देने तो कभी मलेशिया के राजा की संपत्ति का वारिस बनाने के नाम पर दिल्ली के महरौली में बैठ कर नाइजीरियन नागरिक इमेका बीते 5 वर्षों से लोगों को ठग रहा था. हर दिन दस लाख रुपए ठगने का उसका टारगेट था. यही नहीं ठगे हुए रुपयों को वो नाइजीरियन बैंक जेनिथ के द्वारा उसे अबुजा भेजता था. ये खुलासा साइबर सेल ने साइबर ठग एसोवाने एमेका से पूछताछ के आधार पर किया है. साइबर सेल को जांच के दौरान कुछ ऐसे भी सबूत मिले हैं जो हवाला एंगल की ओर भी इशारा कर रहे है.
लखनऊ की साइबर सेल ने नौ अप्रैल को दिल्ली के महलौरी से नाइजीरियन नागरिक एसोवाने एमेका को उसके दो पश्चिम बंगाल के रहने वाले साथियों के साथ गिरफ्तार किया था. एमेका ने चार अगस्त को लखनऊ के एक प्रोफेसर को पोलैंड का नागरिक बनकर महंगे गिफ्ट देने का झांसा दिया था. करीब डेढ़ करोड़ रुपए ठग लिए थे. गिरफ्तारी के बाद साइबर सेल के अधिकारियों ने जब नाइजीरियन नागरिक से पूछताछ की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
अब तक 150 करोड़ रुपए ठगेः एसीपी साइबर सेल अभिनव के मुताबिक, नाइजीरियन साइबर ठग एसोवने एमेका दिल्ली में रह कर बीते पांच वर्षों से देश भर के हजारों लोगों से ठगी कर चुका है. उसने अपने ग्रुप के लोगों के साथ मिलकर रोज के लिए 10 लाख रुपए का टारगेट फिक्स करके रखा था. यानी किसी भी तरह चाहे महंगे गिफ्ट देने, मरे हुए पति की संपत्ति दिलाने, विदेशी महिला या पुरुष मित्र बन शादी करने या राजा की संपत्ति का वारिस बनाने को लेकर ये ठग हर रोज कम से कम 10 लाख रुपए ठगते ही थे. एसीपी अभिनव के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि अब तक ये ग्रुप 150 करोड़ से भी अधिक की ठगी कर चुका है.
पश्चिम बंगाल के लड़के भी ग्रुप में शामिलः एसीपी के मुताबिक, पूछताछ में आरोपी नाइजीरियन ने बताया कि वो ठगी का पैसा पहले अलग-अलग फर्जी नाम और दस्तावेजों से खोले गए बैंक अकाउंट में रखता था. उसके बाद जब रकम अधिक हो जाती थी तो उसे जेनिथ बैंक के द्वारा नाइजीरिया के अबुजा भेज देता था. इसके बाद उन्ही पैसों को थोड़ी थोड़ी मात्रा में वहां से वापस मंगवाता था. जिससे वो किसी भी जांच एजेंसी के रडार में नहीं आता था.
एसीपी के मुताबिक, नाइजीरियन नागरिक के साथ दो पश्चिम बंगाल के रहने वाले युवकों को भी गिरफ्तार किया गया था. उनके मोबाइल फोल से कई बांग्लादेशी नंबर भी मिले हैं. ऐसे में इन ठगों का हवाला ग्रुप से भी संबंध होने की आशंका जताई जा रही है, जिसे देखते हुई जरूरत पड़ने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से भी जानकारी साझा की जाएगी.