नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सितंबर में जम्मू-कश्मीर के कोकेरनाग मुठभेड़ मामले को अपने हाथ में ले लिया. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल, एक मेजर और एक सैनिक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक डीएसपी शहीद हो गए थे. वहीं, लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी उजैर खान मारा गया था. एएनआई सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा जारी एक आदेश के बाद मामले को अपने हाथ में ले लिया.
एनआईए ने गृह मंत्रालय का आदेश मिलते ही मामले को अपने हाथ में लेते हुए एक नया मामला दर्ज किया और अपने क्षेत्रीय शाखा कार्यालय में प्रतिनियुक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी को प्रभार देकर इसकी जांच शुरू कर दी. भारतीय सेना ने 13 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग के गडोले जंगल में 19 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, कंपनी कमांडर मेजर आशीष धोंचक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट और सैनिक प्रदीप सिंह को खो दिया.
ऑपरेशन छह दिन बाद 19 सितंबर को पूरा हुआ. कोकरनाग मुठभेड़ के बारे में बताते हुए जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा था कि कोकरनाग मुठभेड़ को तूल देना कुछ निहित स्वार्थी तत्वों का काम था. डीजीपी ने कहा था कि मुठभेड़ में सबसे पहले आतंकवादियों ने गोलीबारी की जिसमें तीन अधिकारी शहीद हो गए.
उन्होंने यह भी बताया कि कोकेरनाग में आतंकवादी इंतजार कर रहे थे और उन्होंने सबसे पहले गोलीबारी की. इसके कारण सेना के दो अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी शहीद हो गए. 'उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन में सात दिन लगे और सफलतापूर्वक चलाया गया. ऑपरेशन में सुरक्षाकर्मी लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकवादी उजैर खान को उसके सहयोगी के साथ मारने में कामयाब रहे.