नई दिल्ली : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आंतकवादी संगठनों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्लू) की गतिविधियां बढ़ रही हैं. घाटी में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की बढ़ती गतिविधियां सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी हैं. सूत्रों ने ईटीवी भारत ने ईटीवी भारत को बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ओडब्ल्यूजी (हाइब्रिड आतंकवादी) का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया है.
एनआईए का मानना है कि ओजीडब्ल्यू आतंकवादी कार्यकर्ताओं को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने में मदद करने में भी शामिल हैं. भारत के आतंकवाद विरोधी संगठन के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि वे स्थिति की निगरानी के लिए नवगठित राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) के साथ लगातार संपर्क में हैं.
सूत्रों ने कहा कि अन्य एजेंसियों के साथ स्थिति की निगरानी के लिए जम्मू-कश्मीर में एक वरिष्ठ स्तर का अधिकारी तैनात है. एनआईए का मानना है कि ओजीडब्ल्यू सीमा पार से हथियारों की खेप लाने में शामिल हो सकता है. सूत्रों ने कहा कि ओजीडब्ल्यू स्थानीय लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है और यही वजह है कि उन्हें अब भी उनका समर्थन मिल रहा है.
गौरतलब है कि हाल में एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग में कई जगहों पर छापेमारी की है, लेकिन ऐसे ओजीडब्ल्यू की गतिविधियों के दिन-प्रतिदिन बढ़ने के साथ एनआईए ने उन मामलों की भी निगरानी शुरू कर दी है, जहां ऐसे कार्यकर्ताओं की संलिप्तता पाई जाती है.
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सूत्रों ने कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि ऐसे ओजीडब्ल्यू न केवल जम्मू-कश्मीर में व्यावसायिक क्षेत्र में मौजूद हैं, बल्कि वे सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में भी मौजूद हो सकते हैं.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर पुलिस के दागी अधिकारी दविंदर सिंह को पिछले साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया था, जब वह प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों को लेकर जम्मू ले कर जा रहा था. गौर हो कि सितंबर में जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने चार कर्मचारियों को आतंकी लिंक के लिए बर्खास्त कर दिया था. बताया जा रहा था कि बर्खास्त कर्मचारी ओजीडब्ल्यू के पद पर कार्यरत थे.
पिछले महीने एनआईए ने जम्मू-कश्मीर के छह जिलों में छापेमारी की है. आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते आठ लोगों को गिरफ्तार भी किया था.