नई दिल्ली : भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोप में कोर्ट ने सजा का एलान किया है. एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोप में मोहम्मद शफी शाह (Md Shafi Shah) और मुजफ्फर अहमद डार (Muzaffar Ahmad Dar) को 12 साल की कैद सुनाई.
वहीं, अन्य आरोपी तालिब लाली (Talib Lali ) और मुश्ताक अहमद लोन (Mushtaq Ahmad Lone ) को 10 साल कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने पाया कि यह सभी हिजबुल मुजाहिदीन के पदाधिकारी हैं.
इससे पहले दिल्ली की विशेष अदालत ने जम्मू कश्मीर प्रभावित राहत ट्रस्ट (JKART) टेरर फंडिंग मामले में चार लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे. आरोप है कि ट्रस्ट एक ऐसा मोर्चा था जिसके जरिए भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 2004 से 2011 के बीच हिजबुल मुजाहिदीन को 80 करोड़ रुपये मिले.
इससे पहले एनआईए की विशेष अदालत, पटियाला हाउस ने मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, मुजफ्फर अहमद डार और मुश्ताक अहमद लोन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय किए थे.
बता दें कि एनआईए ने 2011 में मामला दर्ज किया था. एजेंसी के अनुसार, मोहम्मद शफी शाह हिजबुल का एक सक्रिय आतंकवादी था, जिसने पाकिस्तान से धन एकत्र किया और उसे जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठन के सदस्यों को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वितरित किया.
पढ़ें - पाक मंत्री के बेतुके बोल- 'पाकिस्तान की टीम के साथ थे भारत के मुसलमानों के जज्बात'
एजेंसी ने कहा कि तालिब लाली एक सह-साजिशकर्ता था और शाह से धन इकट्ठा करता था और उन्हें कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के बीच वितरित करता था. उन पर युवाओं को हिजबुल में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का भी आरोप है. मुजफ्फर अहमद डार हिजबुल का मुख्य ऑपरेशन कमांडर था और उसने धन जुटाकर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची.
एनआईए ने कहा, मुश्ताक अहमद लोन हिजबुल के पाकिस्तान स्थित शीर्ष नेता जफर हुसैन भट्ट के संपर्क में था, जो इसके वित्त का प्रबंधन करता है. एजेंसी ने कहा कि लोन ने पाकिस्तान से हवाला, मानव कोरियर आदि के माध्यम से धन प्राप्त किया और उसे हिजबुल सदस्यों और मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को वितरित किया.