श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के युवा नेता वहीद पारा (PDP leader Waheed Para) की याचिका को एनआईए की विशेष कोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने फैलोशिप के लिए यूएसए जाने की अनुमति मांगी थी. बता दें कि येल विश्वविद्यालय में 3 महीने के शांति फेलोशिप कार्यक्रम में दाखिला लेने के लिए रहमान पारा ने यूएसए की यात्रा करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था. इस संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम के तहत नामित श्रीनगर की एक विशेष अदालत ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पारा पर स्थानीय और विदेशी दोनों उग्रवादियों के साथ-साथ उग्रवादी समूहों और अभियानों को प्रायोजित करने, समर्थन करने और सक्षम का आरोप लगाया गया है.
कोर्ट ने पाया है कि पारा पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के कई नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें अपराधों के लिए मृत्युदंड और जेल में आजीवन कारावास तक का प्रावधान हैं. इस संबंध में विशेष न्यायाधीश सदीप गंडोत्रा ने कहा कि इस बात की चिंता है कि पारा भारत छोड़ सकता है साथ ही वह सबूत जुटाने में बाधा डाल सकता है. आदेश में कहा गया है कि आवेदक देश से भाग रहा है और वह संयुक्त राज्य अमेरिका में साक्ष्य संग्रह को बाधित करने की कोशिश कर रहा है जिसके लिए एमएलएटी अनुरोध भारत सरकार के माध्यम से भेजा गया है.
बता दें कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय ने 25 मई, 2022 को कई प्रतिबंधों के साथ वहीद पारा को जमानत दी थी. जिसमें कहा गया था कि वह ट्रायल कोर्ट की पूर्व स्वीकृति के बिना जम्मू-कश्मीर नहीं छोड़ेंगे. इसके अलावा उन्हें अपना पासपोर्ट जांच अधिकारी को सौंपने के लिए कहा गया था. इसी क्रम में आवेदन पर लोक अभियोजक (पीपी) द्वारा आपत्ति की गई, जिन्होंने कहा कि फेलोशिप पारा के खिलाफ जांच और मुकदमे में बाधा डालने का एक प्रयास था. इसके अतिरिक्त, लोक अभियोजक ने कहा कि यूएपीए की धारा 51 पारा को प्रस्थान करने की अनुमति देने पर रोक लगाती है क्योंकि उसके पासपोर्ट को जब्त कर लिया गया माना गया है. विशेष अदालत ने धारा 51, यूएपीए के संबंध में लोक अभियोजक के तर्क को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि ट्रायल कोर्ट के पास यह निर्धारित करने का विवेक है कि कितने समय के लिए मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर पासपोर्ट को ज़ब्त किया जाना चाहिए और यहां तक कि इसे जारी करना है या नहीं. हालांकि, कोर्ट ने चिंता के कारण पारा के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि विदेश जाने की अनुमति से उसके खिलाफ जांच और मुकदमे में बाधा आ सकती है.
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