नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न और पुलिस उदासीनता की शिकार महिला द्वारा अगस्त में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के बाहर खुद को आग लगाने की घटना को लेकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुखों को नोटिस भेजा है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.
नोटिस जारी करते हुए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि यह 'चौंकाने वाला' है कि महिला व्यवस्था से पीड़ित महसूस कर रही थी. एनएचआरसी ने एक बयान में कहा, 'राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक शिकायत का संज्ञान लिया है कि कथित यौन उत्पीड़न और पुलिस की उदासीनता की शिकार एक महिला ने 16 अगस्त, 2021 को नयी दिल्ली में उच्चतम न्यायालय के बाहर एक पुरुष के साथ खुद को आग लगा ली. इसके बाद आरएमएल अस्पताल में इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई.'
आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में एक विस्तृत रिपोर्ट देने और आरोपी लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने को कहा है.
बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के डीजीपी को पीड़ितों के परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है.
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आयोग ने एक बयान में कहा कि कथित तौर पर, खुद को जलाने से पहले, उन्होंने (पीड़ितों ने) फेसबुक पर एक लाइव वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें महिला ने कहा था कि जून 2019 में उसने उत्तर प्रदेश के एक सांसद के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था, लेकिन आरोपी पुलिस अधिकारी अपराधी का समर्थन कर रहे हैं. बयान में कहा गया है, 'बताया जाता है कि पुलिस ने आरोपी सांसद के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पीड़ित के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया.' महिला और पुरुष द्वारा आत्मदाह का प्रयास करने के बाद, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया था. पुलिस को संदेह था कि पुरुष ने महिला को यह कदम उठाने के लिए उकसाया.
पीड़ित ने कहा था कि वह उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से है और 2019 में बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय ने उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था. सांसद पिछले दो साल से इस मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
इससे पहले पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि पुरुष और महिला ने आत्मदाह का कठोर कदम इसलिए उठाया क्योंकि बलात्कार मामले में उम्र का कथित तौर पर गलत प्रमाण देने के मामले में अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. फेसबुक पर डाले गए वीडियो में महिला ने गैर-जमानती वारंट और जज द्वारा उसे समन किए जाने का जिक्र किया है.
(पीटीआई-भाषा)