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पंजाब सरकार अवैध पेड़ कटान रोकने के लिए पॉलिसी बनाए : एनजीटी - नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

पंजाब में घटते वन क्षेत्र को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चिंता जताई है. एनजीटी ने पंजाब सरकार को इस संबंध में नीति बनाने का आदेश दिया है.

NGT DELHI
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण
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Published : Jul 30, 2023, 9:40 PM IST

लुधियाना: पंजाब में लगभग दो वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में गिरावट को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने चिंता जताई है. एनजीटी ने राज्य सरकार को पेड़ों की बड़े पैमाने पर हो रही कटाई को रोकने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया है. लुधियाना पब्लिक एक्शन कमेटी के सदस्यों ने एनजीटी के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसके बाद ये निर्देश दिए गए हैं.

शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव को तीन महीने के भीतर इस संबंध में नीति बनाने के निर्देश जारी किया गया है. दरअसल लुधियाना की पब्लिक एक्शन कमेटी के सदस्य कपिल अरोड़ा, कर्नल जसजीत सिंह और कुलदीप खैरा द्वारा दायर याचिका के अनुसार, विकास के नाम पर 500 से अधिक पेड़ काट दिए गए.

उन्होंने शिकायत की कि सिविल अस्पताल, पुलिस कमिश्नर कार्यालय और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय समेत लुधियाना के सरकारी संस्थानों में भी पेड़ काटे गए हैं. इस मामले की सुनवाई एनजीटी ने पर्यावरण उल्लंघन अधिनियम 1986 और अनुच्छेद 51ए के तहत की. एनजीटी ने लुधियाना नगर निगम को पेड़ काटने वालों के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करने की सिफारिश करने के लिए कहा है.

कपिल अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली समेत कई राज्य पहले ही पेड़ों की अवैध कटाई से निपटने के लिए नीति लागू कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि अपराधियों के लिए सख्त सजा होनी चाहिए. यही बात दोहराते हुए कर्नल जसजीत सिंह गिल ने कहा कि पेड़ हमारे संसाधन हैं. गिल ने कहा कि देश भर में मौजूदा बाढ़ जैसी स्थिति के पीछे एक बड़ा कारण मौसम में बदलाव है, जो पेड़ों की कटाई के कारण हुआ है.

पिछली सरकार के कई मंत्रियों पर भी अवैध रूप से पेड़ काटने का आरोप लगा है. पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धरम पर पंजाब की कांग्रेस सरकार के दौरान 25,000 से ज्यादा पेड़ काटकर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगा था.

2020 में इस संबंध में एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वन विभाग के अधिकारी प्रति पेड़ 500 रुपये रिश्वत देने की बात कर रहे थे. पूर्व मंत्री पर ठेकेदारों से प्रति पेड़ 500 रुपये लेने का भी आरोप था, इस संबंध में एक मामला अभी भी अदालत में लंबित है.

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लुधियाना: पंजाब में लगभग दो वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में गिरावट को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने चिंता जताई है. एनजीटी ने राज्य सरकार को पेड़ों की बड़े पैमाने पर हो रही कटाई को रोकने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया है. लुधियाना पब्लिक एक्शन कमेटी के सदस्यों ने एनजीटी के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसके बाद ये निर्देश दिए गए हैं.

शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव को तीन महीने के भीतर इस संबंध में नीति बनाने के निर्देश जारी किया गया है. दरअसल लुधियाना की पब्लिक एक्शन कमेटी के सदस्य कपिल अरोड़ा, कर्नल जसजीत सिंह और कुलदीप खैरा द्वारा दायर याचिका के अनुसार, विकास के नाम पर 500 से अधिक पेड़ काट दिए गए.

उन्होंने शिकायत की कि सिविल अस्पताल, पुलिस कमिश्नर कार्यालय और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय समेत लुधियाना के सरकारी संस्थानों में भी पेड़ काटे गए हैं. इस मामले की सुनवाई एनजीटी ने पर्यावरण उल्लंघन अधिनियम 1986 और अनुच्छेद 51ए के तहत की. एनजीटी ने लुधियाना नगर निगम को पेड़ काटने वालों के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करने की सिफारिश करने के लिए कहा है.

कपिल अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली समेत कई राज्य पहले ही पेड़ों की अवैध कटाई से निपटने के लिए नीति लागू कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि अपराधियों के लिए सख्त सजा होनी चाहिए. यही बात दोहराते हुए कर्नल जसजीत सिंह गिल ने कहा कि पेड़ हमारे संसाधन हैं. गिल ने कहा कि देश भर में मौजूदा बाढ़ जैसी स्थिति के पीछे एक बड़ा कारण मौसम में बदलाव है, जो पेड़ों की कटाई के कारण हुआ है.

पिछली सरकार के कई मंत्रियों पर भी अवैध रूप से पेड़ काटने का आरोप लगा है. पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धरम पर पंजाब की कांग्रेस सरकार के दौरान 25,000 से ज्यादा पेड़ काटकर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगा था.

2020 में इस संबंध में एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वन विभाग के अधिकारी प्रति पेड़ 500 रुपये रिश्वत देने की बात कर रहे थे. पूर्व मंत्री पर ठेकेदारों से प्रति पेड़ 500 रुपये लेने का भी आरोप था, इस संबंध में एक मामला अभी भी अदालत में लंबित है.

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