कटक : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ओडिशा सरकार की महत्वाकांक्षी 'बाली जात्रा' परियोजना पर पाबंदी लगा दी है, जिसके लिए कटक जिला प्रशासन ने महानदी नदी तट की 426 एकड़ भूमि पर पुनः दावा किया था. पर्यावरणविदों ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बाली जात्रा तटबंध या बर्फी परियोजना के तहत जिला प्रशासन ने कटक में जोबरा बैराज के पास नदी के बाढ़ प्रभावित मैदानी क्षेत्र में बालू और कचरा फेंककर उस पर पुनः कब्जा कर लिया था.
इस वजह से अधिकरण ने 34 एकड़ की मूल बाली जात्रा भूमि पर प्रशासन का कब्जा बरकरार रहने दिया. हालांकि, यह भी बाढ़ प्रभावित मैदानी इलाके में आता है. एनजीटी ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि लंबे समय से वहां ऐतिहासिक वार्षिक मेला लगता है. 'बाली जात्रा' एशिया के सबसे बड़े खुले मेलों में से एक है. पर्यावरणविदों ने कहा कि इस कदम के कारण बैराज की पानी वहन करने की क्षमता कथित तौर पर कम हुई और आसपास के कम से कम 38 गांवों के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया.
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस ए. के. गोयल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा कि पुनः कब्जे में ली गई जमीन पर निर्माण कार्य कराने की राज्य सरकार की योजना को स्वीकार करना कठिन है. वकील प्रदीप पटनायक की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी के पूर्वी जोन ने कहा, 'बाढ़ का खतरा स्पष्ट रूप से दिख रहा है. हम एनजीटी अधिनियम की धारा-20 के तहत एहतियाती सिद्धांत का पालन करेंगे.'