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पटाखों पर एनजीटी का प्रतिबंध, पर्यावरण विशेषज्ञों ने की सराहना - ngt ban on firecrackers

पर्यावरण विशेषज्ञों ने एनजीटी के पटाखों के उपयोग या बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्र पहले से ही कोरोना वायरस महामारी के स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कर रहा है. त्योहारों पर पटाखे फोड़ने से स्थिति और खराब हो सकती है.

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Published : Nov 9, 2020, 9:58 PM IST

नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को खराब श्रेणी हवा की गुणवत्ता वाले शहरों में 10 से 30 नवंबर के बीच सभी तरह के पटाखों के उपयोग या बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध का हवाला दिया. पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्र पहले से ही कोरोना वायरस महामारी के स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कर रहा है. त्योहारों पर पटाखे फोड़ने से स्थिति और खराब हो सकती है.


एनजीटी के आदेश पर पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने कहा कि हम मुसीबत के समय में जी रहे हैं. हम स्वास्थ्य आपातकाल में हैं. हमें स्वच्छ हवा के बारे में सोचना होगा. दुर्भाग्य से, पटाखों से हवा को और नुकसान होगा. हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि उत्तर भारत का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब है. दिल्ली के कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगभग 700 है. कोविड संकट को देखते हुए हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उन क्षेत्रों में 'ग्रीन पटाखे' की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी, जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम या उससे नीचे की श्रेणी में हैं. एनजीटी के आदेश में यह भी नोट है कि ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, दिल्ली और चंडीगढ़ में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया गया था.

पर्यावरणविद ने कहा कि कोविड ​​और वायु प्रदूषण के लिए हमें सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए. पटाखे बेहद प्रदूषणकारी हैं. हमने पिछले कुछ वर्षों में देखा है कि दीपावली के कुछ दिनों बाद प्रदूषण का स्तर लगभग 20-25% बढ़ जाता है. ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियों सहित विभिन्न प्राधिकरणों को भी निर्देश दिया कि वे विभिन्न स्रोतों से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अभियान शुरू करें.

पढ़ें-एनजीटी का फरमान- दिल्ली-एनसीआर में 30 नवंबर तक नहीं बिकेंगे पटाखे

जमीन पर इस प्रतिबंध के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर देते हुए विमलेन्दु झा ने कहा कि नागरिकों का प्रतिबंध को पालन करना महत्वपूर्ण है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रतिबंध का वास्तव में जमीन पर पालन किया जा रहा है. सिर्फ प्रतिबंध लगाने से कुछ नहीं होगा, जब तक कि इसे जमीन पर लागू नहीं किया जाता है. इससे पहले आज हरियाणा सरकार ने पटाखों की बिक्री से प्रतिबंध हटा दिया था. साथ ही दीपावली और गुरुपर्व पर दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखे के उपयोग की अनुमति दी थी. हालांकि, एनजीटी के आदेश के बाद ये छूट हरियाणा के एनसीआर जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और रोहतक पर लागू नहीं हो सकती है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राज पंजवानी (मामले में उपस्थित पक्ष के वकील भी थे) ने कहा कि अब हरियाणा सरकार द्वारा दो घंटे तक ग्रीन पटाखे के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश अमान्य है, बशर्ते वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से ऊपर हो. यह पूछे जाने पर कि क्या आदेश बहुत देर से आया है, क्योंकि दुकानदारों को ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किए जा रहे थे. उन्होंने जवाब दिया कि प्रदूषण की जांच करने में कभी देर नहीं की जा सकती. यदि आप कभी प्रदूषण की जांच नहीं करेंगे, तो यह कभी समाप्त नहीं होगा. आपको उन आदेशों को पारित करने की आवश्यकता है, जो प्रदूषण को खत्म कर देंगे. सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता लगातार तीसरे दिन गंभीर श्रेणी में बनी हुई है.

नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को खराब श्रेणी हवा की गुणवत्ता वाले शहरों में 10 से 30 नवंबर के बीच सभी तरह के पटाखों के उपयोग या बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध का हवाला दिया. पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्र पहले से ही कोरोना वायरस महामारी के स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कर रहा है. त्योहारों पर पटाखे फोड़ने से स्थिति और खराब हो सकती है.


एनजीटी के आदेश पर पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने कहा कि हम मुसीबत के समय में जी रहे हैं. हम स्वास्थ्य आपातकाल में हैं. हमें स्वच्छ हवा के बारे में सोचना होगा. दुर्भाग्य से, पटाखों से हवा को और नुकसान होगा. हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि उत्तर भारत का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब है. दिल्ली के कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगभग 700 है. कोविड संकट को देखते हुए हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उन क्षेत्रों में 'ग्रीन पटाखे' की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी, जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम या उससे नीचे की श्रेणी में हैं. एनजीटी के आदेश में यह भी नोट है कि ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, दिल्ली और चंडीगढ़ में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया गया था.

पर्यावरणविद ने कहा कि कोविड ​​और वायु प्रदूषण के लिए हमें सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए. पटाखे बेहद प्रदूषणकारी हैं. हमने पिछले कुछ वर्षों में देखा है कि दीपावली के कुछ दिनों बाद प्रदूषण का स्तर लगभग 20-25% बढ़ जाता है. ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियों सहित विभिन्न प्राधिकरणों को भी निर्देश दिया कि वे विभिन्न स्रोतों से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अभियान शुरू करें.

पढ़ें-एनजीटी का फरमान- दिल्ली-एनसीआर में 30 नवंबर तक नहीं बिकेंगे पटाखे

जमीन पर इस प्रतिबंध के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर देते हुए विमलेन्दु झा ने कहा कि नागरिकों का प्रतिबंध को पालन करना महत्वपूर्ण है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रतिबंध का वास्तव में जमीन पर पालन किया जा रहा है. सिर्फ प्रतिबंध लगाने से कुछ नहीं होगा, जब तक कि इसे जमीन पर लागू नहीं किया जाता है. इससे पहले आज हरियाणा सरकार ने पटाखों की बिक्री से प्रतिबंध हटा दिया था. साथ ही दीपावली और गुरुपर्व पर दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखे के उपयोग की अनुमति दी थी. हालांकि, एनजीटी के आदेश के बाद ये छूट हरियाणा के एनसीआर जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और रोहतक पर लागू नहीं हो सकती है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राज पंजवानी (मामले में उपस्थित पक्ष के वकील भी थे) ने कहा कि अब हरियाणा सरकार द्वारा दो घंटे तक ग्रीन पटाखे के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश अमान्य है, बशर्ते वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से ऊपर हो. यह पूछे जाने पर कि क्या आदेश बहुत देर से आया है, क्योंकि दुकानदारों को ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किए जा रहे थे. उन्होंने जवाब दिया कि प्रदूषण की जांच करने में कभी देर नहीं की जा सकती. यदि आप कभी प्रदूषण की जांच नहीं करेंगे, तो यह कभी समाप्त नहीं होगा. आपको उन आदेशों को पारित करने की आवश्यकता है, जो प्रदूषण को खत्म कर देंगे. सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता लगातार तीसरे दिन गंभीर श्रेणी में बनी हुई है.

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