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Mumbai ATS report : 'धार्मिक गतिविधियों से जुड़े एनजीओ और एनपीओ पर निगरीनी की जरूरत' - गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट

मुंबई एटीएस के एक अफसर ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है जिसमें धार्मिक गतिविधियों से जुड़े एनजीओ और एनपीओ पर निगरीनी करने की जरूरत पर जोर दिया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Mumbai ATS report
आतंकवाद विरोधी दस्ता
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Published : Feb 23, 2023, 10:53 PM IST

नई दिल्ली: आतंकवादी संगठन मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाकर भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. ऐसे में मुंबई आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा है कि गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), गैर लाभकारी संगठन (एनपीओ) के धार्मिक गतिविधियों संबंधी काम को बारीकी से देखा जाना चाहिए.

गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में मुंबई एटीएस के उप महानिरीक्षक परमजीत दहिया ने कहा कि ' धार्मिक गतिविधियों में काम करने वाले एनजीओ/एनपीओ पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है. एनजीओ, चैरिटी और दान कट्टरपंथी संगठनों के लिए धन का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं. इन फंडों का दावा ज्यादातर धार्मिक अपील, जबरदस्ती और पीड़ित होने की आशंका के जरिए किया जाता है. पीएफआई कैडर द्वारा रसीद दिए बिना जकात का संग्रह इसका एक उदाहरण है.'

ईटीवी भारत के पास मौजूद रिपोर्ट में दहिया ने कहा कि टोर ब्राउजर जैसे प्राइवेसी टूल्स के आने से ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन एक बड़ी चिंता का विषय है. दहिया ने कहा कि 'इन कट्टरपंथी संगठनों के सदस्यों की पहचान करने और उन पर नज़र रखने के लिए बड़े पैमाने पर बड़े डेटा विश्लेषण का उपयोग किया जाना चाहिए. मशीन लर्निंग तकनीकों में तेजी से हुई प्रगति बड़े पैमाने पर व्यापक निगरानी लागू करने और अधिक से अधिक व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने की अनुमति देती है. एलईए को इन उपकरणों का सक्रिय तरीके से उपयोग करना चाहिए.'

कट्टरता के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए दहिया ने कहा कि धार्मिक कट्टरवाद में वृद्धि इतिहास और दर्स-ए-कुरान (Dars-eQuran), अहले-हदीस (Ahle-Hadith) आदि जैसे निरंतर धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने के कारण हुई है. इंटरनेट जैसे संचार के आधुनिक साधन, कोडित और एन्क्रिप्टेड रूप में मेल, सीमा पार आतंकवाद और इसके बाद के प्रभाव प्रमुख चिंताएं हैं.

दहिया ने कहा कि पाकिस्तान इन कट्टरपंथी संगठनों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. आईआरएफ विचारधाराओं का प्रभाव, मुस्लिम लड़के खाड़ी में जा रहे हैं और धन और कट्टरपंथी विचारधाराओं के साथ वापस आ रहे हैं. कट्टरता अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के साथ हताशा के अलावा स्थानीय स्तर पर व्यक्तिगत चिंताओं से प्रेरित है. आतंकवादी कट्टरता एक गतिशील प्रक्रिया है.

दहिया ने कहा कि आरबीआई को डिजिटल मुद्रा प्रणाली के लिए जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए मानदंड स्थापित करने पर विचार करना चाहिए. दहिया ने कहा कि कुछ नई तकनीकों, जैसे कि डिजिटल मुद्राओं ने भुगतान प्रणालियों को सक्षम किया है जो किसी एक क्षेत्राधिकार में तय नहीं हैं, लेकिन इंटरनेट के माध्यम से कई अधिकार क्षेत्रों में फैली हुई हैं. ऐसी प्रणालियां नियामकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए न्यायिक चुनौतियां पैदा करती हैं.

उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस थाना स्तर पर इन कट्टरपंथी संगठनों की निगरानी समय रहते करे ये जरूरी है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में, जिला मुख्यालयों पर आतंकवाद-रोधी शाखा (ATB) और प्रत्येक पुलिस स्टेशन में आतंकवाद-रोधी प्रकोष्ठ (ATC) ऐसे कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियों पर निगरानी रखने और शीघ्र खुफिया जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ साझा करने के लिए स्थापित किए गए हैं. इस मॉडल को कहीं और दोहराया जा सकता है.

डी-रेडिकलाइजेशन किए जाने की आवश्यकता : उन्होंने कहा कि इन संगठनों के सदस्यों का डी-रेडिकलाइजेशन किए जाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए एटीएस महाराष्ट्र ने 141 कट्टरपंथी युवाओं को उनके परिवार के सदस्यों और धार्मिक नेताओं के माध्यम से परामर्श देकर उनकी पहचान की और उन्हें डी-रेडिकलाइज किया. एटीएस, महाराष्ट्र इन डी-रेडिकलाइज़्ड युवाओं के साथ लगातार संपर्क में है ताकि उन्हें किसी भी कट्टरपंथी संगठन में फिर से शामिल होने से रोका जा सके.

दहिया ने कहा कि इंटरनेट आज सूचना का सबसे बड़ा माध्यम है और भारत से नवीनतम मामलों में देखा गया है आईएसआईएस, पनवेल (आरीब मजीद) द्वारा भर्ती का मामला, आईएसआईएस, बैंगलोर (मेहदी मसरूर बिस्वास) की इस्लामी विचारधारा का ऑनलाइन प्रचार. यह स्पष्ट है कि खतरा हमारे दरवाजे पर आ गया है और इस बात की पूरी संभावना है कि यदि ये कट्टरपंथी युवा अपने जिहादी अभियान से लौटते हैं तो वे देश के भीतर आसान लक्ष्यों पर हमला करके 'आगे बढ़ने की कार्रवाई' की तैयारी में शामिल हो सकते हैं.

पढ़ें- Maharashtra ATS On PFI : भारत को 2047 तक इस्लामी देश बनाना चाहता था PFI: महाराष्ट्र एटीएस

नई दिल्ली: आतंकवादी संगठन मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाकर भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. ऐसे में मुंबई आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा है कि गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), गैर लाभकारी संगठन (एनपीओ) के धार्मिक गतिविधियों संबंधी काम को बारीकी से देखा जाना चाहिए.

गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में मुंबई एटीएस के उप महानिरीक्षक परमजीत दहिया ने कहा कि ' धार्मिक गतिविधियों में काम करने वाले एनजीओ/एनपीओ पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है. एनजीओ, चैरिटी और दान कट्टरपंथी संगठनों के लिए धन का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं. इन फंडों का दावा ज्यादातर धार्मिक अपील, जबरदस्ती और पीड़ित होने की आशंका के जरिए किया जाता है. पीएफआई कैडर द्वारा रसीद दिए बिना जकात का संग्रह इसका एक उदाहरण है.'

ईटीवी भारत के पास मौजूद रिपोर्ट में दहिया ने कहा कि टोर ब्राउजर जैसे प्राइवेसी टूल्स के आने से ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन एक बड़ी चिंता का विषय है. दहिया ने कहा कि 'इन कट्टरपंथी संगठनों के सदस्यों की पहचान करने और उन पर नज़र रखने के लिए बड़े पैमाने पर बड़े डेटा विश्लेषण का उपयोग किया जाना चाहिए. मशीन लर्निंग तकनीकों में तेजी से हुई प्रगति बड़े पैमाने पर व्यापक निगरानी लागू करने और अधिक से अधिक व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने की अनुमति देती है. एलईए को इन उपकरणों का सक्रिय तरीके से उपयोग करना चाहिए.'

कट्टरता के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए दहिया ने कहा कि धार्मिक कट्टरवाद में वृद्धि इतिहास और दर्स-ए-कुरान (Dars-eQuran), अहले-हदीस (Ahle-Hadith) आदि जैसे निरंतर धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने के कारण हुई है. इंटरनेट जैसे संचार के आधुनिक साधन, कोडित और एन्क्रिप्टेड रूप में मेल, सीमा पार आतंकवाद और इसके बाद के प्रभाव प्रमुख चिंताएं हैं.

दहिया ने कहा कि पाकिस्तान इन कट्टरपंथी संगठनों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. आईआरएफ विचारधाराओं का प्रभाव, मुस्लिम लड़के खाड़ी में जा रहे हैं और धन और कट्टरपंथी विचारधाराओं के साथ वापस आ रहे हैं. कट्टरता अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के साथ हताशा के अलावा स्थानीय स्तर पर व्यक्तिगत चिंताओं से प्रेरित है. आतंकवादी कट्टरता एक गतिशील प्रक्रिया है.

दहिया ने कहा कि आरबीआई को डिजिटल मुद्रा प्रणाली के लिए जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए मानदंड स्थापित करने पर विचार करना चाहिए. दहिया ने कहा कि कुछ नई तकनीकों, जैसे कि डिजिटल मुद्राओं ने भुगतान प्रणालियों को सक्षम किया है जो किसी एक क्षेत्राधिकार में तय नहीं हैं, लेकिन इंटरनेट के माध्यम से कई अधिकार क्षेत्रों में फैली हुई हैं. ऐसी प्रणालियां नियामकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए न्यायिक चुनौतियां पैदा करती हैं.

उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस थाना स्तर पर इन कट्टरपंथी संगठनों की निगरानी समय रहते करे ये जरूरी है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में, जिला मुख्यालयों पर आतंकवाद-रोधी शाखा (ATB) और प्रत्येक पुलिस स्टेशन में आतंकवाद-रोधी प्रकोष्ठ (ATC) ऐसे कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियों पर निगरानी रखने और शीघ्र खुफिया जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ साझा करने के लिए स्थापित किए गए हैं. इस मॉडल को कहीं और दोहराया जा सकता है.

डी-रेडिकलाइजेशन किए जाने की आवश्यकता : उन्होंने कहा कि इन संगठनों के सदस्यों का डी-रेडिकलाइजेशन किए जाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए एटीएस महाराष्ट्र ने 141 कट्टरपंथी युवाओं को उनके परिवार के सदस्यों और धार्मिक नेताओं के माध्यम से परामर्श देकर उनकी पहचान की और उन्हें डी-रेडिकलाइज किया. एटीएस, महाराष्ट्र इन डी-रेडिकलाइज़्ड युवाओं के साथ लगातार संपर्क में है ताकि उन्हें किसी भी कट्टरपंथी संगठन में फिर से शामिल होने से रोका जा सके.

दहिया ने कहा कि इंटरनेट आज सूचना का सबसे बड़ा माध्यम है और भारत से नवीनतम मामलों में देखा गया है आईएसआईएस, पनवेल (आरीब मजीद) द्वारा भर्ती का मामला, आईएसआईएस, बैंगलोर (मेहदी मसरूर बिस्वास) की इस्लामी विचारधारा का ऑनलाइन प्रचार. यह स्पष्ट है कि खतरा हमारे दरवाजे पर आ गया है और इस बात की पूरी संभावना है कि यदि ये कट्टरपंथी युवा अपने जिहादी अभियान से लौटते हैं तो वे देश के भीतर आसान लक्ष्यों पर हमला करके 'आगे बढ़ने की कार्रवाई' की तैयारी में शामिल हो सकते हैं.

पढ़ें- Maharashtra ATS On PFI : भारत को 2047 तक इस्लामी देश बनाना चाहता था PFI: महाराष्ट्र एटीएस

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