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प्रजनन दर में कमी का असर : देश में बढ़ेगी बुजुर्गों की तादाद, भारत की आबादी में होगी गिरावट

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, भारत में प्रजनन दर जिस स्तर से कम हो रहा है, उससे जनसंख्या विस्फोट की अवधारणाओं को चुनौती मिली है. अभी तक जारी किए कई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अगले 25 साल में भारत की आबादी शिशु मत्यु दर में कमी और जीवन प्रत्याशा बढ़ने के कारण बढ़ेगी. मगर जन्म दर में हो रही लगातार कमी के कारण एक समय ऐसा भी आएगा, जब देश की आबादी कम होने लगेगी.

National Family and Health Survey-5
National Family and Health Survey-5
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Published : Nov 25, 2021, 5:47 PM IST

हैदराबाद : आपको याद है कि आपने 'हम दो, हमारे दो ' नारे वाले पोस्टर कहां देखें है. अगर देखा भी है तो कब देखा है. जाहिर तौर पर कुछ पुराने अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्र, जिनकी रंगाई पुताई कभी नहीं हुई. ये पोस्टर वहीं दिख जाते हैं. भले ही यह नारा अब दिखता नहीं है, भारतीय हम दो हमारे हमारे दो के फॉर्मूले को पूरी तरह चल चुके हैं. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है. परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने वाले लोगों की तादाद भी काफी बढ़ी है. इसका नतीजा यह है कि भारतीय बिना शोर-शराबे से पॉपुलेशन कंट्रोल कर रहे हैं.

National Family and Health Survey-5
अब सरकार भी एक बच्चे वाले पोस्टर से लोगों को प्रेरित कर रही है.

नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (National Family Health Survey-5) से भारत के लिए राहत भरी खबर आई है. देश में पहली बार महिलाओं की आबादी में इजाफा हुआ है. भारत में अब हर 1000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं. 2015-16 में हुए सर्वे में यह आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था. इससे अलावा एक और तथ्य ने लोगों का ध्यान खींचा है कि अब भारतीय महिला औसतन दो बच्चे ही पैदा करती हैं.

संयुक्त राष्ट्र की पॉपुलेशन डिविजन की रिपोर्ट के अनुसार. अगर किसी देश में प्रति महिला प्रजनन दर 2.1 बच्चे से कम हो रही हो तो इसका मतलब है कि वर्तमान पीढ़ी पर्याप्त बच्चे पैदा नहीं कर रही है, इस कारण आने वाले साल में जनसंख्या में कमी आएगी. मगर 2.1 की प्रजनन दर से भारत की आबादी में कितनी कमी आएगी, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सका है. देश के 19 राज्य ऐसे हैं , जहां प्रजनन दर ( TFR) 2 से भी नीचे चली गई है. हालांकि बिहार (3.0), मेघालय ( 2.9) , मणिपुर (2.2) उत्तर प्रदेश (2.4) और झारखंड (2.3) में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. फैमिली हेल्थ सर्वे का यह आंकड़ा 2019-21 का है.

National Family and Health Survey-5
अनुमान के मुताबिक, भारत की आबादी अगले 25 साल में पीक पर होगी.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग ने 2020 में अनुमान लगाया था कि 2030 तक भारत की आबादी 1.5 अरब तक पहुंच जाएगी और 2050 में 1.64 अरब हो जाएगी. मगर नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में प्रजनन दर में आई कमी से आबादी के इन अनुमानों में भारी गिरावट हो सकती है.

प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट ने भी 2020 की प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि 2047 तक भारत की आबादी अपनी पीक पर होगी, बुजुर्गों की आबादी बढ़ जाएगी. उसके बाद देश की आबादी में गिरावट होगी. लैंसेट से रिसर्चर्स का कहना था कि संयुक्त राष्ट्र 2011 की जनगणना के मिले प्रजनन दर से आबादी से अनुमान लगा रहा है जबकि 2010 से 2019 के बीच भारत की प्रजनन दर कम हो रहा है. दक्षिण भारत के राज्यों, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में जन्म प्रतिस्थापन दर 2031 तक 1.5 पर सिमट जाएगी.

रिसर्च रिपोर्टस के मुताबिक जिन राज्यों की आबादी में जेंडर बैलेंस नहीं है, उनकी राज्यों की आबादी में 2021-2041 के दौरान भारी गिरावट दर्ज की जाएगी. कम साक्षरता वाले राज्यों को छोड़ दिया जाए तो आने वाले समय में कई राज्यों में प्रजनन दर निगेटिव जा सकता है.

National Family and Health Survey-5
photo courtesy : unicef

क्यों कम हो रही है प्रजनन दर : महिला शिक्षा के स्तर बढ़ने के कारण परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता आई है. ज्यादा बच्चों की वजह से होने वाली आर्थिक परेशानियों की वजह से भी छोटे परिवार की चाहत बढ़ी है. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 66.7 प्रतिशत परिवार फैमिली प्लानिंग के तौर तरीकों को आजमा रहे हैं.

अब कम उम्र में शादी का चलन भी कम हुआ है. देश में शादी करने की उम्र में बढ़ोत्तरी हुई है. इसके अलावा लोग अब दो बच्चों की बीच अंतराल रख रहे हैं. ये तमाम वजह हैं जिसकी वजह से प्रजनन दर में गिरावट आ रही है. 2021-2031 के बीच कामकाजी महिलाओं की संख्या 9.7 मिलियन प्रति वर्ष बढ़ने की संभावना है. इस दौरान भारत में गर्भ धारण की दर में कमी रहने का अनुमान लगाया गया है. यानी 10 साल में प्रजनन दर का राष्ट्रीय औसत1.6 से1.8 प्रति महिला रह सकता हैं

तो क्या जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की जरूरत है : इस वर्ष ही असम और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की वकालत की थी. यूपी लॉ कमीशन की सिफारिशों के अनुसार, अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे कई सुविधाओं से वंचित कर दिया जाना चाहिए. साथ ही कुछ परिस्थितियां भी तय की गई हैं, जिनमें माता-पिता को तीसरा बच्चा पैदा करने की इजाजत मिलनी चाहिए. इन हालातों में जनसंख्या नियंत्रण कानून उन राज्यों में लागू किया जा सकता है, जहां की प्रजनन दर अभी भी 2.1 से अधिक है.

हैदराबाद : आपको याद है कि आपने 'हम दो, हमारे दो ' नारे वाले पोस्टर कहां देखें है. अगर देखा भी है तो कब देखा है. जाहिर तौर पर कुछ पुराने अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्र, जिनकी रंगाई पुताई कभी नहीं हुई. ये पोस्टर वहीं दिख जाते हैं. भले ही यह नारा अब दिखता नहीं है, भारतीय हम दो हमारे हमारे दो के फॉर्मूले को पूरी तरह चल चुके हैं. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है. परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने वाले लोगों की तादाद भी काफी बढ़ी है. इसका नतीजा यह है कि भारतीय बिना शोर-शराबे से पॉपुलेशन कंट्रोल कर रहे हैं.

National Family and Health Survey-5
अब सरकार भी एक बच्चे वाले पोस्टर से लोगों को प्रेरित कर रही है.

नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (National Family Health Survey-5) से भारत के लिए राहत भरी खबर आई है. देश में पहली बार महिलाओं की आबादी में इजाफा हुआ है. भारत में अब हर 1000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं. 2015-16 में हुए सर्वे में यह आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था. इससे अलावा एक और तथ्य ने लोगों का ध्यान खींचा है कि अब भारतीय महिला औसतन दो बच्चे ही पैदा करती हैं.

संयुक्त राष्ट्र की पॉपुलेशन डिविजन की रिपोर्ट के अनुसार. अगर किसी देश में प्रति महिला प्रजनन दर 2.1 बच्चे से कम हो रही हो तो इसका मतलब है कि वर्तमान पीढ़ी पर्याप्त बच्चे पैदा नहीं कर रही है, इस कारण आने वाले साल में जनसंख्या में कमी आएगी. मगर 2.1 की प्रजनन दर से भारत की आबादी में कितनी कमी आएगी, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सका है. देश के 19 राज्य ऐसे हैं , जहां प्रजनन दर ( TFR) 2 से भी नीचे चली गई है. हालांकि बिहार (3.0), मेघालय ( 2.9) , मणिपुर (2.2) उत्तर प्रदेश (2.4) और झारखंड (2.3) में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. फैमिली हेल्थ सर्वे का यह आंकड़ा 2019-21 का है.

National Family and Health Survey-5
अनुमान के मुताबिक, भारत की आबादी अगले 25 साल में पीक पर होगी.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग ने 2020 में अनुमान लगाया था कि 2030 तक भारत की आबादी 1.5 अरब तक पहुंच जाएगी और 2050 में 1.64 अरब हो जाएगी. मगर नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में प्रजनन दर में आई कमी से आबादी के इन अनुमानों में भारी गिरावट हो सकती है.

प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट ने भी 2020 की प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि 2047 तक भारत की आबादी अपनी पीक पर होगी, बुजुर्गों की आबादी बढ़ जाएगी. उसके बाद देश की आबादी में गिरावट होगी. लैंसेट से रिसर्चर्स का कहना था कि संयुक्त राष्ट्र 2011 की जनगणना के मिले प्रजनन दर से आबादी से अनुमान लगा रहा है जबकि 2010 से 2019 के बीच भारत की प्रजनन दर कम हो रहा है. दक्षिण भारत के राज्यों, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में जन्म प्रतिस्थापन दर 2031 तक 1.5 पर सिमट जाएगी.

रिसर्च रिपोर्टस के मुताबिक जिन राज्यों की आबादी में जेंडर बैलेंस नहीं है, उनकी राज्यों की आबादी में 2021-2041 के दौरान भारी गिरावट दर्ज की जाएगी. कम साक्षरता वाले राज्यों को छोड़ दिया जाए तो आने वाले समय में कई राज्यों में प्रजनन दर निगेटिव जा सकता है.

National Family and Health Survey-5
photo courtesy : unicef

क्यों कम हो रही है प्रजनन दर : महिला शिक्षा के स्तर बढ़ने के कारण परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता आई है. ज्यादा बच्चों की वजह से होने वाली आर्थिक परेशानियों की वजह से भी छोटे परिवार की चाहत बढ़ी है. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 66.7 प्रतिशत परिवार फैमिली प्लानिंग के तौर तरीकों को आजमा रहे हैं.

अब कम उम्र में शादी का चलन भी कम हुआ है. देश में शादी करने की उम्र में बढ़ोत्तरी हुई है. इसके अलावा लोग अब दो बच्चों की बीच अंतराल रख रहे हैं. ये तमाम वजह हैं जिसकी वजह से प्रजनन दर में गिरावट आ रही है. 2021-2031 के बीच कामकाजी महिलाओं की संख्या 9.7 मिलियन प्रति वर्ष बढ़ने की संभावना है. इस दौरान भारत में गर्भ धारण की दर में कमी रहने का अनुमान लगाया गया है. यानी 10 साल में प्रजनन दर का राष्ट्रीय औसत1.6 से1.8 प्रति महिला रह सकता हैं

तो क्या जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की जरूरत है : इस वर्ष ही असम और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की वकालत की थी. यूपी लॉ कमीशन की सिफारिशों के अनुसार, अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे कई सुविधाओं से वंचित कर दिया जाना चाहिए. साथ ही कुछ परिस्थितियां भी तय की गई हैं, जिनमें माता-पिता को तीसरा बच्चा पैदा करने की इजाजत मिलनी चाहिए. इन हालातों में जनसंख्या नियंत्रण कानून उन राज्यों में लागू किया जा सकता है, जहां की प्रजनन दर अभी भी 2.1 से अधिक है.

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