नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने आज भारत के 14वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. बता दें, जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का हराया था. इस मौके पर पीएम मोदी समेत तमाम केंद्रीय मंत्री और गणमान्य लोग मौजूद रहे.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सादे समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. शपथ लेते ही जगदीप धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति बन गए. बता दें, 6 अगस्त को हुए चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने कुल 725 मतों में से 528 मतों के साथ जीत हासिल की थी. वहीं, विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले, जबकि 15 मत अवैध करार दिए गए थे.
बता दें, चुनाव परिणामों की घोषणा करते हुए लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया था कि राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों और लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों वाले 780 मतदाताओं में से 725 मतदाताओं ने अपने मत डाले. कुल 92.94 प्रतिशत मतदान हुआ. सिंह ने बताया कि उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए पड़े 710 वैध मतों में से जगदीप धनखड़ को 528 सांसदों का वोट मिला.
वहीं, मार्गेट अल्वा के पक्ष में 182 सांसदों ने अपना वोट डाला. चुनाव में जीत हासिल करने के लिए 356 मत प्राप्त करना जरूरी था, लेकिन धनखड़ को इससे कहीं ज्यादा प्रथम वरीयता के वोट, 528 प्राप्त हुए और इस तरह से एनडीए उम्मीदवार धनखड़ ने भारी अंतर से विपक्षी दलों की संयुक्त उम्मीदवार को चुनाव हरा दिया.
जगदीप धनखड़ की पृष्ठभूमि
जगदीप धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू से एक किसान परिवार से आते हैं. पिता गोकुल चंद्र धनखड़ किसान थे. उनके पास राजनीति का करीब 30 वर्षों का अनुभव है. 1989 में वह सक्रिय राजनीति उतरे थे. धनखड़ पेशे से वकील भी है. कानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू कर दी थी और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट में वह सीनियर एडवोकेट बन गए. उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की. धनखड़ देश की गिनती देश के जाने-माने वकीलों में होती है.
पहली बार वह जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से सांसद चुने थे. 1990 में चंद्र शेखर सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री की भी जिम्मेदारी मिल चुकी है. 1993 से 98 तक वह धनखड़ विधायक भी रहे. भारत सरकार ने उन्हें 20 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद उन्होंने राज्यपाल के पद से इस्तीफ दे दिया था.