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अंतिम संस्कार को ले जाने के दौरान जिंदा हो गया मृत नवजात, अस्पताल ने बताया था मरा हुआ - अंतिम संस्कार से पहले जीवित हो गया बच्चा

कर्नाटक में निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने जीवित नवजात बच्चे को कथित तौर पर मृत बताकर उसके माता-पिता को सौंप दिया. परिवार बच्चे का अंतिम संस्कार करने वाला ही था, तभी एक रिश्तेदार ने बच्चे को सांस लेते हुए देखकर उसे जीवित बताया.

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Published : May 15, 2022, 7:18 PM IST

रायचूर : कर्नाटक में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई. यहां के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने जीवित नवजात बच्चे को कथित तौर पर मृत बताकर उसके माता-पिता को सौंप दिया. नवजात की मौत से सहमा हुआ परिवार बच्चे का अंतिम संस्कार करने वाला ही था, तभी एक रिश्तेदार ने बच्चे को सांस लेते हुए देखकर उसे जीवित बताया. परिजन बच्चे को तुरंत निजी अस्पताल लेकर पहुंचे जहां फिलहाल बच्चे का इलाज चल रहा है. यह घटना शनिवार को रायचूर जिले में हुई.

सिंधनुरु तालुक के तुरुविहला कस्बा निवासी एरप्पा और उनकी पत्नी अमरम्मा को तुरुविहला के सरकारी अस्पताल में 10 मई को एक बच्चा हुआ था, लेकिन जन्म के कुछ देर बाद ही उसे इलाज की जरूरत थी. ऐसे में डॉक्टरों ने माता-पिता को सिंधनुरु सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी. लेकिन, एरप्पा और अमरम्मा ने उसी दिन बच्चे के बेहतर इलाज के लिए सरकारी अस्पताल के बदले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था.

पढ़ें : नवजात के लिए डॉक्टर बनीं भगवान, अपनी सांसें देकर बचायी जान

निजी अस्पताल के डॉक्टर ने तीन से चार दिन तक बच्चे का इलाज किया जिसमें रोज-रोज 10 से 12 हजार रुपये का बिल आता था. 14 मई को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने नवजात शिशु को मृत घोषित कर बच्चे को उसके परिजनों को सौंप दिया. उसी दिन मृत शिशु को लेकर एरप्पा और अमरम्मा अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे, तभी उनके एक रिश्तेदार ने बच्चे को सांस लेते हुए देखा. परिजनों ने उसे तुरंत एम्बुलेंस के जरिये सिंधनुरु के दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां अब बच्चे का इलाज चल रहा है. निजी अस्पताल में इस तरह की अव्यवस्था को लेकर नवजात के माता-पिता ने रोष व्यक्त किया है.

रायचूर : कर्नाटक में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई. यहां के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने जीवित नवजात बच्चे को कथित तौर पर मृत बताकर उसके माता-पिता को सौंप दिया. नवजात की मौत से सहमा हुआ परिवार बच्चे का अंतिम संस्कार करने वाला ही था, तभी एक रिश्तेदार ने बच्चे को सांस लेते हुए देखकर उसे जीवित बताया. परिजन बच्चे को तुरंत निजी अस्पताल लेकर पहुंचे जहां फिलहाल बच्चे का इलाज चल रहा है. यह घटना शनिवार को रायचूर जिले में हुई.

सिंधनुरु तालुक के तुरुविहला कस्बा निवासी एरप्पा और उनकी पत्नी अमरम्मा को तुरुविहला के सरकारी अस्पताल में 10 मई को एक बच्चा हुआ था, लेकिन जन्म के कुछ देर बाद ही उसे इलाज की जरूरत थी. ऐसे में डॉक्टरों ने माता-पिता को सिंधनुरु सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी. लेकिन, एरप्पा और अमरम्मा ने उसी दिन बच्चे के बेहतर इलाज के लिए सरकारी अस्पताल के बदले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था.

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निजी अस्पताल के डॉक्टर ने तीन से चार दिन तक बच्चे का इलाज किया जिसमें रोज-रोज 10 से 12 हजार रुपये का बिल आता था. 14 मई को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने नवजात शिशु को मृत घोषित कर बच्चे को उसके परिजनों को सौंप दिया. उसी दिन मृत शिशु को लेकर एरप्पा और अमरम्मा अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे, तभी उनके एक रिश्तेदार ने बच्चे को सांस लेते हुए देखा. परिजनों ने उसे तुरंत एम्बुलेंस के जरिये सिंधनुरु के दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां अब बच्चे का इलाज चल रहा है. निजी अस्पताल में इस तरह की अव्यवस्था को लेकर नवजात के माता-पिता ने रोष व्यक्त किया है.

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