नई दिल्ली : सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाई जा रही नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का खर्च बढ़ गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करने और स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य कार्यों पर अधिक खर्च के कारण नई पार्लियामेंट बढ़ाने की लागत 971 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 1200 करोड़ रुपये हो गई है. इस तरह इसके निर्माण बजट में निर्माण बजट में करीब 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने संशोधित अनुमानित खर्च के लिए लोकसभा सचिवालय से सैद्धांतिक मंजूरी मांगी है.
दिसंबर 2020 में टाटा प्रोजेक्ट्स ने नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का निर्माण शुरू किया था. एक साल में इसका 40 फीसदी काम पूरा हो चुका है. इस प्रोजेक्ट पर कंपनी लगातार काम कर रही है. यह निर्माण कार्य 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले समाप्त होने की उम्मीद थी. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके निर्माण में कुछ बदलाव के आदेश दिए थे, साथ ही इससे निकलने वाली मिट्टी पर रोक लगा दी गई थी. इससे भी इसकी लागत बढ़ी है. अब सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से निकलने वाली मिट्टी ईको पार्क में डाली जा रही है. सूत्रों के अनुसार, पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग को भूकंप रोधी बनाने के लिए जोन-5 के अनुसार तय मानकों के हिसाब से मजबूत बनाया जा रहा है. इस कारण भी इसकी लागत बढ़ी है.
नई पार्लियामेंट की 4 मंजिला बिल्डिंग कुल 64,500 वर्ग मीटर एरिया में बन रही है. इसमें जाने के 6 रास्ते होंगे. एक एंट्रेंस पीएम और प्रेसिडेंट के लिए होगा. एक लोकसभा के स्पीकर, एक राज्य सभा के चेयरमैन के लिए होगा. सांसदों के प्रवेश के लिए 1 एंट्रेंस और 2 पब्लिक एंट्रेंस होगा. इस नई बिल्डिंग में कुल 120 आफिस होंगे. जिसमें कमिटी रूम, मिनिस्ट्री आफ पार्लियामेंट्री का ऑफिस, लोक सभा सचिवालय, राज्य सभा सचिवालय, पीएम आफिस आदि होंगे.
लोकसभा चेंबर 3015 वर्ग मीटर एरिया में बना होगा. इसमें 543 सीट की जगह 888 सीट होगी. राज्य सभा 3,220 वर्ग मीटर एरिया में होगी, इसमें 245 की जगह 384 सांसद बैठ सकेंगे. नई बिल्डिंग में एक बड़ा कॉस्टीट्यूशन हॉल होगा, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत की झलक दिखाई देगी.