नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के विरोध और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के किसान अब एक नये स्वरूप में आंदोलन करेंगे. ये किसान अपने गांवों में ही अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी तक अपनी मांगों के साथ संदेश पहुंचाने का प्रयास करेंगे. करीब एक करोड़ किसान पीएम को संदेश भेजेंगे.
नये स्वरूप वाला यह आंदोलन उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले चलाया जाएगा जिसके संयोजक सरदार वीएम सिंह हैं.
मंगलवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में सरदार वीएम सिंह ने कहा कि देश के 85% से ज्यादा किसान छोटे व मंझले किसान हैं, जिनके पास दिल्ली पहुंचने की हैसियत नहीं है. इनमें से ज्यादातर किसान अपने खेतों में बुआई करने के बाद दिहाड़ी मजदूरी कर गुजर बसर करते हैं. वहीं, किसानों के पास पशु भी होते हैं जिनकी देखरेख वह दिल्ली के मोर्चों पर पहुंच कर नहीं कर सकते.
उन्होंने कहा कि धान की फसल में किसानों को सरकार द्वारा तय एमएसपी से कम कीमत मिली है और गन्ने की कीमत जो पिछले हफ़्ते घोषित हुई उसमें भी कोई इजाफा नहीं किया गया है.
डीजल, पेट्रोल, खाद-बीज, बिजली इत्यादि की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती रहती है ऐसे में छोटे किसान अपनी आजीविका छोड़ कर महीनों तक दिल्ली के बोर्डरों पर संघर्ष करने में सक्षम नहीं है इसलिये उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा ने नये स्वरूप में अपना आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है. जिसमें प्रदेश के हर जिले में किसान अपने गांव में ही अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेंगे और सरकार को तक अपनी आवाज़ पहुंचाने का काम करेंगे.
एक मार्च से 47 जिलों में होगा आंदोलन
सरदार वीएम सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा का यह आंदोलन एक मार्च से उत्तर प्रदेश के लगभग 47 जिलों में शुरू होगा. करीब एक करोड़ किसान इसमें शामिल होंगे. शुरुआती तौर पर यह आंदोलन मौजूदा फसल गेहूं की एमएसपी और गन्ने की तय कीमत पर खरीद व समय से भुगतान की मांग के साथ होगा.
वहीं, प्रमुख मांगों में तीन कृषि कानूनों को रद्द करना और एमएसपी गारंटी कानून बनाना पहले ही इस आंदोलन का हिस्सा है.
'गेहूं की खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित की जाए'
'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में सरदार वीएम सिंह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि एमएसपी है, था और रहेगा तो इसे मौजूदा फसल खरीद में प्रमाणित भी कर के दिखाएं. उत्तर प्रदेश के सभी किसानों के गेहूं की खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित की जाए.
वीएम सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री के उस बयान पर भी अपना रोष जताया जिसमें नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि केवल भीड़ जुटाने से कानून वापस नहीं लिये जाते. कानून में कहां कमियां हैं इस पर किसानों को चर्चा करनी चाहिये.
वीएम सिंह ने चुनौती देते हुए कहा है कि सरकार यदि उनके संगठन के साथ वार्ता करती है तो वह तीन कृषि कानूनों क्लॉज़ बाई क्लॉज़ चर्चा करने को तैयार हैं.
हिंसा के बाद आंदोलन से अलग हो गए थे
बता दें कि दिल्ली बोर्डरों पर 26 नवंबर से चल रहे आंदोलन का आवाह्न भी सरदार वीएम सिंह ने ही किया था. तब वह अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक थे.
समन्वय समिति में 250 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हैं और उसके बाद 200 छोटे बड़े संगठन और भी जुड़े थे.
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बाद में यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आगे बढ़ा और वीएम सिंह इस आंदोलन से 26 जनवरी की हिंसा के बाद अलग हो गए. अब वीएम सिंह ने अलग मोर्चा खड़ा कर उत्तर प्रदेश के किसानों को फिर से लामबंद करना शुरू किया है.
संयुक्त किसान मोर्चा के समानांतर प्रदेश के गांव-गांव में अपने आंदोलन को एक नये स्वरूप में पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.