नई दिल्ली: एक हस्ताक्षरित समझौते की संसदीय मंजूरी को लेकर अमेरिका और नेपाल के बीच बढ़ते विवाद में चीन कूद पड़ा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि बीजिंग नेपाल को अंतरराष्ट्रीय सहायता से खुश है, लेकिन यह सहायता बिना किसी राजनीतिक बंधन के होनी चाहिए. दक्षिण एशिया क्षेत्र में अपने प्रभाव को बनाने का अवसर न खोते हुए चीन ने रणनीतिक महत्व से भरे कदम के तहत नेपाली राजनीतिक दलों का समर्थन किया है. नेपाली राजनीतिक दलों ने विभिन्न आधारों पर अमेरिकी समझौते का विरोध किया है. नेपाल में इसको लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण देखा जा रहा है कि अमेरिकी बुनियादी ढांचा अनुदान को स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं.
बढ़ते विवाद में एक रणनीतिक अवसर को भांपते हुए, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को पहले से ही विवादित रहे इस मुद्दे को हवा देते हुए कहा कि यह अमेरिका की 'जबरदस्ती की कूटनीति' है. वांग ने कहा, 'हम नेपाल की संप्रभुता और हितों की कीमत पर स्वार्थी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाली 'जबरदस्ती की कूटनीति' और कार्यों का विरोध करते हैं. नेपाल के मित्रवत करीबी पड़ोसी और विकास भागीदार के रूप में, चीन हमेशा की तरह, स्वतंत्र रूप से अपना विकास पथ चुनने में नेपाली लोगों का समर्थन करेगा. नेपाल अपने राष्ट्रीय हितों और लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए सही चुनाव कर रहा है. इसमें चीन साथ है.'
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका ने नेपाल से कहा था कि वह मिलेनियम कॉरपोरेशन चैलेंज (MCC) के तहत अमेरिका से प्रस्तावित अनुदान सहायता की 28 फरवरी तक पुष्टि करे. उसने यह चेतावनी दी थी कि अगर काठमांडू ने कार्यक्रम को स्वीकार नहीं किया, तो वाशिंगटन हिमालयी राष्ट्र के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करेगा और इसके विफल होने की दशा में चीन के हित को जिम्मेदार मानेगा.
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बढ़ते चीन का मुकाबला करने के लिए, अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण एशियाई क्षेत्र को अपनी रणनीतिक नीति का केंद्र बिंदु बना दिया है. इस नीति का परिणाम चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (या 'Quad') और औकस(AUKUS) (ऑस्ट्रेलिया-यूके-यूएस) जैसे मंच का निर्माण है. एमसीसी समझौते को प्रभावी बनाने के लिए, संसद द्वारा इसकी पुष्टि की जानी चाहिए. अमेरिका और नेपाल के बीच 2017 में हस्ताक्षरित एमसीसी समझौते के तहत अमेरिका नेपाल को 500 मिलियन डॉलर का अनुदान देगा.