नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के मुद्दे पर होने वाली चर्चाओं में प्रतिबंधात्मक के बजाय रचनात्मक रवैया अपनाने की जबरदस्त वकालत करते हुए विभिन्न देशों से आग्रह किया है कि वे 'यह न करो या वह न करो' पर ध्यान केंद्रित न करें.
इस सप्ताहांत में नई दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले 'पीटीआई-भाषा' को दिए विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के वास्ते 'सभी के लिए कोई एक समाधान नहीं है.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, जबकि कुल उत्सर्जन में उसका योगदान पांच फीसदी से भी कम है.
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PHOTO | Highlights of Prime Minister Narendra Modi's exclusive interview with PTI (n/38)#PMModiSpeaksToPTI pic.twitter.com/jLVD8DvTMs
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उन्होंने कहा, 'इसलिए, हम विकास सुनिश्चित करने वाले विभिन्न आवश्यक कारकों को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से सही रास्ते पर हैं.' मोदी ने कहा, 'हम निर्धारित तिथि से नौ साल पहले ही अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने वाला संभवत: पहला जी20 देश हैं.'
उन्होंने कहा कि एकल-उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज़ प्लास्टिक) के खिलाफ भारत की कार्रवाई को दुनियाभर में मान्यता मिली है और इसके जरिये साफ-सफाई एवं स्वच्छता सुनिश्चित करने की दिशा में काफी प्रगति भी हुई है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब वैश्विक पहलों में भागीदार बनने से आगे कई पहलों में अग्रणी भूमिका निभाने की ओर बढ़ गया है. उन्होंने कहा, 'हमारा सिद्धांत सरल है-चाहे समाज में हो या ऊर्जा मिश्रण के संदर्भ में, विविधता ही सर्वोत्तम विकल्प है. सभी के लिए कोई एक समाधान नहीं है.'
यूक्रेन युद्ध के बाद के दौर में जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों में प्रगति से जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह देखते हुए कि देश अलग-अलग रास्तों पर चल रहे हैं, ऊर्जा परिवर्तन के लिए हमारे रास्ते भी अलग-अलग होंगे.'
मोदी ने कहा कि वह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के भविष्य को लेकर 'बेहद सकारात्मक' हैं. उन्होंने कहा, 'हम प्रतिबंधात्मक की जगह रचनात्मक रवैया अपनाने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. सिर्फ 'यह न करो या वह न करो' के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हम एक ऐसा दृष्टिकोण लाना चाहते हैं, जो लोगों और राष्ट्रों को जागरूक करे कि वे क्या कर सकते हैं और इस दिशा में उन्हें वित्त, प्रौद्योगिकी एवं अन्य संसाधनों की मदद उपलब्ध कराए.'
जलवायु बैठकों को लेकर ये बोले पीएम मोदी : एक अन्य सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में कई जलवायु बैठकें हुई हैं, लेकिन नेक इरादों के बावजूद चर्चाएं इस बात के इर्द-गिर्द केंद्रित रह जाती हैं कि किसे दोषी ठहराया जाए.
उन्होंने कहा, 'लेकिन हमने 'कर सकते हैं' की भावना के साथ एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया. हमने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की और 'एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड' के विचार के तहत देशों को एक साथ लाने की पहल की.'
मोदी ने कहा कि भारत ने 'कोअलिशन फॉर डिजास्टर रिजिलियेंस' (आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन) भी शुरू किया, ताकि दुनियाभर के देश, खासतौर पर विकासशील देश, एक-दूसरे से सीखें और ऐसे बुनियादी ढांचे का निर्माण करें, जो आपदाओं के दौरान भी अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम हो.
उन्होंने कहा, 'हमने दुनिया के छोटे द्वीप देशों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ मिलकर काम किया है, जिनमें 'फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आईलैंड्स कोऑपरेशन' के सदस्य देश भी शामिल हैं.'
सौर ऊर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ाई : प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु-केंद्रित पहलों पर काफी प्रगति कर रहा है, क्योंकि उसने कुछ ही वर्षों में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ा दी है.
उन्होंने कहा, 'पवन ऊर्जा के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में शामिल है. इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में भारत इन वाहनों को अपनाने और नवाचार दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.'
मोदी ने कहा कि 'अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन' (आईएसए) और 'आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन' जैसी पहलें देशों को पृथ्वी की भलाई के लिए एक साथ ला रही हैं. उन्होंने कहा कि आईएसए को शानदार प्रतिक्रिया मिली है और सौ से ज्यादा देश उससे जुड़ चुके हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारी मिशन लाइफ पहल पर्यावरण के लिए जीवनशैली पर केंद्रित है. आज हर समाज में ऐसे लोग हैं, जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं. वे क्या खरीदते हैं, क्या खाते हैं, क्या करते हैं-उनका हर फैसला इस बात पर आधारित होता है कि यह उनके स्वास्थ्य पर क्या असर डालता है.'
मोदी ने कहा कि लोगों की पसंद न केवल इस बात से निर्देशित होती है कि इसका आज उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, बल्कि दीर्घकालिक असर से भी तय होती है.
उन्होंने कहा, 'इसी तरह, दुनियाभर के लोग पृथ्वी के प्रति जागरूक बनने के लिए एक साथ आ सकते हैं. जीवनशैली से जुड़ा हर फैसला इस आधार पर लिया जा सकता है कि इसका लंबी अवधि में हमारे ग्रह पर क्या प्रभाव पड़ेगा.'
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(पीटीआई-भाषा)