नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग ने शुक्रवार को मराठी अभिनेता केतकी चितले पर सुनवाई की. जिन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के खिलाफ फेसबुक पर एक अपमानजनक पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि पुलिस को राजनीतिक प्रतिशोध के आधार पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. महाराष्ट्र डीजीपी की तरफ से विशेष आईजी (कानून और व्यवस्था) मिलिंद भारम्बे आयोग के समक्ष पेश हुए.
सुनवाई के दौरान आयोग ने भारम्बे से कई सवाल पूछे. जैसे कि प्राथमिकी में मानहानि का प्रावधान क्यों लगाया गया था और शिकायतकर्ता कौन था. पोस्ट को पहले कई लोगों द्वारा साझा किए जाने के बावजूद केवल केतकी के खिलाफ कार्रवाई क्यों की गई. क्या उसे गिरफ्तार करने से पहले दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए में वर्णित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया. आयोग ने यह भी पूछा कि पुलिस थाने के बाहर अभिनेत्री केतकी पर हमला करने वाली राकांपा की महिला नेताओं के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की. इस विशेष मामले में धारा 66ए क्यों लागू की गई. बता दें कि सेक्शन 66 ए पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
NCW ने पूछा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा कई अन्य मामलों में कार्यवाही क्यों शुरू की गई, जिनके बारे में हाल ही में राजनीतिक प्रतिशोध के कारण होने की सूचना मिली है. आयोग ने भारम्बे को तत्काल अनुपालन के लिए और निर्देश जारी किए, जिसमें प्रारंभिक जांच करने से पहले ही गिरफ्तारी क्यों की गई, इस पर स्पष्टीकरण भेजना शामिल है. सीआरपीसी की धारा 41 ए के अनुसार पुलिस को गिरफ्तारी से पहले आरोपी को नोटिस देना अनिवार्य है और गैर-संज्ञेय मामलों में मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति लेनी होती है. इन सब कारणों से लगता है कि पुलिस कानून के इस अनिवार्य प्रावधान का पालन करने में विफल रही.
आयोग ने यह भी देखा कि गैर-संज्ञेय मामलों में पुलिस वारंट के बिना गिरफ्तारी नहीं कर सकती है लेकिन इस मामले में कोई वारंट जारी नहीं किया गया था. इसलिए निर्देश दिया कि पुलिस को राजनीतिक प्रतिशोध के आधार पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए बल्कि हर मामले में निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ना चाहिए. आयोग ने उन मामलों की सूची भी मांगी है जो पिछले एक साल के दौरान ऑनलाइन मानहानिकारक बयानों के आधार पर उनकी स्थिति रिपोर्ट के साथ दर्ज किए गए थे. आयोग के संज्ञान में लाए गए कुछ मामलों की प्रतियां भी सुनवाई के दौरान विशेष महानिरीक्षक (एलएंडओ) के साथ साझा की गई हैं और उन सभी मामलों पर 15 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी गई है. बयान में कहा गया है कि मामले को अगली कार्रवाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
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एएनआई