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Nawab Malik Arresting Case : हिरासत बढ़ी, नवाब मलिक ने आरोपों से किया इनकार

ईडी की पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि मलिक (Maharashtra minister and NCP leader Nawab Malik) की तबियत खराब होने की वजह से उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका है. इसे मानते हुए अदालत (Special PMLA court) ने मलिक की कस्टडी को चार दिनों के लिए बढ़ा (custody extended till 7th March) दी है.

Maharashtra minister and NCP leader Nawab Malik
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक
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Published : Mar 3, 2022, 4:18 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 8:02 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक (Maharashtra minister and NCP leader Nawab Malik) की ED कस्टडी 7 मार्च तक बढ़ गई है. अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के परिवार से जमीन खरीदने से जुड़े मनी लॉड्रिंग (Dawood Ibrahim money laundering case) मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है. गुरुवार को अदालत में मलिक की आगे की कस्टडी को लेकर करीब दो घंटे तक बहस हुई. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह इस मामले में ईडी की पैरवी कर रहे हैं जबकि अमित देसाई और तारक सैय्यद नवाब मलिक के वकील हैं.

पढ़ें : Nawab Malik Arresting Case : ED ने बॉम्बे हाईकोर्ट से समय मांगा

एडिशनल सोसलिस्टर जनरल अनिल सिंह ने 1993 बम धमाकों से जुड़ा एक कॉन्फिडेंशियल स्टेटमेंट अदालत के सामने रखा. सिंह ने अदालत से हिरासत 6 दिन और बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मलिक की तबियत खराब होने की वजह से उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका है. इसे मानते हुए अदालत ने मलिक की कस्टडी को चार दिनों के लिए बढ़ा दिया है. अनिल सिंह ने कहा कि हमने हसीना पारकर के बेटे का बयान अदालत को दिया है, उसके अलावा जेल में बंद आरोपी का भी बयान अदालत को सौंपा है. हम इसकी जानकारी अभी सबको नहीं बता सकते.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अब भी कई लोगों से पूछताछ के साथ ही लेन-देन की जानकारी और जांच निकालना है. कौन-कौन लोग शामिल हैं, असली मालिक को कुछ पैसे नहीं दिए गए है ऐसे कई सारे मुद्दे हैं. उन्होंने आगे कहा कि तबीयत खराब होने के वजह से पूरी पूछताछ नहीं हो पाई, आगे जो नई जानकारियां आई हैं, उसकी भी जांच होनी है. इसलिए 6 दिनों की हिरासत की जरूरत है.

'हसीना पारकर को 55 लाख नहीं 5 लाख रुपए ही दिए'

इस पर नवाब मलिक की ओर से पेश हुए वकील अमित देसाई ने कहा कि हमने इस मामले को हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया है. रिमांड एप्लीकेशन पढ़ने पर जो मैंने पिछली सुनवाई के समय कहा था, वही सच साबित हो रहा है. अब केवल अदालत के हाथ में है कि इन्हें जमानत दी जानी चाहिए या नहीं. आज के रिमांड एप्लीकेशन के पहले पन्ने पर ही लिखा है कि यह पिछले रिमांड एप्लिकेशन का ही आगे का भाग है. पिछली बार अदालत में ईडी की ओर से नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड गैंग के बीच संबंध होने की बात कही गई थी, यह कहा गया था कि टेरर फंडिंग पर इनकी एक्टिव इनवॉल्‍वमेंट (सक्रिय भागीदारी) रही है. हसीना पारकर को 55 लाख रुपए देने का आरोप लगाकर इसे टेरर फंड कहा था, लेकिन आज आप देखिए ईडी की एप्लिकेशन में क्या कहा गया है. आज ईडी का कहना है कि पिछले बार जो 55 लाख रुपए की बात एक टाइपिंग मिस्‍टेक थी और वो 5 लाख रुपए ही है, लेकिन इसी एप्लीकेशन के आधार पर इन्हें ईडी की हिरासत में भेजा गया किसी को गिरफ्तार करने से पहले 20 बार सोचना चाहिए, सारे फेक्‍ट्स को इकट्ठा करने के बाद कोई कार्रवाई की जानी चाहिए.

'बात गोपनीय है तो...अखबार में कैसे आ गई'

ईडी को होमवर्क करने की जरूरत है. देसाई ने आगे कहा ईडी अगर चाहती तो अस्पताल जाकर भी पूछताछ कर सकती थी, लेकिन उनकी ओर से ऐसा नहीं किया गया. अब ईडी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग में इनका अहम रोल है, इन्होंने गिरफ्तार हुए किसी शख्स का बयान अदालत को बताया. देसाई ने आगे कहा कि इसकी जानकारी सभी से सांझा नहीं कि जा सकती. यह जांच की जानकारी को गोपनीय रख सकते हैं, लेकिन आज सुबह के अखबार में इसी ट्रांजेक्‍शन की बात खुले तौर पर की गई है.

पढ़ें : Nawab Malik arrested : देखिए पहली प्रतिक्रिया, कहा- लड़ेंगे, जीतेंगे, सबको एक्सपोज करेंगे

एक अंग्रेजी अखबार में इस मामले में पहले ही लिखा गया है और अब अदालत में इसे गोपनीय (कॉन्फिडेंशियल) बताया जा रहा है. एक अंग्रेजी अखबार में लिखा है कि नवाब मलिक ने कुर्ला में एक और जमीन को हड़प किया है और ईडी को इसके कागजात मिले हैं. अब जब मामले मे जांच चल रही है तो फिर यह अखबार के पास कैसे गया. अदालत में ईडी का कहना है कि हम सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं इसलिए हमें इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी, लेकिन मीडिया के पास अदालत से पहले जानकारी कैसे आ जाती है? यह आज के अखबार में आया है. जो मैंने पिछली बार कहा वही मैं आज भी कह रहा हूं. यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं है, आज वापस रिमांड की मांग की गई है. गिरफ्तारी या कस्टडी की जरूरत नहीं है, यह जानबूझकर किया जा रहा है.

फडणवीस ने लगाए थे आरोप

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कुछ महीने पहले आरोप लगाया था कि नवाब मलिक ने करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी सिर्फ 30 लाख रुपये में खान और पटेल से खरीदी थी. ईडी मलिक की अन्य बिजनेस डीलिंग्स की भी जांच कर रही है. फडणवीस ने मलिक पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा था कि मलिक परिवार ने इस जमीन की कीमत को साढ़े तीन करोड़ रुपए दिखाए ताकि स्टैम्प ड्यूटी कम भरनी पड़े. जब इसका पेमेंट करने की बात आई तब इसकी कीमत 25 रुपये प्रति स्क्वायर फुट की दर से बताई गई लेकिन पेमेंट 15 रुपये प्रति स्क्वायर फीट के रेट से किया गया. मलिक पर आरोप है कि उन्होंने यह जमीन अंडरवर्ल्ड के लोगों से खरीदी थी.

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक (Maharashtra minister and NCP leader Nawab Malik) की ED कस्टडी 7 मार्च तक बढ़ गई है. अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के परिवार से जमीन खरीदने से जुड़े मनी लॉड्रिंग (Dawood Ibrahim money laundering case) मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है. गुरुवार को अदालत में मलिक की आगे की कस्टडी को लेकर करीब दो घंटे तक बहस हुई. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह इस मामले में ईडी की पैरवी कर रहे हैं जबकि अमित देसाई और तारक सैय्यद नवाब मलिक के वकील हैं.

पढ़ें : Nawab Malik Arresting Case : ED ने बॉम्बे हाईकोर्ट से समय मांगा

एडिशनल सोसलिस्टर जनरल अनिल सिंह ने 1993 बम धमाकों से जुड़ा एक कॉन्फिडेंशियल स्टेटमेंट अदालत के सामने रखा. सिंह ने अदालत से हिरासत 6 दिन और बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मलिक की तबियत खराब होने की वजह से उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका है. इसे मानते हुए अदालत ने मलिक की कस्टडी को चार दिनों के लिए बढ़ा दिया है. अनिल सिंह ने कहा कि हमने हसीना पारकर के बेटे का बयान अदालत को दिया है, उसके अलावा जेल में बंद आरोपी का भी बयान अदालत को सौंपा है. हम इसकी जानकारी अभी सबको नहीं बता सकते.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अब भी कई लोगों से पूछताछ के साथ ही लेन-देन की जानकारी और जांच निकालना है. कौन-कौन लोग शामिल हैं, असली मालिक को कुछ पैसे नहीं दिए गए है ऐसे कई सारे मुद्दे हैं. उन्होंने आगे कहा कि तबीयत खराब होने के वजह से पूरी पूछताछ नहीं हो पाई, आगे जो नई जानकारियां आई हैं, उसकी भी जांच होनी है. इसलिए 6 दिनों की हिरासत की जरूरत है.

'हसीना पारकर को 55 लाख नहीं 5 लाख रुपए ही दिए'

इस पर नवाब मलिक की ओर से पेश हुए वकील अमित देसाई ने कहा कि हमने इस मामले को हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया है. रिमांड एप्लीकेशन पढ़ने पर जो मैंने पिछली सुनवाई के समय कहा था, वही सच साबित हो रहा है. अब केवल अदालत के हाथ में है कि इन्हें जमानत दी जानी चाहिए या नहीं. आज के रिमांड एप्लीकेशन के पहले पन्ने पर ही लिखा है कि यह पिछले रिमांड एप्लिकेशन का ही आगे का भाग है. पिछली बार अदालत में ईडी की ओर से नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड गैंग के बीच संबंध होने की बात कही गई थी, यह कहा गया था कि टेरर फंडिंग पर इनकी एक्टिव इनवॉल्‍वमेंट (सक्रिय भागीदारी) रही है. हसीना पारकर को 55 लाख रुपए देने का आरोप लगाकर इसे टेरर फंड कहा था, लेकिन आज आप देखिए ईडी की एप्लिकेशन में क्या कहा गया है. आज ईडी का कहना है कि पिछले बार जो 55 लाख रुपए की बात एक टाइपिंग मिस्‍टेक थी और वो 5 लाख रुपए ही है, लेकिन इसी एप्लीकेशन के आधार पर इन्हें ईडी की हिरासत में भेजा गया किसी को गिरफ्तार करने से पहले 20 बार सोचना चाहिए, सारे फेक्‍ट्स को इकट्ठा करने के बाद कोई कार्रवाई की जानी चाहिए.

'बात गोपनीय है तो...अखबार में कैसे आ गई'

ईडी को होमवर्क करने की जरूरत है. देसाई ने आगे कहा ईडी अगर चाहती तो अस्पताल जाकर भी पूछताछ कर सकती थी, लेकिन उनकी ओर से ऐसा नहीं किया गया. अब ईडी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग में इनका अहम रोल है, इन्होंने गिरफ्तार हुए किसी शख्स का बयान अदालत को बताया. देसाई ने आगे कहा कि इसकी जानकारी सभी से सांझा नहीं कि जा सकती. यह जांच की जानकारी को गोपनीय रख सकते हैं, लेकिन आज सुबह के अखबार में इसी ट्रांजेक्‍शन की बात खुले तौर पर की गई है.

पढ़ें : Nawab Malik arrested : देखिए पहली प्रतिक्रिया, कहा- लड़ेंगे, जीतेंगे, सबको एक्सपोज करेंगे

एक अंग्रेजी अखबार में इस मामले में पहले ही लिखा गया है और अब अदालत में इसे गोपनीय (कॉन्फिडेंशियल) बताया जा रहा है. एक अंग्रेजी अखबार में लिखा है कि नवाब मलिक ने कुर्ला में एक और जमीन को हड़प किया है और ईडी को इसके कागजात मिले हैं. अब जब मामले मे जांच चल रही है तो फिर यह अखबार के पास कैसे गया. अदालत में ईडी का कहना है कि हम सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं इसलिए हमें इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी, लेकिन मीडिया के पास अदालत से पहले जानकारी कैसे आ जाती है? यह आज के अखबार में आया है. जो मैंने पिछली बार कहा वही मैं आज भी कह रहा हूं. यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं है, आज वापस रिमांड की मांग की गई है. गिरफ्तारी या कस्टडी की जरूरत नहीं है, यह जानबूझकर किया जा रहा है.

फडणवीस ने लगाए थे आरोप

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कुछ महीने पहले आरोप लगाया था कि नवाब मलिक ने करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी सिर्फ 30 लाख रुपये में खान और पटेल से खरीदी थी. ईडी मलिक की अन्य बिजनेस डीलिंग्स की भी जांच कर रही है. फडणवीस ने मलिक पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा था कि मलिक परिवार ने इस जमीन की कीमत को साढ़े तीन करोड़ रुपए दिखाए ताकि स्टैम्प ड्यूटी कम भरनी पड़े. जब इसका पेमेंट करने की बात आई तब इसकी कीमत 25 रुपये प्रति स्क्वायर फुट की दर से बताई गई लेकिन पेमेंट 15 रुपये प्रति स्क्वायर फीट के रेट से किया गया. मलिक पर आरोप है कि उन्होंने यह जमीन अंडरवर्ल्ड के लोगों से खरीदी थी.

Last Updated : Mar 3, 2022, 8:02 PM IST
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