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जोशीमठ में भू धंसाव को लेकर दिल्ली में NCMC ने की बैठक, उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने दिया अपडेट

उत्तराखंड के जोशीमठ में भू धंसाव मामले में केंद्र सरकार की तरफ से उत्तराखंड सरकार की हर संभव मदद की जा रही है. जोशीमठ में बनी स्थितियों को लेकर राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति ने आज दिल्ली में बैठक की. इस बैठक में उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी वर्चुअली शामिल हुए.

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Published : Jan 10, 2023, 9:35 PM IST

National Crisis Management Committee meeting
जोशीमठ में भू धंसाव

देहरादून: जोशीमठ में भू धंसाव के बाद बिगड़ते हालात पर राज्य के साथ केंद्र सरकार भी नजर बनाए हुए है. एक तरफ जहां देहरादून में उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू रोज समीक्षा बैठक कर रहे है, तो वहीं केंद्र सरकार की टीम भी लगातार जोशीमठ का अपडेट ले रही है. मंगलवार 10 जनवरी को राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) के अधिकारी ने दिल्ली में बैठक की.

एनसीएमसी की बैठक की (NCMC meeting on Joshimath) अध्यक्षता करते हुए कैबिनेट सचिव राजीव गेन्स ने कहा कि जिन भवनों को ज्यादा खतरा है, उन्हें सुरक्षित तरीक से ध्वस्त किया जाना प्राथमिकता में है. भू-तकनीकी, भूभौतिकीय और हाइड्रोलॉजिकल सहित सभी अध्ययनों व जांच के साथ ही समयबद्ध तरीके से पूरा काम किया जा रहा है.

कैबिनेट सचिव राजीव ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को आश्वासन दिया कि जोशीमठ में राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. वहीं, उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने बैठक में जानकारी दी कि बुरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

मुख्य सचिव ने बैठक में बताया कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत केंद्रों की पहचान की गई है. राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा और राहत उपाय प्रदान किए जा रहे हैं.जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन बंद कर दिया गया है. जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र में और उसके आसपास निर्माण कार्य भी अगले आदेश तक रोक दिया गए है. जिला प्रशासन को उनके राहत और पुनर्वास प्रयासों में मदद करने के लिए NDRF और SDRF की टीमों को तैनात किया गया है.
ये भी पढ़ेंः जोशीमठ संकट: प्रभावितों से मिलीं उमा भारती, त्रिवेंद्र सरकार पर लगाया बड़ा आरोप

वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एमडीएमए) के सदस्य सचिव ने समिति को बताया कि सीबीआरआई, जीएसआई, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, एनआईडीएम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के विशेषज्ञों की एक टीम ने स्थिति का आकलन करने के लिए 6 और 7 जनवरी को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.

बैठक में गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू, बिजली मंत्रालय, सूचना और प्रसारण, सीमा प्रबंधन, जल संसाधन, खान के सचिवों के अलावा एमडीएमए के सदस्य, एकीकृत रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख से लेकर अध्यक्ष, प्रमुखों ने भाग लिया. बैठक में कर्मचारी समिति, अध्यक्ष इसरो के वैज्ञानिक सचिव, डीजी एनडीआरएफ समेत कई लोग शामिल रहे.

131 परिवारों को किया गया अस्थायी विस्थापित: वहीं, देहरादून में उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजित सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ शहर में अब तक कुल 131 परिवारों के तकरीबन 462 लोगों को अस्थायी रूप से व्यवस्थित विस्थापित कर दिया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा 22 परिवार इस समय अस्थायी रूप से जोशीमठ गुरुद्वारे में रह रहे हैं.

इसके अलावा जोशीमठ जिला प्रशासन ने शहर के अलग-अलग सुरक्षित स्थानों पर तकरीबन दो हजार से ज्यादा लोगों के लिए अस्थायी रूप से रोके जाने की व्यवस्था कर दी है. ताकि, जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके. इसके अलावा घरों में पड़ी दरारों के चलते विस्थापित हुए लोगों को लगातार क्षतिग्रस्त भवन की आपूर्ति और सामान के नुकसान का भी मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है. जिसमें से अब तक 15 लाख से ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है.

रामदेव ने हरिद्वार से भेजी राहत सामग्री: जोशीमठ में आई आपदा के बाद कुछ निजी संस्थानों ने भी पीड़ित लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आह्वान पर प्रदेश भर से जोशीमठ के लिए राहत सामग्री भेजी जानी शुरू कर दी गई है. हरिद्वार से जिला प्रशासन और पतंजलि योगपीठ ने जोशीमठ के लिए राहत सामग्री भेजी है.

हरिद्वार से पतंजलि योगपीठ ने राहत सामग्री के तहत 2000 कंबल और फूड पैकेट के 2 ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. हरिद्वार के भल्ला इंटर कॉलेज से जिला प्रशासन ने 2500 कंबल और 1000 फ़ूड पैकेट के 4 ट्रकों को जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने हरि झंडी दिखाकर रवाना किया गया.
ये भी पढ़ेंः जागने में इतनी देर क्यों कर दी 'सरकार', गिरने की कगार पर सैकड़ों घर, कौन लेगा जोशीमठ की जिम्मेदारी?

देहरादून: जोशीमठ में भू धंसाव के बाद बिगड़ते हालात पर राज्य के साथ केंद्र सरकार भी नजर बनाए हुए है. एक तरफ जहां देहरादून में उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू रोज समीक्षा बैठक कर रहे है, तो वहीं केंद्र सरकार की टीम भी लगातार जोशीमठ का अपडेट ले रही है. मंगलवार 10 जनवरी को राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) के अधिकारी ने दिल्ली में बैठक की.

एनसीएमसी की बैठक की (NCMC meeting on Joshimath) अध्यक्षता करते हुए कैबिनेट सचिव राजीव गेन्स ने कहा कि जिन भवनों को ज्यादा खतरा है, उन्हें सुरक्षित तरीक से ध्वस्त किया जाना प्राथमिकता में है. भू-तकनीकी, भूभौतिकीय और हाइड्रोलॉजिकल सहित सभी अध्ययनों व जांच के साथ ही समयबद्ध तरीके से पूरा काम किया जा रहा है.

कैबिनेट सचिव राजीव ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को आश्वासन दिया कि जोशीमठ में राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. वहीं, उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने बैठक में जानकारी दी कि बुरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

मुख्य सचिव ने बैठक में बताया कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत केंद्रों की पहचान की गई है. राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा और राहत उपाय प्रदान किए जा रहे हैं.जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन बंद कर दिया गया है. जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र में और उसके आसपास निर्माण कार्य भी अगले आदेश तक रोक दिया गए है. जिला प्रशासन को उनके राहत और पुनर्वास प्रयासों में मदद करने के लिए NDRF और SDRF की टीमों को तैनात किया गया है.
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वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एमडीएमए) के सदस्य सचिव ने समिति को बताया कि सीबीआरआई, जीएसआई, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, एनआईडीएम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के विशेषज्ञों की एक टीम ने स्थिति का आकलन करने के लिए 6 और 7 जनवरी को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.

बैठक में गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू, बिजली मंत्रालय, सूचना और प्रसारण, सीमा प्रबंधन, जल संसाधन, खान के सचिवों के अलावा एमडीएमए के सदस्य, एकीकृत रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख से लेकर अध्यक्ष, प्रमुखों ने भाग लिया. बैठक में कर्मचारी समिति, अध्यक्ष इसरो के वैज्ञानिक सचिव, डीजी एनडीआरएफ समेत कई लोग शामिल रहे.

131 परिवारों को किया गया अस्थायी विस्थापित: वहीं, देहरादून में उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजित सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ शहर में अब तक कुल 131 परिवारों के तकरीबन 462 लोगों को अस्थायी रूप से व्यवस्थित विस्थापित कर दिया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा 22 परिवार इस समय अस्थायी रूप से जोशीमठ गुरुद्वारे में रह रहे हैं.

इसके अलावा जोशीमठ जिला प्रशासन ने शहर के अलग-अलग सुरक्षित स्थानों पर तकरीबन दो हजार से ज्यादा लोगों के लिए अस्थायी रूप से रोके जाने की व्यवस्था कर दी है. ताकि, जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके. इसके अलावा घरों में पड़ी दरारों के चलते विस्थापित हुए लोगों को लगातार क्षतिग्रस्त भवन की आपूर्ति और सामान के नुकसान का भी मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है. जिसमें से अब तक 15 लाख से ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है.

रामदेव ने हरिद्वार से भेजी राहत सामग्री: जोशीमठ में आई आपदा के बाद कुछ निजी संस्थानों ने भी पीड़ित लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आह्वान पर प्रदेश भर से जोशीमठ के लिए राहत सामग्री भेजी जानी शुरू कर दी गई है. हरिद्वार से जिला प्रशासन और पतंजलि योगपीठ ने जोशीमठ के लिए राहत सामग्री भेजी है.

हरिद्वार से पतंजलि योगपीठ ने राहत सामग्री के तहत 2000 कंबल और फूड पैकेट के 2 ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. हरिद्वार के भल्ला इंटर कॉलेज से जिला प्रशासन ने 2500 कंबल और 1000 फ़ूड पैकेट के 4 ट्रकों को जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने हरि झंडी दिखाकर रवाना किया गया.
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