ETV Bharat / bharat

NCERT ने स्कूलों के लिए दिव्यांगता और अक्षमता जांच की पहचान सूची का मसौदा किया तैयार

एनसीईआरटी ने दिव्यांगता और अक्षमता जांच की पहचान सूची का मसौदा तैयार किया है जिससे विशेष रूप से जरूरत वाले बच्चों का समग्र डाटा तैयर किया जाएगा. इसी आधार पर बच्चों को श्रेणीबद्ध किया जा सकेगा.

NCERT
एनसीईआरटी
author img

By

Published : Aug 21, 2022, 5:52 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने विशेष जरूरत वाले छात्रों पर खास ध्यान देने के उद्देश्य से स्कूलों के लिए 'दिव्यांगता और अक्षमता जांच की पहचान सूची' (DSCS) का मसौदा तैयार किया है जिसके आधार पर स्कूलों का समग्र डाटा तैयार किया जाएगा और बच्चों को श्रेणीबद्ध किया जाएगा. एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने बताया, 'स्कूलों के लिए डीएससीएस से शिक्षकों एवं विशेष जरूरतों से संबंधित प्रशिक्षकों को प्रारंभिक स्तर पर ही छात्रों की जांच करने एवं पहचान के लिए आगे भेजने का मौका मिलेगा.'

उन्होंने कहा कि डीएससीएस का उद्देश्य दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत मान्य दिव्यांगता से संबंधित शर्तों के अनुरूप छात्रों की जांच करना एवं अनुमानित रूप से श्रेणीबद्ध करना है. अधिकारी ने कहा कि स्कूलों में दिव्यांगता जांच की पहचान सूची को सर्वेक्षण एवं जमीनी विश्लेषण एवं कार्यशालाओं में एकत्र आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों एवं शिक्षकों द्वारा तैयार किया गया है. मसौदा के अनुसार, स्कूलों में दिव्यांगता जांच की पहचान सूची को दो हिस्सों में बांटा गया है जिसमें पहले में विभिन्न गतिविधियों के आधार पर छात्रों को चिन्हित किया जायेगा और इसके बाद उन्हें दिव्यांगता के तहत श्रेणीबद्ध किया जाएगा.

इसमें कहा गया है कि किसी छात्र के पठन-पाठन में हिस्सा लेने में कमी का मतलब यह नहीं है कि उनमें किसी तरह की अक्षमता ही हो. मसौदा के अनुसार, डीएससीए के पहले हिस्से में प्रश्नावली में छात्रों के व्यवहार एवं अन्य जानकारी को विषय शिक्षक एवं कक्षा के प्रमुख शिक्षक (क्लास टीचर) मिलकर दर्ज करेंगे. इसमें छात्रों के व्यवहार के आधार पर यह चिन्हित किया जाएगा कि क्या छात्र को चलने में कठिनाई है या उसे चलने एवं सीढ़ी चढ़ने के लिये सहारे की जरूरत है? क्या किसी छात्र को हाथ या शरीर के किसी को घुमाने में परेशानी है? क्या किसी छात्र के हाथ, अंगुलियों या पैर में उत्तेजनशीलता का अभाव है ? क्या किसी छात्र को कोई सामना पकड़ने, धोने आदि में समस्या है?

मसौदे के अनुसार, इस बारे में भी उल्लेख किया जाएगा कि क्या किसी छात्र को बोली अस्पष्ट है? क्या किसी छात्र का सिर काफी बड़ा है? क्या कोई छात्र एसिड हमले का पीड़ित है? इसमें यह भी जिक्र किया जाएगा कि क्या किसी छात्र को कम रोशनी में देखने में कठिनाई महसूस होती है? क्या कोई छात्र अक्सर आंखे मलता रहता है? क्या कोई छात्र कक्षा में पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया नहीं देता है? डीएससीए के पहले हिस्से में यह भी दर्ज किया जाएगा कि क्या कोई छात्र ज्यादा तेज आवाज में बोलता है और शब्दों का उच्चारण अक्सर गलत करता है? क्या कोई छात्र बार-बार संवाद को दोहराने को कहता है?

मसौदा के अनुसार, स्कूलों में निशक्तता जांच की पहचान सूची के दूसरे हिस्से में इन क्रियाकलापों एवं व्यवहार के आधार पर लोकोमोटर डिसएबिलिटी (चलन दिव्यांगता), मस्तिष्क पक्षाघात, बौनापन, एसिड हमला पीड़ित, नेत्र समस्या, लघु दृष्टिदोष, सुनने से जुड़ी अक्षमता, बोलने संबंधी अक्षमता, सीखने से जुड़ी विशिष्ट अक्षमता ऑटिज्म, बहुआयामी अक्षमता जैसे वर्गो में श्रेणीबद्ध किया जाएगा. मसौदे में कहा गया है कि इसके आधार पर 'स्कूल का समग्र डाटा' तैयार किया जाएगा. मसौदे में 2019 के एक सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि 52.9 प्रतिशत राज्यों को कुछ श्रेणियों की दिव्यांगता के लक्षणों को पहचानने एवं वर्गीकरण में समस्याओं का सामना करना पड़ा है. आठ राज्यों - सिक्किम, तमिलनाडु, केरल, असम, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, दिल्ली और उत्तर प्रदेश ने ही अभी तक विशेष जरूरत वाले छात्रों की पहचान के लिये अपनी पहचान सूची तैयार की है.

ये भी पढ़ें - शिक्षा मंत्रालय ने इंजीनियरिंग की नई फीस तय की, राज्यों की सहमति बाकी

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने विशेष जरूरत वाले छात्रों पर खास ध्यान देने के उद्देश्य से स्कूलों के लिए 'दिव्यांगता और अक्षमता जांच की पहचान सूची' (DSCS) का मसौदा तैयार किया है जिसके आधार पर स्कूलों का समग्र डाटा तैयार किया जाएगा और बच्चों को श्रेणीबद्ध किया जाएगा. एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने बताया, 'स्कूलों के लिए डीएससीएस से शिक्षकों एवं विशेष जरूरतों से संबंधित प्रशिक्षकों को प्रारंभिक स्तर पर ही छात्रों की जांच करने एवं पहचान के लिए आगे भेजने का मौका मिलेगा.'

उन्होंने कहा कि डीएससीएस का उद्देश्य दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत मान्य दिव्यांगता से संबंधित शर्तों के अनुरूप छात्रों की जांच करना एवं अनुमानित रूप से श्रेणीबद्ध करना है. अधिकारी ने कहा कि स्कूलों में दिव्यांगता जांच की पहचान सूची को सर्वेक्षण एवं जमीनी विश्लेषण एवं कार्यशालाओं में एकत्र आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों एवं शिक्षकों द्वारा तैयार किया गया है. मसौदा के अनुसार, स्कूलों में दिव्यांगता जांच की पहचान सूची को दो हिस्सों में बांटा गया है जिसमें पहले में विभिन्न गतिविधियों के आधार पर छात्रों को चिन्हित किया जायेगा और इसके बाद उन्हें दिव्यांगता के तहत श्रेणीबद्ध किया जाएगा.

इसमें कहा गया है कि किसी छात्र के पठन-पाठन में हिस्सा लेने में कमी का मतलब यह नहीं है कि उनमें किसी तरह की अक्षमता ही हो. मसौदा के अनुसार, डीएससीए के पहले हिस्से में प्रश्नावली में छात्रों के व्यवहार एवं अन्य जानकारी को विषय शिक्षक एवं कक्षा के प्रमुख शिक्षक (क्लास टीचर) मिलकर दर्ज करेंगे. इसमें छात्रों के व्यवहार के आधार पर यह चिन्हित किया जाएगा कि क्या छात्र को चलने में कठिनाई है या उसे चलने एवं सीढ़ी चढ़ने के लिये सहारे की जरूरत है? क्या किसी छात्र को हाथ या शरीर के किसी को घुमाने में परेशानी है? क्या किसी छात्र के हाथ, अंगुलियों या पैर में उत्तेजनशीलता का अभाव है ? क्या किसी छात्र को कोई सामना पकड़ने, धोने आदि में समस्या है?

मसौदे के अनुसार, इस बारे में भी उल्लेख किया जाएगा कि क्या किसी छात्र को बोली अस्पष्ट है? क्या किसी छात्र का सिर काफी बड़ा है? क्या कोई छात्र एसिड हमले का पीड़ित है? इसमें यह भी जिक्र किया जाएगा कि क्या किसी छात्र को कम रोशनी में देखने में कठिनाई महसूस होती है? क्या कोई छात्र अक्सर आंखे मलता रहता है? क्या कोई छात्र कक्षा में पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया नहीं देता है? डीएससीए के पहले हिस्से में यह भी दर्ज किया जाएगा कि क्या कोई छात्र ज्यादा तेज आवाज में बोलता है और शब्दों का उच्चारण अक्सर गलत करता है? क्या कोई छात्र बार-बार संवाद को दोहराने को कहता है?

मसौदा के अनुसार, स्कूलों में निशक्तता जांच की पहचान सूची के दूसरे हिस्से में इन क्रियाकलापों एवं व्यवहार के आधार पर लोकोमोटर डिसएबिलिटी (चलन दिव्यांगता), मस्तिष्क पक्षाघात, बौनापन, एसिड हमला पीड़ित, नेत्र समस्या, लघु दृष्टिदोष, सुनने से जुड़ी अक्षमता, बोलने संबंधी अक्षमता, सीखने से जुड़ी विशिष्ट अक्षमता ऑटिज्म, बहुआयामी अक्षमता जैसे वर्गो में श्रेणीबद्ध किया जाएगा. मसौदे में कहा गया है कि इसके आधार पर 'स्कूल का समग्र डाटा' तैयार किया जाएगा. मसौदे में 2019 के एक सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि 52.9 प्रतिशत राज्यों को कुछ श्रेणियों की दिव्यांगता के लक्षणों को पहचानने एवं वर्गीकरण में समस्याओं का सामना करना पड़ा है. आठ राज्यों - सिक्किम, तमिलनाडु, केरल, असम, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, दिल्ली और उत्तर प्रदेश ने ही अभी तक विशेष जरूरत वाले छात्रों की पहचान के लिये अपनी पहचान सूची तैयार की है.

ये भी पढ़ें - शिक्षा मंत्रालय ने इंजीनियरिंग की नई फीस तय की, राज्यों की सहमति बाकी

(पीटीआई-भाषा)

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.