नई दिल्ली : न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने सोमवार को हेट स्पीच की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. अथॉरिटी ने मीडिया संगठनों को खबर देने से पहले उन्हें इन दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखने को कहा है. एनबीडीएसए ने कहा कि उसका विचार है कि मीडिया के माध्यम से अभद्र भाषा के प्रसार के कारण देश के नाजुक सामाजिक ताने-बाने पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और यह भारत के संविधान के भावना का उल्लंघन करता है.
एनबीडीएसए ने संपादकों, संपादकीय कर्मियों, एंकरों, पत्रकारों और प्रस्तुतकर्ताओं को निर्देशित किया, जो इसके सदस्य संगठनों का हिस्सा हैं. एनबीडीएसए ने कहा कि उन्हें भाषा के साथ-साथ एजेंडा से प्रेरित शब्दों, विशेषणों और अभिव्यक्ति के सभी रूपों का उपयोग करने से बचना होगा. साथ ही एनबीडीएसए ने कहा कि चैनलों को अन्य बातों के साथ-साथ व्यक्तियों या समुदायों के प्रति घृणा उत्पन्न करने या हिंसा की वकालत करने वाले कंटेट को प्रसारित करने से बचना होगा.
ये दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतंत्र प्रसारण स्व-नियामक निकाय से अभद्र भाषा के लिए एंकरों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछे जाने के कुछ सप्ताह बाद आए हैं. अदालत अभद्र भाषा के आरोपों से जुड़े मामलों के एक समूह की सुनवाई कर रही है. एनबीडीएसए ने कहा कि संपादक, संपादकीय कर्मी, एंकर, पत्रकार और प्रस्तुतकर्ता को किसी भी एजेंडा से प्रेरित शब्दों और विशेषणों का उपयोग करने से बचना चाहिए जो किसी अन्य समुदाय के खिलाफ अपने सदस्यों के मन में अत्यधिक पूर्वाग्रह पैदा करके किसी भी समुदाय को प्रेरित करने की प्रवृत्ति रखते हैं.
इसी प्रकार जानबूझकर समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा देना, जिसमें समाज में व्यक्तियों या समूहों को आतंकवाद, नरसंहार, जातीय सफाई आदि के लिए उकसाना भी निगरानी के दायरे में रखा जाना चाहिए. इसने चैनलों को अभिव्यक्ति के किसी भी रूप या सभी रूपों का उपयोग करने से परहेज करने के लिए कहा जो किसी खास एजेंडे से लक्षित है, किसी का उपहास करता है, अमानवीय बनाता है, पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादों को मजबूत करता है और/ या हिंसा की वकालत करता है या किसी व्यक्ति और/ या समुदायों के खिलाफ धर्म, लिंग, जाति, राष्ट्रीय या जातीय मूल और/या यौन अभिविन्यास के आधार पर घृणा पैदा करता है.
मीडिया को अवमानना, घृणा, या बायकॉट करने के भावों का उपयोग करने से परहेज करने के लिए कहा गया है. जो किसी समुदाय के सदस्यों को उनके धर्म, लिंग, जाति, राष्ट्रीय या जातीय मूल, या यौनिकता के आधार पर बहिष्कृत करने की वकालत करते हैं. इसके अलावा, एनबीडीएसए ने कहा है कि हानिकारक रूढ़िवादिता की भाषा के उपयोग से बचना चाहिए. जिसका ऐतिहासिक रूप से लोगों या समुदायों पर उनके धर्म, लिंग, नस्ल, राष्ट्रीय या जातीय मूल और/या यौनिकता के आधार पर हमला करने, उन्हें डराने या अमानवीय बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया है.
इसने मीडिया को ऐसी भाषा का उपयोग करने से बचने के लिए कहा है जो डराने वाली है, और जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार और अलगाव की प्रवृत्ति बढ़ती है. एनबीडीएसए ने कहा कि वाद-विवाद सहित किसी भी कार्यक्रम के लिए डिस्क्लेमर प्रसारित करने से संपादक, संपादकीय कार्मिक, एंकर, पत्रकार और प्रस्तुतकर्ता आचार संहिता और प्रसारण मानकों के उल्लंघन के मामले में अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाते हैं और दिशानिर्देश. एनबीडीएसए ने कहा किसी विशेष चैनल की संपादकीय नीति या किसी कथित 'प्रतिभागियों का संतुलन' आचार संहिता और दिशानिर्देशों के उल्लंघन के खिलाफ बचाव नहीं हो सकता है. कार्यक्रम आयोजित करने वाले व्यक्ति के बोलने का तरीका, स्वर यदि अभद्र भाषा को बढ़ावा देते हैं, जिससे आचार संहिता और दिशानिर्देशों का उल्लंघन होता है तो उसके रोकना होगा.
इसने अपने सदस्यों से दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उच्चतम संपादकीय स्तर पर इसकी निगरानी की जाए. एनबीडीएसए की ओर से कहा गया है कि सदस्यों को यह भी सूचित किया जा रहा है कि एनबीडीएसए उपरोक्त दिशानिर्देशों के अनुपालन की बारीकी से निगरानी करेगा. निर्देशों के उल्लंघन को गंभीर कदाचार के रूप में देखा जाएगा और एनबीडीएसए द्वारा स्वत: कार्रवाई की जाएगी.