नवरात्रि तीसरा दिन: आज शक्ति पर्व शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है, इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है. मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की अपनी विशेष विशेषता है एवं महत्व है, मां चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है इस कारण उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए और संसार में शांति स्थापित करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था, मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव की शक्ति समाहित है. मां का वाहन बाघ है, मां चंद्रघंटा की आराधना से सुख शांति एवं सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है,उनके आशीर्वाद से जीवन में निर्भयता रहती है.
मां चंद्रघंटा का स्वरूप: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार असुरों के राजा महिषासुर ने स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया था जिससे संपूर्ण जगत में हाहाकार मच गया. तीनों लोक के प्राणी उसके आतंक के कारण भयभीत रहने लगे. तब सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा-विष्णु-महेश से महिषासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने अपनी शक्ति से मां चंद्रघंटा को प्रकट किया. मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं,उन्होंने अपने हाथों में विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शास्त धारण किए हुए हैं जिसमें मुख्य रूप से त्रिशूल,गदा और धनुष है. मां चंद्रघंटा का वाहन बाघ है.
![Maa chandraghanta . October 17 . 17 October 2023 . chandraghanta devi . third day of navratri . Navratri day three](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-10-2023/19785522_9375577d.jpg)
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ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा-आराधना
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करें. अपने पूजा घर एवं पूजा स्थल की सफाई करें. स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. यदि घर में कलश स्थापित किया है तो उसकी पूजा करें या फिर घर में मां दुर्गा या मां चंद्रघंटा की मूर्ति स्थापित कर उसकी पंचोंपचार विधि से पूजा करें.माता रानी का जलाभिषेक कारें, उसके बाद रोली, पान, फूल,अक्षत,लौंग, इलायची मां को अर्पित करें.पीला फूल और सफेद कमल का फूल भी अवश्य अर्पित करें. फिर मां तक का ध्यान करते हुए ऐं श्रीं शक्तयै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें. इसके बाद दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें. माता को केला एवं दूध से बनी मिठाइयां अति प्रिय है इसलिए इनका भोग लगाएं एवं माता चंद्रघंटा की आरती करें और अंत में माता से क्षमा मांगकर उनसे आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें.