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जानिए, क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय पेंशनर्स दिवस

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वाईबी चंद्रचूड़ ने पेंशन को लेकर आज ही के दिन ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इस वजह से सभी पेंशनरों के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है.

national pensioners day
इसका लक्ष्य बचत की आदत को बढ़ावा देना है
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Published : Dec 17, 2020, 8:23 AM IST

हैदराबाद: राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस 1 जनवरी 2004 को सभी नागरिकों को सेवानिवृत्ति आय प्रदान करने के उद्देश्‍य से आरंभ की गई थी. इसका लक्ष्‍य पेंशन के सुधारों को स्‍थापित करना और नागरिकों में सेवानिवृत्ति के लिए बचत की आदत को बढ़ावा देना है.

  1. देश के केंद्रीय, राज्य सेवा और सार्वजनिक उपक्रमों के सभी पेंशनरों के लिए 17 दिसंबर का दिन बहुत महत्व रखता है.
  2. देश की सर्वोच्च अदालत ने 17 दिसंबर 1982 को नकारा केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
  3. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाईबी चंद्रचूड़ ने डीएस नकारा मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
  4. फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जोर देते हुए कहा कि पेंशन एक कर्मचारी का अधिकार है न कि सरकार का इनाम. उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति की तारीख के आधार पर पेंशन लाभ बढ़ाने में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता.
  5. इस निर्णय को पेंशनरों का महाधिकार पत्र भी माना जाता है. इस वजह से 17 दिसंबर को राष्ट्रीय पेंशन योजना के रूप में मनाया जाता है.

एक नजर में नकारा केस

1. रक्षा मंत्रालय के अधिकारी डीएस नकारा की इस केस में मुख्य भूमिका थी.

2. उन्होंने 25 मई 1979 को भारत सरकार के एक आदेश के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इसके बाद ही एक उदार पेंशन स्कीम की शुरूआत की गई.

3. इस स्कीम के तहत 31 मार्च 1974 से पहले सेवानिवृत्त लोगों को लाभों से वंचित कर दिया गया था. नकारा भी इस दायरे में आ गए थे. जिस वजह से उन्होंने केस दर्ज कराया था.

4. इस केस के पीछे डीएस नकारा का ही हाथ था. वह रक्षा मंत्रालय में एक अधीकारी थे. उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी. 25 मई 1979 को भारत सरकार

5. उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी, 25 मई 1979 को भारत सरकार के एक आदेश के कारण हुए अन्याय के खिलाफ एक उदार पेंशन योजना की शुरुआत की.

6. एचडी शौरी ने जनहित याचिका दायर करने में नकारा की मदद की. इस याचिका में पेंशन से संबंधित बुनियादी मुद्दों को उठाया गया. जिसने सुप्रीम कोर्ट को पेंशन पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए मजबूर कर दिया था.

7. यह केस इतना महत्वपूर्ण था कि भारत में न्यायिक सक्रियता के पांच प्रतिष्ठित न्यायाधीशों ने निर्णय दिया था. इस केस में न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डीए देसाई, न्यायमूर्ति ओ चिन्नाप्पा रेड्डी, न्यायमूर्ति वी डी तुलसापुरकर और न्यायमूर्ति बहरुल इस्लाम प्रमुख हैं.

भारतीय पेंशन प्रणाली

  1. पेंशन प्रणाली 2018 के तहत श्रमिकों को कर्मचारी पेंशन योजना और कर्मचारी भविष्य निधि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) तहत कवर किया जाता है.
  2. 1 जनवरी 2004 या उसके बाद केंद्रीय सेवाओं में शामिल होने वाले कर्मचारी कर्मचारी नई पेंशन प्रणाली(एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं.

योग्यता की शर्तेे

  1. कर्मचारी पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए पेंशनर्स की आयु न्यूनतम दस वर्षों के योगदान के साथ 58 साल है. वहीं, कमाई से संबंधित कर्मचारी भविष्य निधि योजना के लिए पेंशन की आयु 55 वर्ष है.
  2. 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 12% कार्यबल (या लगभग 58 मिलियन लोग) विभिन्न पेंशन प्रणालियों के अंतर्गत आते हैं. पेंशन के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी सरकारी, सरकारी उद्यमों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों द्वारा नियोजित हैं, जो अनिवार्य रूप से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा कवर किए गए हैं.
  3. 20 या अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ता ईपीएफओ द्वारा कवर किए गए हैं. शेष 88% कार्यबल मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र (स्व-नियोजित, दिहाड़ी मजदूर, किसान आदि) के अंतर्गत आते हैं और कुछ संगठित क्षेत्र में हैं, लेकिन ये ईपीएफओ द्वारा कवर नहीं किए गए हैं.
  4. सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और पोस्टल सेविंग स्कीम्स पारंपरिक रूप से मुख्य दीर्घकालिक बचत योजनाएं हैं, लेकिन ये केवल बहुत कम लोगों तक ही सीमित है.

कर्मचारी भविष्य निधि योजनाएं(ईपीएफ)

  1. महीने में 15,000 प्रतिमाह या इससे कम मूल वेतन वाले कर्मचारी मासिक वेतन का 12% और नियोक्ता 3.67% योगदान देता है. यह संयुक्त 15.67% एकमुश्त के रूप में जमा होता है.
  2. वहीं, 15,000 प्रतिमाह से अधिक मूल वेतन वाले कर्मचारी मासिक वेतन का 12% और नियोक्ता भी 12% योगदान देता है. यह संयुक्त रूप से 24% जमा होता है.
  3. 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद या सेवानिवृत्ति पर पूर्ण संचय का भुगतान किया जाता है.

भारतीय पेंशन प्रणाली की समस्याएं

बढ़ती हुई उम्र की आबादी

1.जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रजनन दर में गिरावट जनसंख्या आयु संरचना में एक महत्वपूर्ण बदलाव के लिए अग्रणी है. वृद्धावस्था की जनसंख्या (60 वर्ष या उससे अधिक आयु) 1951 में लगभग 19.8 मिलियन से बढ़कर 1991 में 56.7 मिलियन हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कुल जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात 5.5 से 6.9 प्रतिशत तक बढ़ गया.

2. विश्व बैंक (1994a) के अनुमान के अनुसार 2020 तक बूढ़े लोगों का प्रतिशत बढ़कर 10.3% होने की उम्मीद है.

3. 1996 से 2016 तक बुजुर्ग नागरिकों की संख्या में लगभग 62.3 मिलियन से 112.9 मिलियन तक दोगुनी होने का अनुमान है.

संगठित क्षेत्र पर ध्यान

  1. भारत में मौजूदा पेंशन योजनाएं मुख्य रूप से संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कवर करती हैं, जिसमें कुल कार्यबल का लगभग 10 प्रतिशत है.
  2. इसलिए असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश श्रमिकों का बहिष्कार वर्तमान प्रणाली की एक गंभीर सीमा है.
  3. निजी संगठित क्षेत्र में सबसे बड़ी कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना है. इसके तहत लगभग 23.12 मिलियन श्रमिक कर्मचारी शामिल हैं.
  4. कोयले के खदान में काम करने वाले और चाय बागान श्रमिकों के लिए अन्य छोटी भविष्य निधि योजनाएं अन्य 1.25 मिलियन श्रमिकों को कवर करती हैं.
  5. केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सार्वजनिक क्षेत्र में 11.14 मिलियन कार्यरत कर्मचारी कवर हैं.
  6. इसके विपरीत असंगठित क्षेत्र में ऐसे कवर श्रमिकों की संख्या केवल 2 मिलियन है. बता दें, यह संख्या संगठित क्षेत्र के कवर श्रमिकों के 10 प्रतिशत से कम और कुल असंगठित क्षेत्र की आबादी का सिर्फ 1 प्रतिशत ही है.

सार्वजनिक वित्त पर दबाव

  1. गैर-अंशदायी, अप्रकाशित सार्वजनिक पेंशन कार्यक्रमों का व्यय सरकार के बजटीय आवंटन पर दबाव बढ़ा रहा है. जब तक इस प्रवृत्ति को कम नहीं किया जाता है, तब तक ये योजनाएं निकट भविष्य में आर्थिक रूप से अस्थिर होंगी.

राज्य की राजकोषीय समस्याएं

1. 1980 के दशक के शुरुआत से राजकोषीय घाटा ज्यादा था, यह केंद्र और राज्यों का कुल घाटा अब सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% है.

सामाजिक सुरक्षा

  1. पेंशन योजना वृद्धावस्था के दौरान वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है जब लोगों के पास आय का एक नियमित स्रोत नहीं होता है. सेवानिवृत्ति योजना यह सुनिश्चित करती है कि लोग आगे बढ़ने के वर्षों के दौरान गर्व के साथ और अपने जीवन स्तर के साथ समझौता किए बिना रहें. पेंशन स्कीम में बचत पर निवेश और संचय करने और सेवानिवृत्ति पर वार्षिकी योजना के माध्यम से नियमित आय के रूप में एकमुश्त राशि प्राप्त करने का अवसर मिलता है.
  2. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग के अनुसार विश्व की जीवन दर 65 वर्ष के वर्तमान स्तर से 2050 तक 75 वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है. भारत में बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति ने जीवन काल बढ़ा दिया है. परिणामस्वरूप सेवानिवृत्ति के बाद के वर्षों की संख्या बढ़ जाती है. इस प्रकार रहने की बढ़ती लागत, मुद्रास्फीति और जीवन प्रत्याशा सेवानिवृत्ति की योजना को आज के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाते हैं. अधिक नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार को श्रमिकों के सभी क्षेत्रों में पेंशन योजनाओं में रिफॉर्म्स पर ध्यान केंद्रित करना होगा.

हैदराबाद: राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस 1 जनवरी 2004 को सभी नागरिकों को सेवानिवृत्ति आय प्रदान करने के उद्देश्‍य से आरंभ की गई थी. इसका लक्ष्‍य पेंशन के सुधारों को स्‍थापित करना और नागरिकों में सेवानिवृत्ति के लिए बचत की आदत को बढ़ावा देना है.

  1. देश के केंद्रीय, राज्य सेवा और सार्वजनिक उपक्रमों के सभी पेंशनरों के लिए 17 दिसंबर का दिन बहुत महत्व रखता है.
  2. देश की सर्वोच्च अदालत ने 17 दिसंबर 1982 को नकारा केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
  3. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाईबी चंद्रचूड़ ने डीएस नकारा मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
  4. फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जोर देते हुए कहा कि पेंशन एक कर्मचारी का अधिकार है न कि सरकार का इनाम. उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति की तारीख के आधार पर पेंशन लाभ बढ़ाने में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता.
  5. इस निर्णय को पेंशनरों का महाधिकार पत्र भी माना जाता है. इस वजह से 17 दिसंबर को राष्ट्रीय पेंशन योजना के रूप में मनाया जाता है.

एक नजर में नकारा केस

1. रक्षा मंत्रालय के अधिकारी डीएस नकारा की इस केस में मुख्य भूमिका थी.

2. उन्होंने 25 मई 1979 को भारत सरकार के एक आदेश के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इसके बाद ही एक उदार पेंशन स्कीम की शुरूआत की गई.

3. इस स्कीम के तहत 31 मार्च 1974 से पहले सेवानिवृत्त लोगों को लाभों से वंचित कर दिया गया था. नकारा भी इस दायरे में आ गए थे. जिस वजह से उन्होंने केस दर्ज कराया था.

4. इस केस के पीछे डीएस नकारा का ही हाथ था. वह रक्षा मंत्रालय में एक अधीकारी थे. उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी. 25 मई 1979 को भारत सरकार

5. उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी, 25 मई 1979 को भारत सरकार के एक आदेश के कारण हुए अन्याय के खिलाफ एक उदार पेंशन योजना की शुरुआत की.

6. एचडी शौरी ने जनहित याचिका दायर करने में नकारा की मदद की. इस याचिका में पेंशन से संबंधित बुनियादी मुद्दों को उठाया गया. जिसने सुप्रीम कोर्ट को पेंशन पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए मजबूर कर दिया था.

7. यह केस इतना महत्वपूर्ण था कि भारत में न्यायिक सक्रियता के पांच प्रतिष्ठित न्यायाधीशों ने निर्णय दिया था. इस केस में न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डीए देसाई, न्यायमूर्ति ओ चिन्नाप्पा रेड्डी, न्यायमूर्ति वी डी तुलसापुरकर और न्यायमूर्ति बहरुल इस्लाम प्रमुख हैं.

भारतीय पेंशन प्रणाली

  1. पेंशन प्रणाली 2018 के तहत श्रमिकों को कर्मचारी पेंशन योजना और कर्मचारी भविष्य निधि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) तहत कवर किया जाता है.
  2. 1 जनवरी 2004 या उसके बाद केंद्रीय सेवाओं में शामिल होने वाले कर्मचारी कर्मचारी नई पेंशन प्रणाली(एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं.

योग्यता की शर्तेे

  1. कर्मचारी पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए पेंशनर्स की आयु न्यूनतम दस वर्षों के योगदान के साथ 58 साल है. वहीं, कमाई से संबंधित कर्मचारी भविष्य निधि योजना के लिए पेंशन की आयु 55 वर्ष है.
  2. 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 12% कार्यबल (या लगभग 58 मिलियन लोग) विभिन्न पेंशन प्रणालियों के अंतर्गत आते हैं. पेंशन के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी सरकारी, सरकारी उद्यमों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों द्वारा नियोजित हैं, जो अनिवार्य रूप से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा कवर किए गए हैं.
  3. 20 या अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ता ईपीएफओ द्वारा कवर किए गए हैं. शेष 88% कार्यबल मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र (स्व-नियोजित, दिहाड़ी मजदूर, किसान आदि) के अंतर्गत आते हैं और कुछ संगठित क्षेत्र में हैं, लेकिन ये ईपीएफओ द्वारा कवर नहीं किए गए हैं.
  4. सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और पोस्टल सेविंग स्कीम्स पारंपरिक रूप से मुख्य दीर्घकालिक बचत योजनाएं हैं, लेकिन ये केवल बहुत कम लोगों तक ही सीमित है.

कर्मचारी भविष्य निधि योजनाएं(ईपीएफ)

  1. महीने में 15,000 प्रतिमाह या इससे कम मूल वेतन वाले कर्मचारी मासिक वेतन का 12% और नियोक्ता 3.67% योगदान देता है. यह संयुक्त 15.67% एकमुश्त के रूप में जमा होता है.
  2. वहीं, 15,000 प्रतिमाह से अधिक मूल वेतन वाले कर्मचारी मासिक वेतन का 12% और नियोक्ता भी 12% योगदान देता है. यह संयुक्त रूप से 24% जमा होता है.
  3. 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद या सेवानिवृत्ति पर पूर्ण संचय का भुगतान किया जाता है.

भारतीय पेंशन प्रणाली की समस्याएं

बढ़ती हुई उम्र की आबादी

1.जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रजनन दर में गिरावट जनसंख्या आयु संरचना में एक महत्वपूर्ण बदलाव के लिए अग्रणी है. वृद्धावस्था की जनसंख्या (60 वर्ष या उससे अधिक आयु) 1951 में लगभग 19.8 मिलियन से बढ़कर 1991 में 56.7 मिलियन हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कुल जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात 5.5 से 6.9 प्रतिशत तक बढ़ गया.

2. विश्व बैंक (1994a) के अनुमान के अनुसार 2020 तक बूढ़े लोगों का प्रतिशत बढ़कर 10.3% होने की उम्मीद है.

3. 1996 से 2016 तक बुजुर्ग नागरिकों की संख्या में लगभग 62.3 मिलियन से 112.9 मिलियन तक दोगुनी होने का अनुमान है.

संगठित क्षेत्र पर ध्यान

  1. भारत में मौजूदा पेंशन योजनाएं मुख्य रूप से संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कवर करती हैं, जिसमें कुल कार्यबल का लगभग 10 प्रतिशत है.
  2. इसलिए असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश श्रमिकों का बहिष्कार वर्तमान प्रणाली की एक गंभीर सीमा है.
  3. निजी संगठित क्षेत्र में सबसे बड़ी कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना है. इसके तहत लगभग 23.12 मिलियन श्रमिक कर्मचारी शामिल हैं.
  4. कोयले के खदान में काम करने वाले और चाय बागान श्रमिकों के लिए अन्य छोटी भविष्य निधि योजनाएं अन्य 1.25 मिलियन श्रमिकों को कवर करती हैं.
  5. केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सार्वजनिक क्षेत्र में 11.14 मिलियन कार्यरत कर्मचारी कवर हैं.
  6. इसके विपरीत असंगठित क्षेत्र में ऐसे कवर श्रमिकों की संख्या केवल 2 मिलियन है. बता दें, यह संख्या संगठित क्षेत्र के कवर श्रमिकों के 10 प्रतिशत से कम और कुल असंगठित क्षेत्र की आबादी का सिर्फ 1 प्रतिशत ही है.

सार्वजनिक वित्त पर दबाव

  1. गैर-अंशदायी, अप्रकाशित सार्वजनिक पेंशन कार्यक्रमों का व्यय सरकार के बजटीय आवंटन पर दबाव बढ़ा रहा है. जब तक इस प्रवृत्ति को कम नहीं किया जाता है, तब तक ये योजनाएं निकट भविष्य में आर्थिक रूप से अस्थिर होंगी.

राज्य की राजकोषीय समस्याएं

1. 1980 के दशक के शुरुआत से राजकोषीय घाटा ज्यादा था, यह केंद्र और राज्यों का कुल घाटा अब सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% है.

सामाजिक सुरक्षा

  1. पेंशन योजना वृद्धावस्था के दौरान वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है जब लोगों के पास आय का एक नियमित स्रोत नहीं होता है. सेवानिवृत्ति योजना यह सुनिश्चित करती है कि लोग आगे बढ़ने के वर्षों के दौरान गर्व के साथ और अपने जीवन स्तर के साथ समझौता किए बिना रहें. पेंशन स्कीम में बचत पर निवेश और संचय करने और सेवानिवृत्ति पर वार्षिकी योजना के माध्यम से नियमित आय के रूप में एकमुश्त राशि प्राप्त करने का अवसर मिलता है.
  2. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग के अनुसार विश्व की जीवन दर 65 वर्ष के वर्तमान स्तर से 2050 तक 75 वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है. भारत में बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति ने जीवन काल बढ़ा दिया है. परिणामस्वरूप सेवानिवृत्ति के बाद के वर्षों की संख्या बढ़ जाती है. इस प्रकार रहने की बढ़ती लागत, मुद्रास्फीति और जीवन प्रत्याशा सेवानिवृत्ति की योजना को आज के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाते हैं. अधिक नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार को श्रमिकों के सभी क्षेत्रों में पेंशन योजनाओं में रिफॉर्म्स पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
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