हैदराबाद : केरल में जन्मे डॉ. वर्गीज कुरियन सरकारी छात्रवृति पर मेकनिकल साइंस में मास्टर्स की पढ़ाई करने के लिए अमेरिकी गये. 1949 में वहां से वापस आने के बाद गुजरात के करिया जिले के आनंद में डेयरी डिवीजन में नौकरी के पहुंचे थे. सरकार की ओर से मिली छात्रवृति के बदले वे वहां अपनी सेवा देने के लिए पहुंचे थे. वहां पहुंचने के बाद उन्होंने पाया कि दुग्ध व्यापार से जुड़ा एक व्यापारी किसानों और दुग्ध उत्पादकों का लगातार शोषण कर रहे थे. शोषण से दुखी होकर वर्गीज कुरियन ने सरकारी नौकरी छोड़ कर दुग्ध उत्पादकों के काम शुरू कर दिया. इसके बदौलत भारत दुग्ध उत्पादन में आज दुनिया में टॉप है. उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए हर साल उनके जन्मदिन को नेशनल मिल्क डे मनाया जाता है.
दुग्ध उत्पादन में अमूल मॉडल को मिली वैश्विक पहचान
आनंद के इलाके में किसानों को शोषण से मुक्त कराने के लिए त्रिभुवनदास पटेल नामक एक लीडर वहां लगातार संघर्ष कर रहे थे. इसके बाद वर्गीज कुरियन ने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया. वर्गीज कुरियन ने त्रिभुवनदास पटेल और किसानों के साथ मिलकर कैरा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड (Kaira District Cooperative Milk Producers Union-KMCMPUL) नामक सहकारी संगठन का पंजीयन कराया. बाद में इसका नाम बदलकर अमूल किया गया. इस अमूल ने भारत को दूध की किल्लत वाले देश से विश्व के सबसे बड़े दूग्ध उत्पादक देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया.
दुग्ध उत्पादन के लिए भारत को बुलंदियों पर पहुंचाने और किसानों व दुग्ध उत्पादकों की स्थिति सुधारने के लिए भारत सहित कई देशों उन्हें पुरस्कारों से सम्मानित किया. इसके अलावा उन्हें कई देश के भीतर कई संस्थाओं से कई दर्जन पुरस्कारों से नवाजा गया था. भारत ही नहीं वर्गीज कुरियन दुनिया में श्वेत क्रांति के जनक या ऑपरेशन फ्लड के नायक के रूप में जाने जाते हैं.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का इतिहास
- राष्ट्रीय दुग्ध दिवस डॉ. वर्गीस कुरियन की जयंती (26 नवंबर ) पर मनाया जाता है, जिन्हें 'श्वेत क्रांति के जनक' के रूप में भी जाना जाता है.
- राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मानव जीवन में दूध के महत्व पर प्रकाश डालता है.
- इस दिन को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), भारतीय डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) सहित देश की प्रमुख डेयरी कंपनियों द्वारा राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में चुना गया था.
- 22 राज्यों का दुग्ध संघ (इंडियन डेयरी एसोसिएशन) ने 2014 में पहली बार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने की पहल की थी.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस उद्देश्य:
- दूध उत्पादन बढ़ाएं (दूध की बाढ़)
- ग्रामीण आय बढ़ाएं
- उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का महत्व
संपूर्ण भोजन कहे जाने वाला दूध प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिजों से भरपूर होता है। यह शरीर द्वारा आसानी से पच जाता है और इसके अनगिनत स्वास्थ्य लाभ हैं। नियमित दूध का सेवन शरीर को फिट और स्वस्थ रखता है और हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस इसलिये मनाया जाता है क्योंकि:
- हर साल लाखों लोग खराब पोषण के कारण मर जाते हैं
- विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छा भोजन सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य में सुधार करने का सबसे अच्छा तरीका दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन करना है
- उचित पोषण मधुमेह, हृदय रोग, ऑस्टियोपोरोसिस और कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है.
- दूध में ए, बी12, डी और ई जैसे आवश्यक विटामिन, फास्फोरस और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं
- दूध में प्राकृतिक शर्करा (लैक्टोज) होती है जो मजबूत दांतों और मसूड़ों को बढ़ावा देने में मदद करती है
- दुग्ध दिवस स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए दूध के सेवन के महत्व पर जोर देता है.
दुग्ध दिवस का आयोजन
- भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है.
- इस दिन बच्चों और वयस्कों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए दूध का सेवन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
- इस दिन अलग-अलग संस्थाओं की ओर से स्वास्थ्य शिविर, स्कूल-स्तरीय प्रतियोगिता सहित कई आयोजन किया जाता है.
- दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों की ओर से दूध मेला का आयोजन किया जाता है.
- दूध की खपत और उसके उत्पादों के माध्यम से स्वस्थ आहार के लोगों को जागरूक किया जाता है.
ऑपरेशन फ्लड
- भारत में 13 जनवरी, 1970 को ऑपरेशन फ्लड लॉन्च किया गया था. यह दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम था.
- 30 सालों के भीतर ऑपरेशन ने भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता को दोगुना तक पहुंचा दिया.
- किसानों को दुग्ध उत्पादन से जोड़कर भारत का सबसे बड़ा आत्मनिर्भर ग्रामीण रोजगार सृजक बना दिया है.
- ऑपरेशन ने किसानों को सीधे तौर पर संसाधनों पर सीधा नियंत्रण दिया, जिससे उन्हें प्रत्यक्ष मदद मिली.
- आज के समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक और उपभोक्ता है. उत्पादन के मामलों में भारत की हिस्सेदारी 24 फीसदी हिस्सा है.
- 2023 में भारत के शीर्ष तीन दूध उत्पादक राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं.
- राजस्थान गिर और साहीवाल जैसी डेयरी मवेशियों की नस्लों के लिए प्रसिद्ध है.
- पिछले कुछ सालों में दूध उत्पादन के मामले में राजस्थान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
भारत में दूध उत्पादन का महत्व
- दूध उत्पादन देश की कृषि और आर्थिक संरचना के लिए महत्वपूर्ण है. डेयरी क्षेत्र का देश की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान है.
- दूध भारत की आबादी की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता है.
- दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है. यह बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
- दूध में कैल्शियम और प्रोटीन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद है.
- यह रोजगार सृजन के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. खासकर ग्रामीण क्षेत्र में बड़ा योगदान है.
भारत में दूध उत्पादन (मिलियन टन)
साल दूध
- 1950-51 017.00
- 1960-61 020.0
- 1970-71 No Data
- 1980-81 031.6
- 1990-91 053.9
- 2000-01 080.6
- 2010-11 121.8
- 2020-21 210.0
- 2021-22 221.1