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कृषि कानूनों में संशोधन पर 'राष्ट्रीय किसान मोर्चा' राजी लेकिन रखी ये शर्त

तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन से अलग अब देश भर के 125 से ज्यादा किसान संगठनों ने 'राष्ट्रीय किसान मोर्चा' का गठन किया है जो कृषि कानूनों में संशोधन पर सहमत है बशर्ते कि सरकार उनके सुझाव अनुसार संशोधन करे.

कृषि
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Published : Aug 4, 2021, 9:00 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में बुधवार को हुई बैठक में किसान नेता वीएम सिंह ने अगुआई की और देश के 20 राज्यों से आए अलग अलग छोटे बड़े किसान संगठनों ने एक सुर में कहा कि वह अनिश्चितकालीन आंदोलन के बजाय समाधान चाहते हैं.

वीएम सिंह ने फिर दोहराया कि यदि सरकार एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य कर दे और चार संशोधन कृषि कानूनों में कर दे तो देश के किसानों का भला होगा. उसके बाद शायद दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे किसानों को भी भरोसा जागे और वह सरकार से वार्ता करें.
हालांकि दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे किसान संगठन सीधे तौर पर कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं लेकिन निश्चित रूप से संयुक्त किसान मोर्चा देश में किसानों का सर्वोच्च नेतृत्व करने वाला एकमात्र मंच नहीं है.

अब एक नये किसान संगठनों के समूह के गठन के बाद यह माना जा रहा है कि आठ महीनों तक आंदोलन के बाद अब किसान चाहते हैं कि संशोधन के प्रस्ताव पर मान कर सरकार को एमएसपी पर गारंटी के साथ खरीद के लिये कानून बनाने पर राजी करें.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा द्वारा जो चार संशोधन प्रस्तावित किये गए हैं उसमें कॉन्ट्रैक्ट में किसी तरह के जमीन अधिग्रहित करने का प्रावधान न हो, करार करने वाले को जमीन पर किसी तरह का लोन लेने का अधिकार न हो, कॉन्ट्रैक्ट एमएसपी पर हो और विवाद की स्थिति में किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार होना शामिल है

इसे भी पढ़ें : किसान संगठनों को संसोधन के कई प्रस्ताव दिए : नरेंद्र सिंह तोमर

इसके अलावा राष्ट्रीय किसान मोर्चा ने आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है उनके लिये 10 लाख रुपये मुआवजे और किसानों पर हुए सभी मुकदमे वापस लेने की मांग भी की है.

नई दिल्ली : दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में बुधवार को हुई बैठक में किसान नेता वीएम सिंह ने अगुआई की और देश के 20 राज्यों से आए अलग अलग छोटे बड़े किसान संगठनों ने एक सुर में कहा कि वह अनिश्चितकालीन आंदोलन के बजाय समाधान चाहते हैं.

वीएम सिंह ने फिर दोहराया कि यदि सरकार एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य कर दे और चार संशोधन कृषि कानूनों में कर दे तो देश के किसानों का भला होगा. उसके बाद शायद दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे किसानों को भी भरोसा जागे और वह सरकार से वार्ता करें.
हालांकि दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे किसान संगठन सीधे तौर पर कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं लेकिन निश्चित रूप से संयुक्त किसान मोर्चा देश में किसानों का सर्वोच्च नेतृत्व करने वाला एकमात्र मंच नहीं है.

अब एक नये किसान संगठनों के समूह के गठन के बाद यह माना जा रहा है कि आठ महीनों तक आंदोलन के बाद अब किसान चाहते हैं कि संशोधन के प्रस्ताव पर मान कर सरकार को एमएसपी पर गारंटी के साथ खरीद के लिये कानून बनाने पर राजी करें.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा द्वारा जो चार संशोधन प्रस्तावित किये गए हैं उसमें कॉन्ट्रैक्ट में किसी तरह के जमीन अधिग्रहित करने का प्रावधान न हो, करार करने वाले को जमीन पर किसी तरह का लोन लेने का अधिकार न हो, कॉन्ट्रैक्ट एमएसपी पर हो और विवाद की स्थिति में किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार होना शामिल है

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इसके अलावा राष्ट्रीय किसान मोर्चा ने आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है उनके लिये 10 लाख रुपये मुआवजे और किसानों पर हुए सभी मुकदमे वापस लेने की मांग भी की है.

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