ग्वालियर : नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आदंलोन पिछले 86 दिनों से जारी है. 12 दौर की वार्ता के बाद भी किसान आंदोलन जारी है. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को वापस ले, लेकिन सरकार कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है.
किसान आंदोलन को अब करीब तीन महीने होने वाले हैं. ऐसे में जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से सवाल किया गया कि आखिर क्यों किसान आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, तो फिर उन्होंने वही बयान दिया जो वो शुरुआती दौर से देते आ रहे हैं कि सरकार किसान यूनियन से चर्चा करने को तैयार है.
'आंदोलन से वापस नहीं होते कानून'
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से जब मीडियाकर्मियों ने किसान आंदोलन को लेकर सवाल किए तो उन्होंने कहा कि सिर्फ आंदोलन करने से कानून वापस नहीं हुआ करते. अगर वास्तव में किसान यूनियन को किसानों की चिंता है तो सरकार को बताएं कि इन कानूनों में क्या कमियां हैं, सरकार संशोधन के लिए तैयार है.
तोमर ने कहा, 'सरकार ने किसान यूनियन के साथ बहुत संवेदनशीलता के साथ 12 दौर की बातचीत की है. बातचीत का निर्णय तब होता है, जब आप किसी कानून में कोई आपत्ति बताएं, कानून में किसान के विरुद्ध क्या है ये बताओ. डायरेक्ट कहोगे कि कानून हटा दो. तो ऐसा नहीं होता कि भीड़ इकट्ठा हो जाए और कानून हट जाए. ये तो बताइए कि ऐसा कौन सा प्वाइंट है जो सरकार के विरुद्ध जाता है.'
उन्होंने कहा कि सरकार समझने को तैयार है, सरकार संशोधन करने को तैयार है, सरकार चर्चा करने को तैयार है. आज भी तैयार है, प्रधानमंत्री ने भी कह दिया, तो किसान यूनियन आंदोलन करते रहे, उससे क्या होगा. कुल मिलाकर जब सरकार चर्चा करना चाहती है तो उन्हें सरकार को बिंदु बताना चाहिए. हम लोग उन बिंदुओं पर बात करने को तैयार हैं.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर किसान यूनियन किसानों की हिमायती हैं तो उन्हें चाहिए कि किसानों को तकलीफ न आए. वे सरकार को बताएं, सरकार उस पर चर्चा करने को तैयार है. जरूरत पड़ेगी तो संशोधन करने को भी तैयार है.