नई दिल्ली : तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के इस्तीफा (resignation) देने के बाद नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए विधायक दल की बैठक आज (शनिवार) दोपहर तीन बजे होगी. इसके लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए हैं. सीएम रावत (CM rawat) ने कल (शुक्रवार) उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य (Uttarakhand Governor Baby Rani Maurya) को अपना इस्तीफा सौंपा.
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Union Minister Narendra Singh Tomar leaves for Uttarakhand following the resignation of State Chief Minister Tirath Singh Rawat. Visuals from outside his residence.
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CM Rawat yesterday tendered his resignation to Uttarakhand Governor Baby Rani Maurya pic.twitter.com/DkGKE1sLkJ
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— ANI (@ANI) July 3, 2021
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केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) उत्तराखंड (Uttarakhand) जाने के लिए दिल्ली के अपने घर से निकल चुके हैं. वह पार्टी के पर्यवेक्षक के तौर पर उत्तराखंड जा रहे हैं. नरेंद्र सिंह तोमर बीजेपी विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) को तत्काल दिल्ली तबल किया गया है. वे इस संबंध में बोले कि विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए उत्तराखंड जा रहा हूं. तोमर को उत्तराखंड में सीएम चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया गया है.
तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया. अब आज (शनिवार) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल की बैठक में वर्तमान विधायकों में से ही किसी एक को विधायक दल का नेता चुना जाएगा.
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दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिन भर चली मुलाकातों और बैठकों के दौर के बाद रावत ने शुक्रवार रात करीब साढ़े गयारह बजे अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा. इस्तीफा देने के बाद रावत ने संवाददाताओं को बताया कि उनके इस्तीफा देने का मुख्य कारण संवैधानिक संकट था, जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था.
उन्होंने कहा, संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा. रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उन्हें उच्च पदों पर सेवा करने का मौका दिया.
पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक, निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.
यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई. क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पायीं.
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यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नहीं लड़ा, मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला.
मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपचुनाव नहीं करा पाएंगे. इसलिए हम लोगों ने उचित समझा कि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न न हो. उन्होंने कहा कि नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है.
आज (शनिवार) अपराह्न तीन बजे बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे, जबकि केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा महासचिव व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम मौजूद रहेंगे. उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गयी है.
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें उसी दिन लगने लगी थीं, जब रावत को केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली तलब किया था और सभी निर्धारित कार्यक्रमों को छोड़कर वह बुधवार को दिल्ली पहुंचे. अपने तीन दिन के दिल्ली दौरे पर उन्होंने बृहस्पतिवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मंत्रणा की थी.
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शुक्रवार को उन्होंने 24 घंटे के भीतर दूसरी बार नड्डा से मुलाकात की. देहरादून लौटने के बाद मुख्यमंत्री रावत राज्य सचिवालय पहुंचे और वहां संवाददाताओं से मुखातिब हुए, लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे के संबंध में कोई बात न करते हुए नई घोषणाएं कर सबको हैरानी में डाल दिया. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वह इस संवाददाता सम्मेलन में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए परिवहन और पर्यटन आदि क्षेत्रों के लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और उन्हें लगभग 2000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित युवाओं को रोजगार देने के लिए छह माह में 20,000 रिक्तियां भरने की घोषणा की है.
उन्होंने कहा कि वह यह घोषणा पहले ही करना चाहते थे, लेकिन तीन दिन दिल्ली में रहने के कारण अब कर रहे हैं. प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं. भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है.
(इनपुट-भाषा)