वाराणसी: पांच दिवसीय दीप पर्व (Diwali 2023 ) के दूसरे दिन यानी आज नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2023) और हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2023) का पर्व है. कल दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाने की धार्मिक मान्यता है. इसी दिन भगवान श्रीहरि ने नरकासुर का वध किये थे इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, स्वाति नक्षत्र, मंगलवार को मेष लग्न और तुला राशि में रामभक्त महाबली हनुमान का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि पर हनुमान जयंती भी मनायी जाएगी. वहीं, सायंकाल घर से बाहर चार बत्तियों वाला दीपक यमराज के निमित्त जलाना चाहिए.
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस बार मासशिवरात्रि युक्त चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर को दिन में 01:14 मिनट पर लगेगी जो 12 नवंबर को दिन में 02:12 मिनट तक रहेगी. वहीं, मेष लग्न सायं 04:10 मिनट से 05:47 मिनट तक रहेगा. नरक चतुर्दशी का महत्व इसलिए भी विशेष हो जाता कि अकाल मृत्यु से निजात व नरक, इन दोनों से बचाव हो जाता है और जीवन सुखमय व्यतीत होता है.
हनुमानजी की पूजन का विधान
भक्तों को इस तिथि पर प्रात: संकल्प में हनुमान जी की विशेष अनुकम्पा मेरे और मेरे परिवार पर हो और मैं हनुमान जी की जयंती का उत्सव करूंगा, यह संकल्प कर यथाविधि पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें. इसके उपरांत तिल के तेल में सिन्दूर मिलाकर उनकी मूर्ति को सुसज्जित करे. इसके पश्चात मूर्ति को माला से सुशोभित कर नैवेद्य में मोदक, चूरमा व पांच प्रकार के ऋतुफल अर्पित करें. सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक, राम व रामायण इत्यादि का पाठ करें.
शनिवार का दिन विशेष
शनिदेव जून में कुंभ राशि में वक्री हुए थे जो छह मास अंतराल चार नवंबर को यह मार्गी हुए. कर्क, वृश्चिक राशि पर अढ़ैया, मकर, कुंभ व मीन राशि पर साढ़े साती तथा जिन लोगों पर शनि की महदशा, अंतरदशा, प्रत्यंतरदशा, गोचर में किसी भी प्रकार शनिदेव अनिष्टकारी बने हों, उन सभी लोगों को इस बार शनिवासरीय हनुमत जयंती पर शनिदेव को शांत करने के लिए शनिवार को पीपल वृक्ष तले दीपदान, महाबली हनुमान का जन्मोत्सव मनाने से शनि की अनिष्टता में कमी तथा जिन लोगों के शनिदेव शुभफलकारी बने हैं, उनके लिए अतिशुभकारी होंगे.
हनुमान जी का जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने की पौराणिक मान्यता है. प्रथम चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि तथा द्वितीय कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. शनिवार के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव पड़ने से पूजा-अर्चना विशेष फलदायी हो गयी है. ज्योर्तिविद् विमल जैन ने बताया कि कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में श्रीहनुमानजी का जन्म महोत्सव मनाया जाता है. इस दिन व्रत उपवास रखकर श्रीहनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली बनी रहती है. साथ ही समस्त संकटों का निवारण भी होता है, जैसा कि श्रीहनुमान चालीसा में बतलाया गया है-'संकट तें हनुमान छुड़ावै. मनक्रम बचन ध्यान जो लावै ॥'
पौराणिक मान्यताः ज्योतिषविद विमल जैन जी ने बताया कि पवनसुत भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी के विराट स्वरूप में इन्द्रदेव, सूर्यदेव, यमदेव, ब्रह्मदेव, विश्वकर्मा जी एवं ब्रह्मा जी की शक्ति समाहित है. शिव महापुराण के अनुसार पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, अग्नि व यजमान ये आठ स्वरूप शिवजी के प्रत्यक्ष रूप बताये गये हैं। एक मान्यता के अनुसार हनुमान जी ब्रह्म स्वरुप भगवान शिव के ग्यारहवें अंश के रुद्रावतार भी माने गये हैं. कलियुग में श्रीहनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है. एकाक्षर कोश के मतानुसार हनुमान शब्द का अर्थ है 'ह' शिव, आनन्द, आकाश एवं जल 'नु' पूजन और प्रशंसा 'मा' श्रीलक्ष्मी और श्रीविष्णु. 'न' बल और वीरता भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी अखण्ड जितेन्द्रियता, अतुलित बलधामता, ज्ञानियों में अग्रणी आदि अलौकिक गुणों से सम्पन्न होने के कारण देवकोटि में माने जाते हैं.
ग्रह एवं शनिदोष निवारण के लिए विशेष जिन जातकों की जन्मकुण्डली में शनिग्रह की दशा, महादशा, अन्तर्दशा व प्रत्यन्तर्दशा तथा साथ ही शनिग्रह अढैया व साढ़ेसाती का शुभ फल न मिल रहा हो उनके दोष निवारण के लिए उन्हें श्रीहनुमानजी की विशेष पूजा-आराधना करके लाभ उठाना चाहिए.
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