कोलकाता : पश्चिम बंगाल अध्यक्ष के सामने पेश होने के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई और ईडी के अधिकारियों को राहत दी है.
कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा (Justice Rajasekhar Mantha) ने निर्देश दिया कि नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई और ईडी के अधिकारियों को पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर के समक्ष पेश होने की आवश्यकता नहीं है.
इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी.
गौरतलब है कि विगत 14 सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने नारदा घोटाला मामले की जांच कर रहे सीबीआई और ईडी अधिकारियों को तलब किया था. स्पीकर बिमान बनर्जी ने चार्जशीट में विधायकों के नाम के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. आपको बता दें कि ईडी और सीबीआई दोनों के आरोपपत्र में राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, राज्य के परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम और कमरहाटी से टीएमसी विधायक मदन मित्रा के नाम शामिल हैं.
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इससे पहले सुखेंदु शेखर रॉय और कुणाल घोष जैसे टीएमसी नेताओं ने कहा था कि अगर जांच एजेंसियां सांसदों के खिलाफ चार्जशीट जैसी कोई कार्रवाई शुरू करती हैं तो लोकसभा अध्यक्ष को हमेशा लूप में रखा जाता है लेकिन बंगाल में विधायकों के संबंध में इस प्रथा का पालन नहीं किया गया.
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बता दें कि इससे पहले गत 4 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के ही एक अन्य प्रकरण में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और पश्चिम बंगाल पुलिस के एक विशेष जांच दल (The Special Investigation Teams - SIT) ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी.
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में यह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. पीठ ने कहा कि इस मामले में पांच नवंबर को सुनवाई होगी.