विजयवाड़ा : टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव नारा लोकेश ने नेतृत्व में तेलुगु देशम पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल जस्टिस एस अब्दुल नजीर से मुलाकात की. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें टीडीपी प्रमुख और पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ जगन सरकार के द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी.
इस दौरान आंध्र प्रदेश के राज्यपाल को सौंपे एक पत्र में नारा लोकेश ने चिंता जताई की कि जगनमोहन रेड्डी के राज्य का नेतृत्व संभालने के बाद से आंध्र प्रदेश में लोकतंत्र नीचे की ओर जा रहा है. नारा लोकेश ने कहा कि जगन रेड्डी लगातार संविधान, लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति उपेक्षित नजरिया दिखाते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जगन रेड्डी शासन ने विपक्ष के नेता नारा चंद्रबाबू नायडू को निशाना बनाया है क्योंकि वह आंध्र प्रदेश के 5 करोड़ लोगों के उत्पीड़न और कुशासन के खिलाफ सबसे प्रमुख आवाज बने हुए हैं.
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि कुशासन ने विभिन्न हमलों और झूठोे पुलिस मामलों के माध्यम से पैदल मार्च आदि को बाधित करने का प्रयास किया गया. नारा लोकेश के राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा गया है कि शाशन ने तेलुगु देशम पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था. उन्होंने कहा कि टीडीपी नेता जेसी प्रभाकर रेड्डी को करीब 70 मामलों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं राज्य पार्टी अध्यक्ष के अत्चन्नायडू बिना किसी वैध आरोप के अलग-अलग अवधि के लिए पुलिस हिरासत में हैं.
नारा लोकेश ने कहा कि टीडीपी प्रमुख और पूर्व सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू पर कथित कौशल विकास मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 (ए) के घोर उल्लंघन में झूठा आरोप लगाया गया और उन्हें गिरफ्तार किया गया. राज्यपाल से मुलाकात के बाद नारा लोकेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने उन्हें राज्य की स्थितियों के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने खुलासा किया कि टीडीपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ 260 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. उन्होंने कहा कि जगन के शासन के दौरान टीडीपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के खिलाफ 60,000 मामले दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल को पवन कल्याण को राज्य में प्रवेश करने से रोके जाने और अमरनाथ गौड़, श्याम कुमार और मिस्बाह के साथ हुए अन्याय के बारे में जानकारी दी. नारा लोकेश ने इस बात पर जोर दिया कि आंध्र प्रदेश में संविधान को कायम रखने की जिम्मेदारी राज्यपाल की है. उन्होंने राज्य में संविधान के संरक्षण में उनसे हस्तक्षेप का अनुरोध किया.
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