मुंबई: महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को कहा कि राज्य विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) का नया अध्यक्ष उनकी पार्टी से होगा और जोर दिया कि फरवरी से खाली पड़े पद को लेकर सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी दलों के बीच कोई मतभेद नहीं है.
पटोले ने पत्रकारों से बातचीत में आगे कहा कि शिवसेना के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार चाहती है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव पांच जुलाई से शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल के दो दिवसीय मानसून सत्र के दौरान हो. अंतिम निर्णय विधायकों के कोरोना वायरस जांच परिणामों (सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अनिवार्य) पर निर्भर करेगा. महा विकास आघाड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस भी घटक है.
अंतिम निर्णय कोरोना टेस्ट के बाद
पटोले ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्यपाल पद का इस्तेमाल कर इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है. हमें इस तरह के हथकंडों की परवाह नहीं है. अंतिम निर्णय (विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव पर) सभी विधायकों के कोरोना वायरस की जांच के परिणाम प्राप्त होने के बाद किया जाएगा. राज्यपाल के पत्र के जवाब में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा अपनाए गए रुख का हम समर्थन करते हैं.
ठाकरे ने शुक्रवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने विधानमंडल के मानसून सत्र को केवल दो दिनों के लिए आयोजित करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता है. मुख्यमंत्री ने संक्षिप्त सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने पर भी कोई जोर नहीं देते हुए कहा इसके लिए कोई समय-सीमा नहीं है.
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कांग्रेस पार्टी से होगा नया विधानसभा अध्यक्ष
पटोले ने कहा कि नया विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी से होगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि हम अपने विधायकों से राय लेंगे और उनकी भावना आलाकमान तक पहुंचाएंगे. तीनों सहयोगी दल अपने-अपने विधायकों पर भरोसा करते हैं और विपक्ष के इस आरोप में कोई सचाई नहीं है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के दलों ने इस डर से व्हिप जारी किया है कि सदन में उनकी संख्या कम हो जाएगी.
पटोले ने कहा कि कांग्रेस का विचार है कि केंद्र की ओर से बनाए गए नए कृषि कानूनों में राज्य के प्रस्तावित संशोधनों को जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एमवीए का विचार है कि सभी तथ्यों पर ध्यान देते हुए कानून बनाते समय किसानों का हित सर्वोपरि होना चाहिए. महाराष्ट्र में केंद्रीय कृषि कानून लागू नहीं होगा और राज्य का अपना कानून होगा. मराठा आरक्षण मुद्दे के बारे में पटोले ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी, ऐसे में अब साफ हो गया है कि नौकरी और शिक्षा में समुदाय के लिए आरक्षण बहाल करने का मुद्दा केंद्र के पाले में है.