सागर। वैसे तो मध्यप्रदेश सहित सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले के रहवासियों को ये खुशखबरी है कि मध्यप्रदेश के सबसे बडे वन्यजीव अभ्यारण्य नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल गया है. लेकिन टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलते ही नौरादेही नाम अब सिर्फ एक रेंज तक सीमित रह जाएगा और इस अभ्यारण्य को अब रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में जाना जाएगा. राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है, आइए जानते हैं कि नौरादेही अभ्यारण्य के रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में तब्दील होने पर क्या-क्या बदलाव देखने मिलेंगे.
राजनीतिक फैसले के कारण बदल गया नाम: नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व में बदलने की बात की जाए, तो इसकी शुरुआत 2018 से राष्ट्रीय बाघ परियोजना के अंतर्गत हो गई थी. जिसके तहत बाघिन राधा और बाघ किशन को नौरादेही अभयारण्य में बसाया गया था, जिससे यहां बाघों कुनबा बढ़ सके. प्रयास सफल भी हुआ और 2023 तक नौरादेही अभयारण्य में बाघों की संख्या 15 तक पहुंच गई. दूसरी तरफ केन बेतवा लिंक परियोजना को हरी झंडी मिलते ही तय हो गया कि पन्ना टाइगर रिजर्व का करीब 60 फीसदी हिस्सा केन-बेतवा लिंक के कारण डूब में चला जाएगा, इसलिए पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए नया बसेरा बसाया जाए, तभी से तय हो गया था कि नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया जाएगास लेकिन आखिरी वक्त पर सियासी नफे नुकसान का भी गणित जुड़ गया.
जब नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव रखा गया और तय किया गया कि नौरादेही अभयारण्य के साथ दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. नौरादेही अभयारण्य का क्षेत्रफल 1197 वर्ग किलोमीटर था और रानी दुर्गावती वन्य जीव अभ्यारण का क्षेत्रफल महज 24 किलो वर्ग किलोमीटर था, लेकिन सियासी नफा नुकसान के चलते नौरादेही का नाम डूब गया और टाइगर रिजर्व को वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व का नाम दिया गया. अब टाइगर रिजर्व में नौरादेही एक रेंज बस रह जाएगी. जहां तक नाम के सियासी फायदे की बात करें तो वीरांगना रानी दुर्गावती आदिवासी गौड़ समुदाय से आती हैं और आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश और देश की सत्ता पर काबिज होने भाजपा आदिवासी वोट बैंक के जरिए अपनी नैया पार लगाना चाहती है.
अस्तित्व में आया एमपी का सातवां टाइगर रिजर्व: नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ डॉ. एए अंसारी ने बताया कि "20 सितंबर 2023 को नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया है, सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. अब हम इस संरक्षित क्षेत्र को वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में जानेंगे, इसका एरिया कुल 1414 वर्ग किमी होगा और बफर एरिया 925 वर्ग किमी होगा. इस तरह ये मध्य प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व होगा और क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व कहा जाएगा, अब इसका प्रबंधन बाघ संरक्षण पर केंद्रित होगा. हमारे कोर एरिया को महत्वपूर्ण बाघ आवास(critical tiger habitat) के रूप में व्यवस्थित किया जाएगा, टाइगर रिजर्व घोषित हो जाने से ग्राम विस्थापन के कार्यक्रम में गति आएगी. इसके साथ ही लोगों को टाइगर रिजर्व के नियम कायदे के बारे में जागरूक करने की शुरुआत की जाएगी."
कई तरह की गतिविधियां हो जाएगी प्रतिबंधित: टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन जारी होते होते ही कई तरह के बदलाव देखने मिलेंगे, डीएफओ डॉ ए ए अंसारी बताते हैं कि "जो टाइगर रिजर्व का कोर एरिया होगा, उसमें किसी तरह की गतिविधि का अधिकार अब नहीं दिया जाएगा. अभी तक इस इलाके में हर तरह के वन्य जीव के संरक्षण पर काम किया जाता था, लेकिन अब इस इलाके को बाघ आवास (tiger habitat) के रूप में विकसित और समृद्ध किया जाएगा. टाइगर रिजर्व में आगमन की व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा, अब सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही आवागमन जारी रहेगा. सूर्यास्त से सूर्योदय इमरजेंसी में ही आवागमन की अनुमति मिलेगी. इसके अलावा ग्रामीणों को नए सिरे से टाइगर रिजर्व के बारे में जागरूक किया जाएगा, उनको बताया जाएगा कि कौन सा कोर एरिया है और कौन सा बफर एरिया है. कोर एरिया और बफर एरिया के प्रबंधन की व्यवस्था अलग-अलग होती है और वहां पर अलग-अलग गतिविधियां प्रतिबंधित होती हैं. इन बातों को आसपास के ग्रामीणों को समझाया जाएगा, क्योंकि टाइगर रिजर्व का कोर एरिया एक तरह से अक्षुण्ण होगा."
नौरादेही में 2011 में विलुप्त हो गए थे बाघ: डॉ एए अंसारी बताते हैं कि "नौरादेही अभयारण्य में पहला बाघ हुआ करते थे, लेकिन 2011 में नौरादेही अभयारण्य से बाघ विलुप्त हो गए. यहां बाघों को बसाने के लिए 2018 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण योजना के तहत बाघिन राधा और बाघ किशन को बसाया गया, आज नौरादेही में 15 बाघ है. अब टाइगर रिजर्व बनने उसके बाद नौरादेही को एक बार फिर बाघों के महत्वपूर्ण आवास के रूप में विकसित किया जाएगा."