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कोविड-19 को लेकर लोगों की चिंताओं के निवारण पर चर्चा करें सांसद : नायडू

उपराष्ट्रपति (Vice-President) एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने सांसदों से कोविड-19 संक्रमण काल जनता के साथ खड़े रहने की अपील की. संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले उपराष्ट्रपति ने सभी दलों के सदस्यों से बातचीत की. पढ़ें विस्तार से.

एम वेंकैया नायडू
एम वेंकैया नायडू
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Published : Jul 18, 2021, 12:30 AM IST

नई दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले उपराष्ट्रपति (Vice-President) एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने शनिवार को सांसदों से आग्रह किया कि कोविड-19 संक्रमण काल में वे जनता के साथ खड़े रहें और उनकी चिंता से संबंधित सभी मुद्दों के निवारण पर सदन में चर्चा करें.

सोमवार से आरंभ हो रहे सत्र से पहले नायडू ने अपने आधिकारिक आवास पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की और सदन में सुचारु कामकाज सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

उन्होंने नेताओं से कहा, 'सदन के सभी समूहों को सुचारु और बेहतर कामकाज सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि कोविड-19 से प्रभावित लोगों की चिंताओं का समाधान निकालने का यह सत्र मौका प्रदान करता है.'

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोगों को हुई परेशानियों और देश के स्वास्थ्य ढांचे के सामने आई चुनौतियों का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि महामारी के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी से अवगत होने और विभिन्न राज्यों के सदस्यों के जमीनी स्तर पर निजी अनुभव से लाभ लेने का संसद उचित मंच है.

उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है. मॉनसून सत्र में सरकार के मुद्दों के बारे में जानकारी देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार ने 29 विधेयकों को चिह्नित किया है, जिन्हें सत्र के दौरान पेश किया जाएगा. इनमें छह अध्यादेश हैं, जिन्हें कानून के रूप में संसद में पेश किया जाएगा.

सीमा विवाद के मुद्दों पर चर्चा जरूरी : खड़गे

उन्होंने सदन के सुचारु कामकाज के लिए सभी दलों का सहयोग भी मांगा. बैठक में मौजूद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीमा विवाद के मुद्दों से संबंधित चिंता पर चर्चा की आवश्यकता जताई.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल कोविड-19 की ताजा स्थिति और इससे अर्थव्यवस्था पर हुए बुरे असर, बेरोजगारी और गरीबी, कोरोना के तीसरी लहर की प्रबल संभावना और इसके मद्देनजर की जा रही तैयारियों, किसान आंदोलन, सहकारी संघवाद से जुड़े मुद्दों और पूर्वी लद्दाख में चीन की गतिविधियों और जम्मू एवं कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर चर्चा चाहेंगे.

अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा का सुझाव

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में पैदा हुई स्थिति और इसके परिणामों पर चर्चा का सुझाव दिया. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन विधेयकों के संसदीय समितियों में अधिक से अधिक समीक्षा किए जाने पर बल दिया.

पढ़ें- नायडू ने क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू करने के फैसले का किया स्वागत

अन्य नेताओं ने सदन के सुचारु संचालन पर जोर दिया और राज्य विशेष से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय देने और क्षेत्रीय व छोटे दलों को अधिक से अधिक समय देने की बात कही.

20 दलों के नेताओं ने रखी बात

बैठक में 20 दलों के नेताओं ने अपनी बात रखी और विभिन्न सुझाव दिए. उन्होंने जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार से सहयोग की अपेक्षा जताई. बैठक के दौरान नायडू ने अपने संबोधन की शुरुआत में सदन का नेता नियुक्त किए जाने पर पीयूष गोयल को बधाई दी और कहा कि सदन में समन्वय स्थापित करने का काम उनके लिए नया नहीं है क्योंकि वह सदन में उपनेता की भूमिका निभा चुके हैं. उन्होंने कहा, 'सभी मुद्दों पर सदन में चर्चा की जा सकती है,लेकिन किसी को भी अपनी बात दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले उपराष्ट्रपति (Vice-President) एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने शनिवार को सांसदों से आग्रह किया कि कोविड-19 संक्रमण काल में वे जनता के साथ खड़े रहें और उनकी चिंता से संबंधित सभी मुद्दों के निवारण पर सदन में चर्चा करें.

सोमवार से आरंभ हो रहे सत्र से पहले नायडू ने अपने आधिकारिक आवास पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की और सदन में सुचारु कामकाज सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

उन्होंने नेताओं से कहा, 'सदन के सभी समूहों को सुचारु और बेहतर कामकाज सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि कोविड-19 से प्रभावित लोगों की चिंताओं का समाधान निकालने का यह सत्र मौका प्रदान करता है.'

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोगों को हुई परेशानियों और देश के स्वास्थ्य ढांचे के सामने आई चुनौतियों का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि महामारी के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी से अवगत होने और विभिन्न राज्यों के सदस्यों के जमीनी स्तर पर निजी अनुभव से लाभ लेने का संसद उचित मंच है.

उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है. मॉनसून सत्र में सरकार के मुद्दों के बारे में जानकारी देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार ने 29 विधेयकों को चिह्नित किया है, जिन्हें सत्र के दौरान पेश किया जाएगा. इनमें छह अध्यादेश हैं, जिन्हें कानून के रूप में संसद में पेश किया जाएगा.

सीमा विवाद के मुद्दों पर चर्चा जरूरी : खड़गे

उन्होंने सदन के सुचारु कामकाज के लिए सभी दलों का सहयोग भी मांगा. बैठक में मौजूद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीमा विवाद के मुद्दों से संबंधित चिंता पर चर्चा की आवश्यकता जताई.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल कोविड-19 की ताजा स्थिति और इससे अर्थव्यवस्था पर हुए बुरे असर, बेरोजगारी और गरीबी, कोरोना के तीसरी लहर की प्रबल संभावना और इसके मद्देनजर की जा रही तैयारियों, किसान आंदोलन, सहकारी संघवाद से जुड़े मुद्दों और पूर्वी लद्दाख में चीन की गतिविधियों और जम्मू एवं कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर चर्चा चाहेंगे.

अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा का सुझाव

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में पैदा हुई स्थिति और इसके परिणामों पर चर्चा का सुझाव दिया. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन विधेयकों के संसदीय समितियों में अधिक से अधिक समीक्षा किए जाने पर बल दिया.

पढ़ें- नायडू ने क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू करने के फैसले का किया स्वागत

अन्य नेताओं ने सदन के सुचारु संचालन पर जोर दिया और राज्य विशेष से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय देने और क्षेत्रीय व छोटे दलों को अधिक से अधिक समय देने की बात कही.

20 दलों के नेताओं ने रखी बात

बैठक में 20 दलों के नेताओं ने अपनी बात रखी और विभिन्न सुझाव दिए. उन्होंने जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार से सहयोग की अपेक्षा जताई. बैठक के दौरान नायडू ने अपने संबोधन की शुरुआत में सदन का नेता नियुक्त किए जाने पर पीयूष गोयल को बधाई दी और कहा कि सदन में समन्वय स्थापित करने का काम उनके लिए नया नहीं है क्योंकि वह सदन में उपनेता की भूमिका निभा चुके हैं. उन्होंने कहा, 'सभी मुद्दों पर सदन में चर्चा की जा सकती है,लेकिन किसी को भी अपनी बात दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.'

(पीटीआई-भाषा)

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