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Nagaland Firing issue in parliament : नागरिकों की मौत पर लोक सभा में हंगामा, AFSPA पर सवाल - Nagaland Firing issue in parliament

संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament winter session) का आज छठा दिन है. संसद में नगालैंड में फायरिंग का मुद्दा (Nagaland Firing issue in parliament) उठाया गया. सोमवार को लोक सभा में नगालैंड में गोलीबारी (Nagaland Firing) की उच्च स्तरीय जांच कराने, मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने तथा गृह मंत्री से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई. नगालैंड में नागरिकों की मौत (Nagaland civilian killing) पर लोक सभा में खेद जताया गया और अर्धसैनिक बलों के विशेष कानून- AFSPA पर भी सवाल खड़े हुए.

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लोक सभा में नगालैंड मुद्दे की गूंज
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Published : Dec 6, 2021, 2:20 PM IST

नई दिल्ली : नगालैंड में सुरक्षा बलों की कथित गोलीबारी में कम से कम 14 आम लोगों के मारे जाने का मुद्दा संसद में (Nagaland Firing issue in parliament) भी उठाया गया. शीतकालीन सत्र के छठे दिन लोकसभा में नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, राकांपा और बसपा सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने नगालैंड फायरिंग का मुद्दा उठाया.

इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह बहुत संवेदनशील विषय है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह सदन में आकर विस्तृत बयान देंगे.

शून्यकाल के दौरान लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए नगालैंड से नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के सांसद तोखेहो येपथोमी ने कहा कि नगालैंड-असम सीमा के पास घटी यह घटना अत्यंत दुखद है जिसमें कामकाज से लौट रहे श्रमिक मारे गए. उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी आई है कि अर्द्धसैनिक बलों को यह सूचना मिली थी कि ट्रकों में उग्रवादी जा रहे हैं और इसके बाद सुरक्षा बलों की अंधाधुंध गोलीबारी में कई श्रमिक मारे गए. बाद में उत्तेजित ग्रामीणों और सुरक्षा बलों में संघर्ष हुआ और फिर गोलीबारी में कुछ और लोग मारे गए.

येपथोमी ने कहा कि पिछले 25 वर्षों से नगा मुद्दे के समाधान के लिये राजनीतिक वार्ता चल रही है, लोग काफी उम्मीद लगाये हुए हैं. राज्य में यह हॉर्नबिल उत्सव का समय है और क्रिसमस का त्योहार आने वाला है. ऐसे में इस प्रकार की दुखद घटना अत्यंत निंदनीय है.

एनडीपीपी सांसद ने कहा कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्स्पा) की समीक्षा होनी चाहिए तथा इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और कानून का पालन किया जाए.

इस विषय को उठाते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि 4-5 दिसंबर को नगालैंड में जो घटना घटी, उसे 'काला दिवस' के रूप में स्मरण किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग शांति चाहते हैं, रोजगार चाहते हैं... ऐसे में पर्याप्त खुफिया जानकारी नहीं होने पर गोलीबारी में देश के लोगों के मारे जाने की यह घटना निंदनीय है.

गोगोई ने कहा कि इस घटना के संबंध में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.

द्रमुक के टी आर बालू ने कहा कि नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में आम लोगों की मौत की घटना अत्यंत निंदनीय है. उन्होंने कहा कि इस घटना की उचित जांच की जानी चाहिए और पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह एक गंभीर घटना है. नगालैंड में एनएससीएन जैसे गुट सक्रिय हैं, ऐसे में हमें सतर्क रहना चाहिए और वहां शांति सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वहां श्रमिकों की इस प्रकार से मौत निंदनीय है, इनके परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए तथा सभी को एकजुट रहना चाहिए.

शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि नगालैंड में जिस तरह से 14 नागरिक मारे गए हैं, वह अत्यंत निंदनीय है. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसकी पुनरावृति न हो.

इस विषय को उठाते हुए जदयू के राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने का पूरा प्रयास कर रही है लेकिन गलत पहचान के आधार पर सशसस्त्र बलों द्वारा इस प्रकार से निर्दोष लोगों की हत्या से शांति के प्रयासों को धक्का लगता है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

नगालैंड गोलीबारी पर यह खबरें भी पढ़ें-

राकांपा की सुप्रिया सुले ने भी इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की.

कांग्रेस के प्रद्युत बारदोलोई ने आरोप लगाया कि नगालैंड में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून का दुरूपयोग किया जा रहा है. एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को निरस्त करने की मांग की.

बसपा के रितेश पांड और एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल ने नगालैंड की घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की.

यह भी पढ़ें- नगालैंड में फायरिंग में 15 की मौत, इलाके में तनाव, गृह मंत्री ने जताया दुख

गौरतलब है कि नगालैंड में पुलिस ने बताया कि राज्य के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि वह इस घटना की जांच कर रही है, ताकि यह पता चल सके कि क्या यह गलत पहचान का मामला है. इस घटना के बाद हुई हिंसा में एक सैन्यकर्मी की भी मौत हो गई थी.

(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : नगालैंड में सुरक्षा बलों की कथित गोलीबारी में कम से कम 14 आम लोगों के मारे जाने का मुद्दा संसद में (Nagaland Firing issue in parliament) भी उठाया गया. शीतकालीन सत्र के छठे दिन लोकसभा में नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, राकांपा और बसपा सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने नगालैंड फायरिंग का मुद्दा उठाया.

इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह बहुत संवेदनशील विषय है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह सदन में आकर विस्तृत बयान देंगे.

शून्यकाल के दौरान लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए नगालैंड से नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के सांसद तोखेहो येपथोमी ने कहा कि नगालैंड-असम सीमा के पास घटी यह घटना अत्यंत दुखद है जिसमें कामकाज से लौट रहे श्रमिक मारे गए. उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी आई है कि अर्द्धसैनिक बलों को यह सूचना मिली थी कि ट्रकों में उग्रवादी जा रहे हैं और इसके बाद सुरक्षा बलों की अंधाधुंध गोलीबारी में कई श्रमिक मारे गए. बाद में उत्तेजित ग्रामीणों और सुरक्षा बलों में संघर्ष हुआ और फिर गोलीबारी में कुछ और लोग मारे गए.

येपथोमी ने कहा कि पिछले 25 वर्षों से नगा मुद्दे के समाधान के लिये राजनीतिक वार्ता चल रही है, लोग काफी उम्मीद लगाये हुए हैं. राज्य में यह हॉर्नबिल उत्सव का समय है और क्रिसमस का त्योहार आने वाला है. ऐसे में इस प्रकार की दुखद घटना अत्यंत निंदनीय है.

एनडीपीपी सांसद ने कहा कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्स्पा) की समीक्षा होनी चाहिए तथा इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और कानून का पालन किया जाए.

इस विषय को उठाते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि 4-5 दिसंबर को नगालैंड में जो घटना घटी, उसे 'काला दिवस' के रूप में स्मरण किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग शांति चाहते हैं, रोजगार चाहते हैं... ऐसे में पर्याप्त खुफिया जानकारी नहीं होने पर गोलीबारी में देश के लोगों के मारे जाने की यह घटना निंदनीय है.

गोगोई ने कहा कि इस घटना के संबंध में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.

द्रमुक के टी आर बालू ने कहा कि नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में आम लोगों की मौत की घटना अत्यंत निंदनीय है. उन्होंने कहा कि इस घटना की उचित जांच की जानी चाहिए और पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह एक गंभीर घटना है. नगालैंड में एनएससीएन जैसे गुट सक्रिय हैं, ऐसे में हमें सतर्क रहना चाहिए और वहां शांति सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वहां श्रमिकों की इस प्रकार से मौत निंदनीय है, इनके परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए तथा सभी को एकजुट रहना चाहिए.

शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि नगालैंड में जिस तरह से 14 नागरिक मारे गए हैं, वह अत्यंत निंदनीय है. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसकी पुनरावृति न हो.

इस विषय को उठाते हुए जदयू के राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने का पूरा प्रयास कर रही है लेकिन गलत पहचान के आधार पर सशसस्त्र बलों द्वारा इस प्रकार से निर्दोष लोगों की हत्या से शांति के प्रयासों को धक्का लगता है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

नगालैंड गोलीबारी पर यह खबरें भी पढ़ें-

राकांपा की सुप्रिया सुले ने भी इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की.

कांग्रेस के प्रद्युत बारदोलोई ने आरोप लगाया कि नगालैंड में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून का दुरूपयोग किया जा रहा है. एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को निरस्त करने की मांग की.

बसपा के रितेश पांड और एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल ने नगालैंड की घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की.

यह भी पढ़ें- नगालैंड में फायरिंग में 15 की मौत, इलाके में तनाव, गृह मंत्री ने जताया दुख

गौरतलब है कि नगालैंड में पुलिस ने बताया कि राज्य के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि वह इस घटना की जांच कर रही है, ताकि यह पता चल सके कि क्या यह गलत पहचान का मामला है. इस घटना के बाद हुई हिंसा में एक सैन्यकर्मी की भी मौत हो गई थी.

(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

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