मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल (Muzaffarpur Eye Hospital Case) में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 16 लोगों की आंखें (16 people Lost Eyes in Muzaffarpur ) निकालनी पड़ी थीं, जिसके बाद हंगामा खड़ा हो गया था. अब जांच में सामने आया है कि आई हॉस्पिटल का ऑपरेशन थियेटर 'गंदा' और 'संक्रमित' था. जिसके चलते इतना बड़ा हादसा हो गया. अल्पकालिक रूप से अस्पताल से संबंधित डॉक्टर साहू और अन्य नेत्र चिकित्सक पर एफआईआर दर्ज किया गया है और दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है.
नियमों की उड़ाई गई धज्जियां
मानवाधिकार आयोग का गाइडलाइन स्पष्ट है कि, एक दिन में एक डॉक्टर सिर्फ 12 लोगों का ही ऑपरेशन कर सकते हैं. हालांकि आंखों के ऑपरेशन में 30 तक की छूट है, क्योंकि इसमें समय कम लगता है. 5-10 मिनट में एक ऑपरेशन हो जाता है. इसलिए इस केस में 30 तक की छूट है. लेकिन, मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मानक से तीन गुना ज्यादा लोगों का ऑपरेशन किया गया. जो तय मानकों को ठेंगा दिखाता है.
क्या है पूरा मामला
बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस शिविर में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन का एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगीं. इसके बाद इन लोगों ने जब आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों ने आंखें निकलवाने की सलाह दी. डॉक्टरों ने कहा कि अगर आंख नहीं निकाली गई तो, दूसरा आंख भी खोना पड़ेगा. 16 लोगों की आंखें निकाल दी गईं. अब भी 9 लोग पटना में इलाजरत हैं.
मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई
सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा (Civil Surgeon Dr Vinay Kumar Sharma) के बयान पर 2 दिसंबर को ब्रह्मपुरा थाने में आई हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज (Case Filed Against Muzaffarpur Eye Hospital) किया गया. मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल (Muzaffarpur Eye Hospital) पर कार्रवाई करते हुए इसे सील कर दिया गया. आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन होने के बाद संक्रमण के मामले में एक उच्चस्तरीय जांच टीम ने गहनता से इंवेस्टिगेशन करने के बाद रिपोर्ट में बताया कि इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है.
''पूरी जांच पड़ताल चल रही है, सैंपल भी लिया गया है. उसकी भी रिपोर्ट आएगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी. जिन 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था, उन सभी का डाटा गुरुवार को सिविल सर्जन मुजफ्फरपुर को प्राप्त हुआ है. उन सभी से कांटेक्ट किया जा रहा है, ताकि उनका सही-सही इलाज कराया जा सके."- डॉ. हरीश चंद्र ओझा, जांच टीम के नेतृत्व कर्ता, स्वास्थ्य विभाग पटना
6 दिसंबर को इस मामले की फाइनल जांच रिपोर्ट सामने आई. जांच में ओटी में दो तरह के बैक्टीरिया (Two Types Of Bacteria Found In OT) मिलने की बात सामने आई. सीएस ने बताया कि 'आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में सुडोमोनास और स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया पाया गया है. यह काफी खतरनाक बैक्टीरिया होता है. एक से दो दिन में ही यह आंख खराब कर देता है. एसकेएमसीएच में जिन लोगों की आंख निकाली गयी, उनमें भी यह बैक्टीरिया पाया गया है.'
मुआवजे की मांग
यह मामला शीतकालीन सत्र के दौरान भी उठाया गया. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मंगल पांडे से इस्तीफा (Rabri Demands Resignation From Mangal Pandey) देने की मांग तक कर दी. मामले को लेकर विधान परिषद में प्रदर्शन करते हुए पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग भी उठाई. राजद विधायक भाई बीरेंद्र के साथ ही बीजेपी सांसद अजय निषाद ने भी पीड़ितों को जल्द से जल्द मुआवजा (Demand Compensation For Patients) देने की सरकार से मांग की है.
"इस सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है. एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री दावा करते हैं कि मेरे जैसा कोई मंत्री ही नहीं है. दूसरी तरफ उनके रहते इतने लोगों की आंखों की रोशनी चली गई. इसके लिए जिम्मेदार कौन है? स्वास्थ्य मंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए." - राबड़ी देवी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार
'इस मामले पर सरकार कहीं ना कहीं लीपापोती कर रही है और गरीबों के साथ न्याय नहीं कर रही है. जिन गरीब लोगों के आंखों की रोशनी चली गई, वैसे लोगों के परिजन को सरकार 20 लाख रुपये दे. पूरा विपक्ष उन्हें मुआवजा देने की मांग कर रहा है. सरकार को सदन में इस घटना को लेकर स्थिति स्पष्ट करना होगा'- भाई बीरेंद्र, राजद विधायक
"मुजफ्फरपुर की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. हम सभी इसे लेकर चिंतित हैं. हम सीएम से अनुरोध करते हैं कि, जिन लोगों ने अपनी आंखें खोई हैं, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए. साथ ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाए."- अजय निषाद, बीजेपी सांसद
वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "देश की सबसे बदहाल और फिसड्डी बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का एक नजारा देखिए. मुजफ्फरपुर में 65 लोगों की आँखों का ऑपरेशन किया गया, 1 ही टेबल पर सबका ऑपरेशन, रोशनी तो दूर की बात, सभी की आँखें निकालनी पड़ी. मुख्यमंत्री जी और भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री को जनता कोई लेना-देना नहीं."
इधर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Bihar Health Minister Mangal Pandey) ने इस पर पर दुख जताया और कहा कि "हम जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराएंगे और जो कोई इस मामले में दोषी होगा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी."
'हमारे संज्ञान में ये घटना आई है. यदि किसी संस्था के द्वारा या किसी व्यक्ति के द्वारा ये गलती की गई है तो ये जांच का विषय है. इसकी जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री
राजद के कांटी विधानसभा से विधायक इसराइल मंसूरी ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि, 'सरकार को इसपर जवाबदेही तय करनी चाहिए. सरकार बता दे कि, मुजफ्फरपुर में गरीबों के आंख के इलाज के लिए कौन सा अस्पताल है और कहां इलाज किया जाता है.'
"एसकेएमसीएच हो या सदर अस्पताल कहीं भी आंखों का इलाज नहीं होता है. अगर कोई गरीब आंख का इलाज कराने निजी अस्पताल जाए तो, यह सरकार की खामी है. गरीबों ने अपनी आंखें खोई हैं. उनका जीवन खत्म हो गया है. जो लोग मजदूरी करते थे, कहीं कोई काम करते थे, अब बिना आंख के कुछ नहीं हो सकता है. सरकार को तमाम आंख गंवाने वाले व्यक्तियों को मुआवजा देना चाहिए."- इसराइल मंसूरी, राजद विधायक
छोटे शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष लगातार इस मामले को लेकर सरकार को घेरता रहा. मुआवजे की मांग भी उठाई गई. लेकिन सवाल उठाए जा रहे हैं कि, जिनकी जिंदगी में अंधेरा छा चुका है आखिर, उनको मुआवजे का मरहम कब तक लगेगा. ना तो विपक्ष और ना ही सरकारी रहनुमाओं के पास इस बात का जवाब है.
क्या है ये बैक्टीरिया?
ओटी में जिस बैक्टीरिया के होने की पुष्टि की गई है, वो आंखों के साथ ही कान, नाक को भी बुरी तरह से डैमेज कर सकता है. सुडोमोनास बैक्टीरिया मिट्टी, पानी और पौधों पर पाया जाता है, इसके अलावा यह नमी वाली जगहों पर भी पाया जाता है. सुडोमोनास बैक्टीरिया इलाज और ऑपरेशन में इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरण पर भी तेजी से पनपता है. यह मुख्य तौर पर स्किन, आंख और कान को संक्रमित करता है. जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें यह ज्यादा परेशान करता है. आंख में जाने पर इससे आंख में लालीपन, सूजन और दर्द शुरू हो जाता है. स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया किसी भी संक्रमित सामान के संपर्क में आने पर यह फैलता है.
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