मुजफ्फरनगर : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में साल 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों से संबद्ध भड़काऊ भाषण के सिलसिले में एक स्थानीय विशेष अदालत मंगलवार को पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधियों समेत 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप निर्धारित नहीं कर सकी, क्योंकि वे (आरोपी) पेश नहीं हुए.
पूर्व सासंद कादिर राणा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री एस सैदुज्जमा और पूर्व विधायक मौलाना जमील एवं नूर सलीम समेत कई नेताओं के खिलाफ आरोप तय नहीं किए जा सके. विशेष न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की तारीख एक सितंबर निर्धारित की है.
आरोपी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और सांप्रदायिक तनाव भड़काने को लेकर अदालती सुनवाई का सामना कर रहे हैं. उन्होंने 30 अगस्त, 2013 को खालापार इलाके में (कथित उत्तेजक) भाषण दिया था.
राणा ने 2007 में समाजवादी पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय लोकदल का हाथ थाम लिया था, परंतु बाद में वह 2009 में बहुजन समाज पार्टी में चले गए थे.
अगस्त-सितंबर, 2013 में मुजफ्फरनगर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक दंगे में 60 लोगों की जान चली गई थी और 40000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने दंगे के मामलों की जांच के लिए एसआईटी बनाई थी. एसआईटी ने 175 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किये थे. पुलिस ने दंगे के सिलसिले में 6869 लोगों के विरुद्ध मामले दर्ज किए थे और 1480 लोगों को गिरफ्तार किया था.
(पीटीआई-भाषा)