ETV Bharat / bharat

Kashmiri Pandit: पुलवामा में मुसलमानों ने कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार करने में की मदद

पुलवामा जिले के वाहीबाग इलाके में एक बुजुर्ग पंडित का अंतिम संस्कार करने में स्थानीय मुस्लिमों ने अपना सहयोग दिया, जिसके बाद पंडित के परिजनों ने कहा कि इस क्षेत्र में भाईचारा अब भी बरकरार है. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में स्थानीय मुसलमानों ने मंगलवार को इस दुनिया को छोड़ गए 70 वर्षीय कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार करने में मदद की.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Mar 15, 2023, 6:28 PM IST

Updated : Mar 15, 2023, 6:59 PM IST

कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार करने मुस्लिम आए आगे

पुलवामा: सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के वाहीबाग गांव में स्थानीय मुसलमान अपने पड़ोसी पंडित का अंतिम संस्कार करने में मदद करने के लिए एक साथ आए. वाहीबाग गांव के रहने वाले प्यारेलाल पंडित इलाके के चर्चित शख्सियत थे क्योंकि स्थानीय लोगों के मुताबिक वह जरूरतमंदों की काफी मदद किया करते थे.

स्थानीय लोगों ने कहा कि चूंकि उनके परिवार के कुछ ही सदस्य आसपास थे, इसलिए प्यारेलाल के स्थानीय दोस्तों और मुस्लिम समुदाय के पड़ोसियों ने उनका अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया. स्थानीय मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार का आयोजन किया और उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया.

1990 के दशक में भले ही घाटी में स्थिति खराब हो गई, लेकिन प्यारेलाल घाटी में ही रहे और रोलर पोस्ट ऑफिस में अपनी सेवाएं देते रहे. जबकि वाहीबाग इलाके में कई पंडित घर भी बसे हुए हैं. हालांकि प्यारेलाल के रिश्तेदार और इस क्षेत्र के पंडित परिवारों के अधिकांश लोग घाटी के बाहर रह रहे हैं, लेकिन प्यारे लाल अपने परिवार के साथ अभी भी पुलवामा जिले में रह रहे हैं. आज सुबह उनका अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के अनुसार किया गया, जिसमें इलाके के मुसलमानों ने मोर्चा संभाला.

इस संबंध में बोलते हुए मुमताज अली ने कहा कि पंडित प्यारेलाल सामाजिक सेवाओं में स्थानीय आबादी के साथ थे और रोलर पोस्ट ऑफिस में भी काम करते थे. उन्होंने कहा कि उस जमाने में जब तकनीक नहीं थी, प्यारेलाल ही एकमात्र सहारा थे, वे लोगों तक पत्र पहुंचा रहे थे और वे हमेशा मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे.

उन्होंने कहा कि उस समय पूरे इलाके में मातम पसर गया जब उनकी हत्या की खबर आई. उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान मुसलमानों के हर दुख में सबसे आगे रहते हैं, वहीं इस घटना के बाद भी सारे मुसलमान भी उनके हर दुख में सबसे आगे रहे. इन्हीं सब कारणों से उन्होंने कभी घाटी से पलायन नहीं किया.

इस संदर्भ में संजय जी ने कहा कि वे बहुत दयालु थे और समाजसेवी के रूप में कार्य कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह हर गांव में विकास कार्यों के लिए आगे रहते थे. उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर घाटी में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा अब भी कायम है.

यह भी पढ़ें: Manoj Sinha on Examination: परीक्षा स्थगित की गई है, जल्द ही दोबारा होगी- मनोज सिंहा

कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार करने मुस्लिम आए आगे

पुलवामा: सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के वाहीबाग गांव में स्थानीय मुसलमान अपने पड़ोसी पंडित का अंतिम संस्कार करने में मदद करने के लिए एक साथ आए. वाहीबाग गांव के रहने वाले प्यारेलाल पंडित इलाके के चर्चित शख्सियत थे क्योंकि स्थानीय लोगों के मुताबिक वह जरूरतमंदों की काफी मदद किया करते थे.

स्थानीय लोगों ने कहा कि चूंकि उनके परिवार के कुछ ही सदस्य आसपास थे, इसलिए प्यारेलाल के स्थानीय दोस्तों और मुस्लिम समुदाय के पड़ोसियों ने उनका अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया. स्थानीय मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार का आयोजन किया और उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया.

1990 के दशक में भले ही घाटी में स्थिति खराब हो गई, लेकिन प्यारेलाल घाटी में ही रहे और रोलर पोस्ट ऑफिस में अपनी सेवाएं देते रहे. जबकि वाहीबाग इलाके में कई पंडित घर भी बसे हुए हैं. हालांकि प्यारेलाल के रिश्तेदार और इस क्षेत्र के पंडित परिवारों के अधिकांश लोग घाटी के बाहर रह रहे हैं, लेकिन प्यारे लाल अपने परिवार के साथ अभी भी पुलवामा जिले में रह रहे हैं. आज सुबह उनका अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के अनुसार किया गया, जिसमें इलाके के मुसलमानों ने मोर्चा संभाला.

इस संबंध में बोलते हुए मुमताज अली ने कहा कि पंडित प्यारेलाल सामाजिक सेवाओं में स्थानीय आबादी के साथ थे और रोलर पोस्ट ऑफिस में भी काम करते थे. उन्होंने कहा कि उस जमाने में जब तकनीक नहीं थी, प्यारेलाल ही एकमात्र सहारा थे, वे लोगों तक पत्र पहुंचा रहे थे और वे हमेशा मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे.

उन्होंने कहा कि उस समय पूरे इलाके में मातम पसर गया जब उनकी हत्या की खबर आई. उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान मुसलमानों के हर दुख में सबसे आगे रहते हैं, वहीं इस घटना के बाद भी सारे मुसलमान भी उनके हर दुख में सबसे आगे रहे. इन्हीं सब कारणों से उन्होंने कभी घाटी से पलायन नहीं किया.

इस संदर्भ में संजय जी ने कहा कि वे बहुत दयालु थे और समाजसेवी के रूप में कार्य कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह हर गांव में विकास कार्यों के लिए आगे रहते थे. उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर घाटी में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा अब भी कायम है.

यह भी पढ़ें: Manoj Sinha on Examination: परीक्षा स्थगित की गई है, जल्द ही दोबारा होगी- मनोज सिंहा

Last Updated : Mar 15, 2023, 6:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.