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निशाने पर मुसलमानों के इबादतगाह, अपना स्टैंड क्लियर करें केंद्र व राज्य सरकारें : AIMPLB

देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board ) ने देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है.

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Published : May 18, 2022, 6:32 PM IST

Updated : May 18, 2022, 8:43 PM IST

नई दिल्ली : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण पर हुई तत्काल बैठक के ठीक एक दिन बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board ) ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकारों से देश में मुसलमानों के पूजा स्थलों (Islamic places of worship) को कथित रूप से निशाना बनाने पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.

बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उसके वकीलों को विधिक सहायता मुहैया कराने का फैसला किया है. बोर्ड ने इबादतगाहों पर विवाद खड़ा करने की असल मंशा के बारे में जनता को बताने के लिए जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन चलाने का भी निर्णय लिया है. बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने बुधवार को बताया कि बोर्ड की कार्यकारी समिति (वर्किंग कमेटी) की मंगलवार देर रात एक आपात वर्चुअल बैठक हुई जिसमें कई अहम फैसले लिए गए.

राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल: उन्होंने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह मामलों का जिक्र करते हुए बताया कि बैठक में इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया कि मुल्क में मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर भी अफसोस जताया गया कि वर्ष 1991 में संसद में सबकी सहमति से बनाए गए पूजा स्थल अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इलियास ने कहा कि बैठक में इस बात पर अफसोस जताया गया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें खामोश हैं. इसके अलावा खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहने वाले राजनीतिक दल भी चुप्पी साधे हुए हैं. बोर्ड ने उन सभी से मांग की है कि वे इस पर अपना रुख स्पष्ट करें.

शांति रखें, पूरी क्षमता से लड़ें कानून लड़ाई: इलियास ने बताया कि बोर्ड ने यह भी कहा कि इबादतगाहों को लेकर निचली अदालतें जिस तरह से फैसले ले रही हैं, वह अफसोस की बात है. अदालतें अवाम को मायूस ना करें क्योंकि इससे इंसाफ की जो आखिरी उम्मीद होती है वह कहीं खत्म ना हो जाए. उन्होंने बताया कि बैठक में यह फैसला लिया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय में मुकदमे को बोर्ड की लीगल कमेटी मस्जिद की रखरखावकर्ता संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और उसके वकीलों की मदद करेगी. इलियास ने बताया कि बोर्ड ने मुसलमानों से अपील की है कि वे शांति बनाए रखें, हिम्मत के साथ खड़े रहें और अपनी पूरी क्षमता से कानूनी लड़ाई लड़ें.

एक समुदाय नहीं पूरे देश का मसला: उन्होंने कहा कि बोर्ड ने यह भी तय किया है कि मस्जिदों को लेकर जितने भी विवाद खड़े किए जा रहे हैं उनके पीछे की असल मंशा को जनता के सामने लाया जाए ताकि लोगों को गुमराह न किया जा सके. इलियास ने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस सिलसिले में हम पूरे देश में आंदोलन भी चला सकते हैं. उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि जो कुछ भी हो रहा है वह देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. इलियास ने बताया कि बोर्ड ने यह भी फैसला किया कि देश में अलग-अलग धार्मिक समुदाय, धर्मगुरु, नागरिक संघ और सामाजिक संगठनों से संपर्क कर उन्हें सच्चाई बताई जाएगी. उन्होंने कहा कि यह किसी एक समुदाय का नहीं बल्कि पूरे देश का मसला है.

यह भी पढ़ें- मथुरा: शाही मस्जिद में पूजा की अनुमति मांगने की याचिका पर 1 जुलाई को होगी सुनवाई

नई दिल्ली : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण पर हुई तत्काल बैठक के ठीक एक दिन बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board ) ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकारों से देश में मुसलमानों के पूजा स्थलों (Islamic places of worship) को कथित रूप से निशाना बनाने पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.

बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उसके वकीलों को विधिक सहायता मुहैया कराने का फैसला किया है. बोर्ड ने इबादतगाहों पर विवाद खड़ा करने की असल मंशा के बारे में जनता को बताने के लिए जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन चलाने का भी निर्णय लिया है. बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने बुधवार को बताया कि बोर्ड की कार्यकारी समिति (वर्किंग कमेटी) की मंगलवार देर रात एक आपात वर्चुअल बैठक हुई जिसमें कई अहम फैसले लिए गए.

राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल: उन्होंने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह मामलों का जिक्र करते हुए बताया कि बैठक में इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया कि मुल्क में मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर भी अफसोस जताया गया कि वर्ष 1991 में संसद में सबकी सहमति से बनाए गए पूजा स्थल अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इलियास ने कहा कि बैठक में इस बात पर अफसोस जताया गया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें खामोश हैं. इसके अलावा खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहने वाले राजनीतिक दल भी चुप्पी साधे हुए हैं. बोर्ड ने उन सभी से मांग की है कि वे इस पर अपना रुख स्पष्ट करें.

शांति रखें, पूरी क्षमता से लड़ें कानून लड़ाई: इलियास ने बताया कि बोर्ड ने यह भी कहा कि इबादतगाहों को लेकर निचली अदालतें जिस तरह से फैसले ले रही हैं, वह अफसोस की बात है. अदालतें अवाम को मायूस ना करें क्योंकि इससे इंसाफ की जो आखिरी उम्मीद होती है वह कहीं खत्म ना हो जाए. उन्होंने बताया कि बैठक में यह फैसला लिया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय में मुकदमे को बोर्ड की लीगल कमेटी मस्जिद की रखरखावकर्ता संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और उसके वकीलों की मदद करेगी. इलियास ने बताया कि बोर्ड ने मुसलमानों से अपील की है कि वे शांति बनाए रखें, हिम्मत के साथ खड़े रहें और अपनी पूरी क्षमता से कानूनी लड़ाई लड़ें.

एक समुदाय नहीं पूरे देश का मसला: उन्होंने कहा कि बोर्ड ने यह भी तय किया है कि मस्जिदों को लेकर जितने भी विवाद खड़े किए जा रहे हैं उनके पीछे की असल मंशा को जनता के सामने लाया जाए ताकि लोगों को गुमराह न किया जा सके. इलियास ने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस सिलसिले में हम पूरे देश में आंदोलन भी चला सकते हैं. उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि जो कुछ भी हो रहा है वह देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. इलियास ने बताया कि बोर्ड ने यह भी फैसला किया कि देश में अलग-अलग धार्मिक समुदाय, धर्मगुरु, नागरिक संघ और सामाजिक संगठनों से संपर्क कर उन्हें सच्चाई बताई जाएगी. उन्होंने कहा कि यह किसी एक समुदाय का नहीं बल्कि पूरे देश का मसला है.

यह भी पढ़ें- मथुरा: शाही मस्जिद में पूजा की अनुमति मांगने की याचिका पर 1 जुलाई को होगी सुनवाई

Last Updated : May 18, 2022, 8:43 PM IST
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