जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर में सी स्कीम स्थित आम्रपाली म्यूजियम में ट्रेडिशनल इंडियन आर्ट और सिल्वर-गोल्ड ज्वेलरी का दुनिया में सबसे बड़ा कलेक्शन देखने को मिला है. देश की आजादी से पहले तक की सिर से लेकर पैर तक की सारी ज्वेलरी संग्रहालय में प्रदर्शित की गई है. संग्रहालय में करीब चार हजार प्रकार के आभूषण प्रदर्शित किए गए हैं. शनिवार शाम को देवदत्त पटनायक की ओर से लिखी गई पुस्तक 'द एंडोर्नमेंट ऑफ गॉड्स' का भी विमोचन किया गया. यह पुस्तक आम्रपाली म्यूजियम के संग्रह की 50 बेहतरीन कला वस्तुओं और उनसे जुड़ी कहानियों पर आधारित है.
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आम्रपाली म्यूजियम के फाउंडर राजीव अरोड़ा ने बताया कि म्यूजियम में सोने-चांदी की ज्वेलरी कलेक्शन संग्रहालय में रखा गया है. संग्रहालय में ट्रेडिशनल इंडियन आर्ट और सिल्वर गोल्ड ज्वेलरी का पूरी दुनिया में सबसे बड़ा कलेक्शन है. पुस्तक में देवदत्त पटनायक ने हिंदुस्तान की सभ्यता- संस्कृति के बारे में बताने का प्रयास किया है. जयपुर में जो भी पर्यटक आते हैं वह भारत की सभ्यता- संस्कृति को हिंदुस्तान के ज्वेलरी और आर्ट के माध्यम से समझा जा सकता है. उन्होंने बताया कि 40 साल से पूरे देश में घुमा हूं. नॉर्थ से वेस्ट, ईस्ट से साउथ का सिर से लेकर पैर तक ज्वेलरी का सारा सामान संग्रहालय में मौजूद है. संग्रहालय में 4000 प्रकार के आभूषण प्रदर्शित किए गए हैं.
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देव दत्त पटनायक की पुस्तक 'द एंडोर्नमेंट ऑफ गॉड्स' आम्रपाली म्यूजियम संग्रह के माध्यम से भारत की पौराणिक कथाओं और उनकी रत्न जड़ित कलाओं के बीच गहरे संबंधों के बारे में बताती है. पुस्तक में लेखक देवदत्त पटनायक ने आम्रपाली म्यूजियम के संग्रह की 50 बेहतरीन के अलावा और उनसे जुड़ी कहानियों पर प्रकाश डाला है. पुस्तक में उन पांच तत्व से जिन्होंने सृष्टि की रचना की है, उपमहाद्वीप के असंख्य देवी देवताओं से लेकर हमारे प्रचुर मात्रा में वनस्पति, जीव, धार्मिक संस्कारों और अनुष्ठानों समेत मन्नत का प्रसाद, आभूषण और सजावटी वस्तुओं का व्याख्यान प्रस्तुत किया गया है. इसके अलावा कहीं भी एक धागे में नहीं पिरोया जा सकता.
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लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा कि प्रतीक वह माध्यम है जिसके जरिए विचार आम आदमी तक पहुंच पाते हैं. यह उन लोगों को विचार का संचार करने में मदद करते हैं जो आपकी भाषा नहीं जानते हैं. क्योंकि प्रतीकों में भौगोलिक क्षेत्रों में यात्रा करने की शक्ति होती है. आम्रपाली म्यूजियम भारतीय आभूषणों और रत्न जड़ित वस्तुओं को समर्पित है.
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लेखक देवदत्त पटनायक के अनुसार, आज हम तकनीकी युग में जी रहे हैं, जहां स्मृति को संजोए रखने की सख्त आवश्यकता है और ऐसे में संग्रहालयों की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है. पहले किसी भी वस्तु के तीन पहलू होते थे- सत्यम (कार्य), शिवम (कहानी, जो इसे शुभ बनती है) और सुंदरम (सौंदर्य). लेकिन अब हम वस्तु को विशेष बनाने वाली कहानी और आख्यान से दूर हो रहे है. केवल उसके कार्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से तुलना की जाए तो भारत में संग्रहालयों को इतना महत्वपूर्ण नहीं माना जाता, क्योंकि लोग अतीत में रहना शुभ नहीं मानते हैं.
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