करनाल : हरियाणा की मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo Haryana) की डिमांड अब विदेश में भी हो रही है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है इस भैंस की खासियत.ये भैंस एक दिन में 20 से 25 लीटर तक दूध दे देती है. इसके दूध में 7 प्रतिशत फैट पाया जाता है. जिसकी वजह से इस भैंस की डिमांड दूसरे राज्यों में ही नहीं, बल्कि विदेश (Murrah buffalo demand abroad) में भी हो रही है.
इस भैंसों की खास बात ये भी है कि ये किसी भी प्रकार की जलवायु में जीवित रहने में सक्षम होती हैं. हालांकि कई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये भैंस ज्यादा शोर में रहना पसंद नहीं करती. ये शांति में रहना पसंद करती हैं. हरियाणा में मुर्रा भैंस को 'काला सोना' कहा जाता है. क्योंकि दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है. मुर्रा नस्ल के सींग जलेबी के आकार के होते हैं. इसे इटली, बुल्गारिया, मिश्र आदि देशों में पाला जा रहा है.
मुर्रा हरियाणा की मुख्य भैंस की नस्ल
मुर्रा भैंस की गर्भा अवधि 310 दिन की होती है. इस नस्ल की भैंस को अपने कद काठी के साथ-साथ अधिक दूध देने के लिए जाना जाता है. करनाल पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि मुर्रा हरियाणा की मुख्य भैंस की नस्ल है. जो विदेश में भी पाली जा रही है.
मुर्रा नस्ल को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग और सरकार ने डेयरी पर कुछ योजनाएं भी लागू की हैं, जिससे बेरोजगार युवक डेयरी खोलकर मुनाफा कमा सकते हैं. इसमें 4 से 10 भैंस की डेयरी पर 25% अनुदान दिया जाता है. इसी तरह 20 से 50 मुर्रा नस्ल की भैंस पर 5 साल तक 75% ब्याज पशुपालन विभाग या सरकार के द्वारा भुगतान किया जाता है, ताकि इसको बढ़ावा दिया जा सके.
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अकेले करनाल जिले में 2 लाख के करीब मुर्रा नस्ल की भैंस हैं. सरकार ने इस नस्ल को बढ़ावा देने के लिए उच्च किस्म के सीमन भी उपलब्ध कराए हुए हैं. जिससे और अच्छी गुणवत्ता के पशु तैयार हो सकें. अधिकारी के मुताबिक भारत सरकार और पशु विभाग मिलकर किसानों को उत्तम नस्ल की भैंस पालने के लिए सीमन उपलब्ध करवा रहे हैं. ताकि मुर्रा नस्ल की भैंस से किसान अच्छा कारोबार कर सकें.