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प्रेम प्रसंग पर उठाई उंगली तो बेटी ने लगा दिया रेप का आरोप, पांच साल बाद बाप बरी - pocso act

मुंबई में पॉक्सो अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी पिता को पांच साल बाद बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि किशोरी के साथ उसके पिता ने दुष्कर्म किया.

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अदालत नाबालिग दुष्कर्म आरोपी पिता बरी मुंबई
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Published : Aug 16, 2022, 6:06 PM IST

Updated : Aug 16, 2022, 9:59 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र में पॉक्सो अदालत ने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में आरोपी पिता को पांच साल बाद बरी कर दिया है. पॉक्सो अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि व्यक्ति पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. साथ ही यह भी बताया गया कि सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि किशोरी की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है. बता दें कि 18 मार्च 2017 को व्यक्ति को 14 वर्षीय बेटी से दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

बताया गया कि किशोरी एक लड़के के साथ प्रेम प्रसंग में थी और उसके पिता को यह बात पसंद नहीं थी. इसके कारण पिता ने चेतावनी देते हुए किशोरी पर कई बार हाथ भी उठाया जिसके बाद किशोरी ने अपने ही पिता को दुष्कर्म के झूठे आरोप में फंसाया. अदालत ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि किशोरी के पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया और मामले में सिर्फ किशोरी की गवाही के आधार पर पिता को सजा नहीं दी जा सकती. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्रीकांत भोसले ने अपने फैसले में यह बात स्पष्ट की कि व्यक्ति को बरी किया जाना चाहिए. उन्होंने प्रशासन को किशोरी के पिता को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए.

यह भी पढ़ें- कर्नाटक हाई कोर्ट ने नवजात बच्चे की हत्या करने वाली मां को किया बरी

जानकारी के अनुसार, किशोरी एक सरकारी स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा थी और वह अपने माता-पिता, दो बहनें और दो भाइयों के साथ रहती थी. 5 मार्च 2017 को किशोरी ने अपनी अध्यापिका को बताया कि उसके पिता ने जनवरी 2016 से मार्च 2017 तक उसके साथ दुष्कर्म किया है जिसके बाद अध्यापिका ने 16 मार्च 2017 को पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज कराई और आरोपी पिता की गिरफ्तारी की गई थी.

मुंबई: महाराष्ट्र में पॉक्सो अदालत ने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में आरोपी पिता को पांच साल बाद बरी कर दिया है. पॉक्सो अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि व्यक्ति पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. साथ ही यह भी बताया गया कि सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि किशोरी की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है. बता दें कि 18 मार्च 2017 को व्यक्ति को 14 वर्षीय बेटी से दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

बताया गया कि किशोरी एक लड़के के साथ प्रेम प्रसंग में थी और उसके पिता को यह बात पसंद नहीं थी. इसके कारण पिता ने चेतावनी देते हुए किशोरी पर कई बार हाथ भी उठाया जिसके बाद किशोरी ने अपने ही पिता को दुष्कर्म के झूठे आरोप में फंसाया. अदालत ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि किशोरी के पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया और मामले में सिर्फ किशोरी की गवाही के आधार पर पिता को सजा नहीं दी जा सकती. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्रीकांत भोसले ने अपने फैसले में यह बात स्पष्ट की कि व्यक्ति को बरी किया जाना चाहिए. उन्होंने प्रशासन को किशोरी के पिता को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए.

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जानकारी के अनुसार, किशोरी एक सरकारी स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा थी और वह अपने माता-पिता, दो बहनें और दो भाइयों के साथ रहती थी. 5 मार्च 2017 को किशोरी ने अपनी अध्यापिका को बताया कि उसके पिता ने जनवरी 2016 से मार्च 2017 तक उसके साथ दुष्कर्म किया है जिसके बाद अध्यापिका ने 16 मार्च 2017 को पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज कराई और आरोपी पिता की गिरफ्तारी की गई थी.

Last Updated : Aug 16, 2022, 9:59 PM IST
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