न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के राजदूत ने कहा है कि 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार अपराधी पाकिस्तान में पांच-सितारा सुविधाओं (enjoying five-star facilities in Pakistan)का लुत्फ उठा रहे हैं और उन्हें वहां सरकारी संरक्षण मिला हुआ है. उनका परोक्ष इशारा अंतरराष्ट्रीय अपराधी दाऊद इब्राहीम की तरफ था. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को ‘ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म काउंसिल’ द्वारा आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक कार्रवाई सम्मेलन 2022’ में कहा कि आतंकवाद और देशों के बीच संगठित अपराध के संपर्कों को पूरी तरह पहचाना जाना चाहिए तथा उन पर पुरजोर तरीके से ध्यान देना चाहिए.
मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदारों को मिली सरकारी सुविधाएं
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार अपराधियों के सिंडीकेट को न केवल सरकारी सुरक्षा दी गयी है बल्कि वह पांच-सितारा सुविधाओं का लुत्फ उठा रहा है. तिरुमूर्ति के बयानों को डी-कंपनी और उसके सरगना दाऊद इब्राहीम से जोड़कर देखा जा रहा है जिसके पाकिस्तान में छिपे होने की बात मानी जाती है. पाकिस्तान ने अगस्त 2020 में पहली बार अपने यहां दाऊद की मौजूदगी को कबूल किया था. इससे पहले, वहां की सरकार ने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर पाबंदियां लगाई थीं, जिनमें भारत द्वारा वांछित अंतरराष्ट्रीय अपराधी दाऊद का भी नाम था.
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 2022 के लिए आतंकवाद निरोधक कार्रवाई समिति के अध्यक्ष तिरुमूर्ति ने कहा कि ‘1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति’ समेत संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध प्रणलियां आतंकवाद के वित्तपोषण, आतंकवादियों की यात्राओं को रोकने और आतंकवादियों तक हथियारों की पहुंच पर लगाम लगाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इन उपायों का क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.
भारतीय राजदूत ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि परिषद द्वारा स्थापित सभी प्रतिबंध व्यवस्थाएं अपनी कार्य प्रणाली और निर्णय लेने में उचित प्रक्रिया का पालन करें. निर्णय लेने की प्रक्रिया और आतंकवादी संगठनों को सूचीबद्ध करने या सूची से हटाने के कदम उद्देश्यपरक, त्वरित, प्रामाणिक, साक्ष्य आधारित और पारदर्शी होने चाहिए तथा राजनीतिक एवं धार्मिक विचार-विमर्श के लिए नहीं होने चाहिए.
पीटीआई